भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने पांच जून को उस समय इतिहास रच दिया था, जब वह परीक्षण मिशन पर नए अंतरिक्ष यान को उड़ाने वाली पहली महिला बनी थीं। इसी के साथ वह एक नए चालक दल वाले अंतरिक्ष यान का संचालन और परीक्षण करने वाली पहली महिला भी बन गई थीं। सुनीता ने 5 जून को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से नासा के अपने साथी अंतरिक्ष यात्री बैरी बुच विल्मोर के साथ बोइंग के ‘स्टारलाइनर’ स्पेसक्राफ्ट से उड़ान भरी थी, जो लांचिंग के करीब 26 घंटे बाद 6 जून को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के साथ जुड़ गया था। सुनीता को आईएसएस पर एक सप्ताह बिताने के बाद 13 जून को वापस पृथ्वी पर लौटना था, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर में खराबी के कारण उनकी वापसी टल रही है। इंजीनियरों द्वारा बोइंग अंतरिक्ष यान में कई समस्याएं पाए जाने के कारण तीसरी बार सुनीता विलियम्स की वापसी लगातार टली है।
दरअसल बताया जा रहा है कि बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल की 25 घंटे की उड़ान के दौरान इंजीनियरों ने स्पेसशिप के थ्रस्टर सिस्टम में पांच अलग-अलग हीलियम लीक का पता लगाया था। उसके बाद अंतरिक्ष यान की वापसी को स्थगित करने का निर्णय लिया गया। 6 जून को जब यह यान डॉक करने के लिए स्पेस स्टेशन के करीब पहुंचा था, तब थ्रस्टर फेलियर देखा गया था। हालांकि वापसी में हो रही देरी को लेकर नासा का कहना है कि इसमें चिंता की बात नहीं है लेकिन नासा फिलहाल यह बता पाने की स्थिति नहीं है कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर वापसी कब तक हो पाएगी।
एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि नासा और बोइंग दोनों ही ‘स्टारलाइनर’ में हीलियम लीक के बारे में पहले से जानते थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मिशन के लिए हीलियम की इस लीकेज को मामूली खतरा माना और 5 जून को यह मिशन लांच कर दिया। हालांकि बताया गया है कि पहले नासा का यह मिशन 7 मई को लांच होने वाला था लेकिन हीलियम की इसी लीकेज के कारण लांचिंग को उस समय टाल दिया गया था। अब इसी हीलियम लीकेज के कारण सुनीता विलियम्स और उनके साथ गए बुच विल्मोर अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में फंस गए हैं। हालांकि राहत की बात यही है कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को पूरी तरह स्वस्थ बताया जा रहा है और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित नहीं होने की स्थिति में वे आईएसएस में ही रुक सकते हैं।
स्टारलाइनर की ईंधन क्षमता केवल 45 दिन की है और इस मिशन को शुरू हुए करीब 22 दिन बीत चुके हैं, ऐसे में स्टारलाइनर में करीब 23 दिन का ही ईंधन बाकी हैं। दरअसल स्टारलाइनर कैप्सूल जिस हार्मनी मॉड्यूल से जुड़ा है, उसमें ईंधन की मात्रा सीमित है और स्टारलाइनर केवल 45 दिनों तक ही डॉक पर रह सकता है। इसीलिए माना जा रहा है कि यदि जल्द ही नासा की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी खतरे में पड़ सकती है। हीलियम लीक और रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम की गड़बड़ी का असर यदि फ्यूल सिस्टम पर पड़ा तो यह जल्दी भी खत्म हो सकता है और ऐसी स्थिति में दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए नासा को दूसरे विकल्प देखने होंगे। फिलहाल बोइंग स्टारलाइनर विमान में इंजीनियरों ने कई खराबियां पाई हैं और वे स्टारलाइनर को प्रभावित करने वाले हीलियम रिसाव की जांच कर रहे हैं, जो फिलहाल अंतरिक्ष स्टेशन पर रुका हुआ है। बोइंग के स्टारलाइनर प्रोग्राम मैनेजर मार्क नैपी के मुताबिक हमें पता चला है कि हमारा हीलियम सिस्टम डिजाइन के अनुसार काम नहीं कर रहा है, हालांकि यह प्रबंधन के योग्य है लेकिन यह उस तरह से काम नहीं कर रहा है, जैसा हमने डिजाइन किया था।
वर्षों से हैं ये खामियां
नासा ने तीन बार मिशन रोकने के बाद बोइंग को अंतरिक्ष में भेजा था। हालांकि बोइंग का स्टारलाइनर कार्यक्रम वर्षों से सॉफ्टवेयर गड़बड़ियों और डिजाइन समस्याओं से जूझ रहा है और यह बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल की पहली उड़ान थी। 2019 में स्टारलाइनर की पहली मानवरहित उड़ान हुई थी, तब भी इसमें सॉफ्टवेयर की दिक्कत आई थी, जिसके कारण यान गलत ऑर्बिट में पहुंच गया था। दूसरी उड़ान में फ्यूल वॉल्व में गड़बड़ी आई थी और अब तीसरी उड़ान में स्टारलाइनर में हीलियम लीक हुआ, थ्रस्टर्स यानी प्रोप्लशन सिस्टम में गड़बड़ी आई।
विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक बोइंग के इस कैप्सूल में एक-दो नहीं बल्कि कई प्रकार की समस्याएं हैं और सबसे बड़ी समस्या है स्टारलाइनर में पांच जगह उस हीलियम गैस का लीक होना, जो इस यान के प्रोपल्शन सिस्टम को प्रैशर देती है। इसके अलावा पांच बार थ्रस्टर फेल्योर भी हुआ है। बोइंग ने स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत ही बनाया है ताकि अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा तक पहुंचाया जा सके। नासा के साथ बोइंग ने 4.5 अरब डॉलर का अनुबंध किया है और इस अनुबंध के अलावा भी बोइंग डेढ़ अरब डॉलर खर्च कर चुका है। इसी अनुबंध के तहत बोइंग के स्टारलाइनर के जरिये पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस ले जाया गया।
क्या है चर्चा
कहा जा रहा है कि नासा ने जानबूझकर किसी प्रकार के परीक्षण के लिए सुनीता और बैरी की जान को जोखिम में डाला। हालांकि नासा का दावा है कि दोनों अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे नहीं है बल्कि दोनों में इतनी क्षमता है कि वे जब चाहें, तब स्पेस स्टेशन से कैप्सूल को अनडॉक करके वापस पृथ्वी पर आ सकते हैं और उन्हें वहां इसीलिए रोका गया है ताकि स्टारलाइनर के प्रोपल्शन सिस्टम डेटा का अध्ययन किया जा सके ताकि वे सुरक्षित वापस आएं। वैसे अंतरिक्ष से धरती पर वापसी काफी जटिल प्रक्रियाओं में से एक मानी जाती है।
दरअसल पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री के दौरान स्पेसक्राफ्ट 28 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से धीमा होना शुरू होता है। री-एंट्री के बाद पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए स्पेसक्राफ्ट की आगे लगी हीट शील्ड को हटाया जाता है और इसकी रफ्तार को धीरे-धीरे कम किया जाता है। लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति केवल 6 किलोमीटर प्रतिघंटा रह जाती है। स्टारलाइनर में हीलियम लीक की समस्या और थ्रस्टर फेल्योर होने के कारण यान का रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम खराब हो गया है, जिसके कारण पृथ्वी पर आते समय सुनीता और बैरी यान का नियंत्रण नहीं कर पाएंगे और ऐसे में यदि वायुमंडल में आने से पहले ऐसा हुआ तो वे अंतरिक्ष में ही खो जाएंगे और अगर वायुमंडल में आने के बाद ऐसा हुआ तो वे अनियंत्रित तरीके से नीचे गिरेंगे, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा होगा।
क्या एस्पेस एक्स से मदद लेगा नासा
नासा और बोइंग फिलहाल सुनीता और बुच को सुरक्षित वापस लाने के लिए जुटे हैं और एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए नासा को नया रॉकेट भेजने के लिए मजबूर किया जा सकता है। यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि यदि अगले कुछ दिनों में बोइंग के स्टारलाइनर की खराबी को दूर करने में सफलता नहीं मिलती है तो सुनीता और बुच को सुरक्षित वापस लाने के लिए नासा अपने पुराने कमर्शियल पार्टनर एलन मस्क के स्वामित्व वाले ‘स्पेसएक्स’ के ‘ड्रैगन-2’ कैप्सूल की मदद भी ले सकता है। स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन ने इसी साल मार्च महीने में ही चार अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस तक पहुंचाया था। स्पेसएक्स के इस विमान में दो से चार अंतरिक्ष यात्री बैठ सकते हैं और आपात स्थिति में इसमें अतिरिक्त यात्रियों को भी बैठाया जा सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि नासा द्वारा सुनीता और बुच को धरती पर लाने का काम स्पेसएक्स को सौंपा जा सकता है।
यूरोपियन स्पेस एजेंसी और इंग्लैंड अभी इस स्थिति में नहीं हैं कि वो नासा की कोई मदद कर पाएं। इसलिए नासा के पास दूसरा रास्ता यह है कि वह इसके लिए चीन से मदद मांगे और चीन अपने शेनझोउ स्पेसक्राफ्ट को आईएसएस पर भेजे तथा वहां से दोनों को लेकर वापस पृथ्वी पर आए। वहीं, इलिनोइस विश्वविद्यालय अर्बाना-शैंपेन में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और पूर्व बोइंग स्पेस फ्लाइट सलाहकार माइकल लेम्बेक का कहना है कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की धरती पर वापसी स्टारलाइनर से ही होगी और इसके लिए स्पेसएक्स या शेनझोउ को आगे बढ़ने आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए और सुनीता और बैरी की आईएसएस से पृथ्वी पर शीघ्र सुरक्षित वापसी होगी।
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