दिल्ली महिला आयोग (DCW) की की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आयोग के कर्मचारियों की समस्याओं को उठाया है, जो पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण परेशान हैं।
स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है कि वेतन न मिलने के कारण आयोग के कर्मचारियों को कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कर्मचारी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके परिवार भी इस स्थिति से प्रभावित हो रहे हैं।
जब से मैंने दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, दिल्ली सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों ने आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पिछले 6 महीने से किसी को वेतन नहीं दिया गया है, बजट में 28.5 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है, 181 हेल्पलाइन बंद कर दी गई है और अध्यक्ष और 2 सदस्यों के पद को भरने के लिए कोई काम नहीं किया गया है। दलित सदस्य का पद डेढ़ साल से खाली पड़ा है! मेरे जाते ही महिला आयोग को फिर से कमजोर संस्था बनाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। दिल्ली सरकार महिलाओं से अपनी दुश्मनी क्यों निकाल रही है? इस पत्र के बारे में जानकारी खुद स्वाति मालीवाल ने अपने एक्स हैंडल से दी है।
दिल्ली महिला आयोग की स्थिति
दिल्ली महिला आयोग एक महत्वपूर्ण संस्था है जो महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए काम करती है। आयोग के कर्मचारी विभिन्न मुद्दों पर काम करते हैं, जैसे कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचार, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और अन्य सामाजिक समस्याओं का समाधान करना। आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
वेतन न मिलने के कारण
स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि आयोग के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं, जिसके कारण वेतन वितरण में समस्या आ रही है। उन्होंने कहा कि वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है और वे अपने कार्यों को प्रभावी तरीके से नहीं कर पा रहे हैं।
स्वाति मालीवाल की अपील
स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अपील की है कि वे इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द करें। उन्होंने कहा कि आयोग के कर्मचारी दिन-रात मेहनत करके महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए काम करते हैं और उन्हें उनके वेतन से वंचित करना न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि यह उनके लिए अत्यंत असहनीय स्थिति भी है।
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