डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिनके जीवन का हर क्षण राष्ट्र और लोक कल्याण के लिए रहा समर्पित
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिनके जीवन का हर क्षण राष्ट्र और लोक कल्याण के लिए रहा समर्पित

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज 123वीं जयंती है, एक ही देश में दो झंडे और दो निशान नहीं थे स्वीकार

by पूनम नेगी
Jul 6, 2024, 10:09 am IST
in भारत
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राष्ट्र के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले माँ भारती के महान सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज 123वीं जयंती है। कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीतियों का सदैव खुलकर विरोध करने वाले डॉ. मुखर्जी को एक ही देश में दो झंडे और दो निशान कदापि स्वीकार नहीं थे। कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने की शुरुआत सबसे पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में कश्मीर से धारा 370 हटाकर डॉ. मुखर्जी के अधूरे सपनों को साकार किया है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता आशुतोष बाबू प्रख्यात शिक्षाविद् थे। डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय से एमए की उपाधि हासिल की तथा उसी वर्ष सुधादेवी से विवाह हुआ। उनको दो पुत्र और दो पुत्रियां हुईं। डॉ. मुखर्जी 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने। फिर गणित के उच्चतर अध्ययन के लिए लंदन गये। वहां मैथेमेटिकल सोसायटी ने उनकी विद्वता से प्रभावित होकर मानद उपाधि से सम्मानित किया। लंदन से लौटने के बाद डॉ. मुखर्जी कोलकाता विश्वविद्यालय में सेवारत हो गये। 1934 में महज 33 वर्ष की उम्र में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने। 1926 में वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन गये और 1927 में वकील बनकर लौटे पर उन्होंने कभी वकालत को अपना व्यवसाय नहीं बनाया। 1934 में वह तत्कालीन भारत के सबसे बड़े कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति चुने गये तथा 1938 तक अर्थात दो कार्यकाल इस पद पर रहे। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय को नया रूप दिया- कलकत्ता विश्वविद्यालय में कृषि क्षेत्र में डिप्लोमा कोर्स प्रतिष्ठित किया। युवतियों की शिक्षा के लिए स्थानीय सहयोगियों से दान लेकर विशेष छात्रवृत्तियां प्रारम्भ की थीं । उन्होंने ही कलकत्ता विश्वविद्यालय में पहली बार बांग्ला भाषा में दीक्षांत भाषण कराया और उनके आमंत्रण पर गुरुदेव रबीन्द्र नाथ ठाकुर ने बांग्ला में उद्बोधन दिया था।

भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर की कोर्ट और काउंसिल के सदस्य के रूप में भी उनका कार्यकाल काफी उल्लेखनीय था। बंगाल में 1943 के भयंकर अकाल में 30 लाख से अधिक भारतीय भूख से मारे गए थे। उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बहुत बड़े स्तर पर राहत कार्य आयोजित कराये। उन्होंने बताया था कि यह अकाल चर्चिल की कुटिल नीतियों के कारण मानव निर्मित अकाल था। उन्होंने बंगाल के अकाल के कारणों की विवेचना करते हुए जो निबंध लिखा, वह बाद में अनेक प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के शोध प्रबंध का हिस्सा बना।

उनकी राष्ट्रभक्ति भी प्रणम्य थी। डॉ. मुखर्जी आज भी एकीकृत भारत के लिए राष्ट्रवाद की सर्वाधिक बुलंद आवाज के रूप में जाने जाते हैं। वे अंग्रेजों द्वारा संस्थागत ढांचे के माध्यम से थोपे गये सांप्रदायिक विभाजन को समाप्त करने के प्रबल समर्थक रहे। 1946 में जब जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी, तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री बनाया गया। ढाई वर्ष के मंत्रित्वकाल में डॉ. मुखर्जी ने छोटे-बड़े उद्योगों का जाल बिछा दिया और चितरंजन लोको फैक्ट्री, सिन्दरी खाद कारखाना, हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्टरी जैसे विशाल कारखाने खड़े करके देश के औद्योगिक विकास का श्रीगणेश किया। हालांकि नेहरू मंत्रिमंडल के सदस्य होने के बावजूद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी देश विभाजन के घोर विरोधी थे और इस बारे में उन्होंने महात्मा गाँधी से भी भेंट की थी। कांग्रेस के रवैये से निराश और क्षुब्ध होकर डॉ. मुखर्जी का पूरा ध्यान अब इस ओर लग गया कि पूरे का पूरे पंजाब और बंगाल ये दोनों प्रान्त पाकिस्तान को न दे दिये जायें। अतः इस हेतु वे प्राणपण से जनजागरण में जुट गये। मुस्लिम लीग के आतंक का मुकाबला करने के लिए डॉ. मुखर्जी ने ‘हिन्दुस्तान नेशनल गार्ड’ संगठन खड़ा किया और दंगा ग्रस्त क्षेत्रों में हिन्दुओं की रक्षा की। आधा पंजाब और आधा बंगाल उनके प्रयासों से बच सका।

बंगाल विधानसभा की ओर से वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी चुने गये थे। बंगाल में उनके नेतृत्व कौशल ने उन्हें राष्ट्रीय फलक पर ला दिया था। साल 1944 में डॉ. मुखर्जी हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने और पूरे देश में हिंदुओं की सशक्त आवाज बनकर उभरे। डॉ. मुखर्जी को हिंदू महासभा का अध्यक्ष चुने जाने पर स्वयं महात्मा गांधी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा था कि पंडित मालवीय के बाद हिंदुओं को एक सही नेता की जरूरत थी और डॉ. मुखर्जी के रूप में उन्हें एक मजबूत नेता मिला है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 मई 1951 को पं. दीनदयाल उपाध्याय के साथ मिलकर देश को कांग्रेस का एक सशक्त राजनीतिक विकल्प देने के लिए भारतीय जनसंघ की स्थापना की। 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में इसका प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन हुआ, जिसमें डा. मुखर्जी को अध्यक्ष चुना गया और पं. दीन दयाल उपाध्याय महामंत्री बने। 1952 में देश में पहला आम चुनाव हुआ और डॉ. मुखर्जी बंगाल से जीत कर लोकसभा में आए। बेशक उन्हें विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं मिला था लेकिन सदन में वे नेहरू की नीतियों पर तीखा प्रहार करने से कभी भी नहीं चूकते थे। सदन में बहस के दौरान पंडित नेहरू ने एक बार डॉ. मुखर्जी की तरफ इशारा करते हुए कहा था, ‘आई विल क्रश जनसंघ’। इस पर डॉ. मुखर्जी ने तुरंत जवाब दिया, ‘आई विल क्रश दिस क्रशिंग मेंटालिटी’। ऐसे थे उनके निडर व मुखर तेवर। 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव के दौरान जम्मू और कश्मीर को लेकर उनका रुख यही था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके राज्य को पूरी तरह से भारत के संविधान के तहत लाया जाए। इसके लिए उन्होंने जम्मू की प्रजा परिषद पार्टी के साथ मिलकर आंदोलन छेड़ दिया।

8 मई 1953 को अटल बिहारी वाजपेयी (तत्कालीन विदेश मंत्री), वैद्य गुरुदत्त, डॉ. बर्मन और टेकचंद को लेकर जम्मू के लिए कूच किया किन्तु जम्मू सीमा में प्रवेश के बाद वहां की शेख अब्दुल्ला सरकार ने 11 मई को डॉ. मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 40 दिन बाद 23 जून 1953 अचानक सूचना आई कि डॉ. मुखर्जी नहीं रहे। 11 मई से 23 जून तक उन्हें किस हाल में रखा गया इसकी जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं थी। इस बात पर डॉ. मुखर्जी की मां जोगमाया देवी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को उलाहना भरा पत्र लिखकर डॉ. मुखर्जी की मौत की जांच की मांग की लेकिन डॉ. नेहरू ने जवाब में लिखा कि मैंने लोगों से पूछकर पता लगा लिया है, उनकी मौत में जांच जैसा कुछ नहीं है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने जांच कराना मुनासिब नहीं समझा।

अपने जीवन के अंतिम क्षण तक का एक−एक पल लोक कल्याण के लिए जीते रहने वाले इस महामानव ने अपने जीवन में ही मानवीय चेतना के उच्चतम स्तर को प्राप्त कर लिया था। राजनीति उनके लिए राष्ट्र की सेवा का साधन थी। उन्होंने अपने आचरण से सिखाया कि राष्ट्र में रहने वाले सभी लोगों का प्रथम दायित्व होता है राष्ट्र के प्रति ईमानदारी व निष्ठा।

Topics: दो झंडे और दो निशानपाञ्चजन्य विशेषलोक कल्याणडॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जीbirth anniversaryDr. Syama Prasad Mukherjee
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

स्व का भाव जगाता सावरकर साहित्य

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

1930: रत्नागिरी में विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों के साथ भोजन करते सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर : स्पष्ट मार्ग, प्रखर विचार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

उत्तराखंड : केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले सीएम धामी, सड़कों के लिए बजट देने का किया आग्रह

हरिद्वार में धामी सरकार एक्शन जारी, आज दो और अवैध मदरसे सील, अब तक 215 मदरसों पर लगे ताले

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies