फ्रांस में इस वक्त जनरल इलेक्शन हो रहे हैं, जिसमें शुरुआती मतदान में वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। पहले दौर की वोटिंग में फ्रांस की सुदूर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने करारी मात दी है। मैरी ले पेन की पार्टी नेशनल रैली ने मतदान के प्रथम चरण में जीत के साथ पहले स्थान पर रही।
वहीं इमैनुएल मैक्रों की पार्टी संसदीय चुनाव में वामपंथियों के बाद तीसरे स्थान पर रही है। हालांकि, अभी 7 जुलाई को नेशनल असेंबली के लिए दूसरे चरण का मतदान होना है, ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि नेशनल रैली पार्टी निचले सदन में पूर्ण बहुमत हासिल कर पाएगी या नहीं। रिपोर्ट के मुताबिक, 7 जुलाई को उन सीटों पर वोटिंग होगी, जहां पर पूर्ण बहुमत हासिल नहीं था।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दक्षिणपंथी पार्टी का जनसमर्थन बढ़ा
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस के आम चुनावों में रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर पड़ता दिख रहा है। चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और यूक्रेन का युद्ध तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है, जिसका असर ये हो रहा है कि देश में खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में भारी बढ़त हो रही है। इसको लेकर फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों की अपने ही देश में आलोचना हो रही है। ऐसे में अप्रवासी विरोधी और यूरोसेप्टिक पार्टी नेशनल रैली के लिए लोगों का समर्थन बड़ गया है।
मतदान में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। मतदान फर्मों की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल रैली (RN) को पहले चरण में 34.5 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट को 28.5-29.1 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी को केवल 20.5-21.5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। मतदान एजेंसियों का अनुमान है कि आरएन पार्टी को दूसरे चरण की वोटिंग के बाद 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में संभवत: पूर्ण बहुमत मिल सकता है।
उल्टा पड़ा मैक्रों का दांव
गौरतलब है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने ही बुने मायाजाल में उलझ गए हैं। दरअसल, इसी माह यूरोपीय संसद के चुनाव में नेशनल रैली पार्टी ने मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी को हरा दिया था। इसके बाद मैक्रों ने संसद को भंग कर अचानक चुनाव का ऐलान कर सभी को चौंका दिया था। हालांकि, अब उनका दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है।
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