पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का बुरा हाल है। वहां पर ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल कट्टरपंथी इस्लामवादी अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए करते हैं। ये बातें अक्सर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन कहते रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं हो रहा है। ताजा मामले में पाकिस्तान की एक अदालत ने एक ईसाई व्यक्ति को कथित तौर पर कुरान और मुसलमानों के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई है।
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क्या है पूरा मामला
इस घटना की शुरुआत पिछले वर्ष अगस्त 2023 से होती है, जब इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने पूर्वी पंजाब प्रान्त में ईसाइयों पर टार्गेटेड हमला किया और दर्जनों को घरों को फूंक और चर्चों को भी जला दिया था। ईसाई अल्पसंख्यकों पर ये आरोप लगाया गया कि कुछ मुस्लिमों ने दो ईसाइयों को कुरान के पन्नों को फाड़कर, उन्हें जलाने और जमीन पर फेंकते हुए देखा था। इसके बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों का इस्लाम जागा और उन्होंने ईसाइयों पर हमले कर दिए।
बाद में पुलिस ने दो पीड़ित ईसाइयों को गिरफ्तार भी कर लिया। हालांकि, उस दौरान ईसाई समुदाय डर के मारे अपने घरों को छोड़कर भाग गए थे, इसलिए किसी ईसाई के हताहत होने की कोई सूचना नहीं थी। इस मामले में पाकिस्तानी पुलिस ने कथित तौर पुर 100 लोगों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन किन्हें गिरफ्तार किया गया, उनकी डिटेल्स आज तक सामने नहीं आ सकी है।
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लेकिन, जिन दो ईसाइयों युवकों को गिरफ्तार किया गया था, उसमें एक हैं एहसान शान। रिपोर्ट के मुताबिक, एहसान कुरान के कथित अपमान की वारदात में शामिल नहीं थे, लेकिन फिर भी उन पर आरोप है कि उन्होंने कुरान के फटे हुए पन्नों को टिक टोक पर री-पोस्ट किया था। इसी मामले में उन्हें 29 जून, 2024 को अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। अब उनके वकील खुर्रम शहजाद का कहना है कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेंगे।
ईशनिंदा कानून का हथियार की तरह इस्तेमाल
गौरतलब है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप आम हैं। देश के ईशनिंदा कानूनों के तहत, इस्लाम या इस्लामी धार्मिक हस्तियों का अपमान करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को मौत की सज़ा दी जा सकती है। वहां अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के इरादे से आए दिन इस्लामिक कट्टरपंथी ईशनिंदा का आरोप लगाकर लोगों की मॉब लिंचिंग करते हैं। इस पर पाकिस्तानी हुकूमत चुप्पी साधे हुए है। वहां पर इस कानून का इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया जाता है। उल्लेखनीय है कि मई माह की शुरुआत में ही कथित ईशनिंदा के आरोप में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने 72 वर्षीय नज़ीर मसीह की मॉब लिंचिंग के जरिए हत्या कर दी थी।
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