बीते दिनों नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विमानन क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के दिशा-निर्देश दिए। इसके तहत भारत के विमानन उद्योग में वर्ष 2025 तक विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी 25 प्रतिशत तक करना है। डीजीसीए ने सर्कुलर जारी करके लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का भी निर्देश दिया, ताकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमानन उद्योग जगत से जुड़े सभी क्षेत्र लैंगिक समानता के आधार पर सभी को समान अवसर दें। सर्कुलर में विमानन क्षेत्र के सभी हितधारकों को सलाह दी गई है कि वे उड्डयन क्षेत्र के अपने कार्यबल में महिलाओं की संख्या बढ़ाएं। साथ ही लैंगिक विभेद और कार्यक्षेत्र में महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से बचें। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पालिसी बनाएं, जिससे महिला कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर बेहतर वातारण बन सकें। इसके अलावा महिलाओं के लिए लीडरशिप और विशेष मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू किए जाएं।
वर्ष 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में अमेरिकी विमान विनिर्माता बोइंग के नए वैश्विक इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के उद्घाटन के दौरान ‘बोइंग सुकन्या कार्यक्रम’ भी लांच किया था। सुकन्या कार्यक्रम की शुरुआत विमानन क्षेत्र में देश की ज्यादा से ज्यादा लड़कियों के प्रवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई। यह कार्यक्रम देश की लड़कियों एवं महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कौशल सीखने और विमानन क्षेत्र में नौकरियों के लिए प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करेगा। इसके तहत युवा लड़कियों के लिए एसटीईएम क्षेत्र के करियर में रुचि जगाने के लिए 150 स्थानों पर एसटीईएम लैब बनाई जाएंगी। यह कार्यक्रम पायलट बनने के लिए प्रशिक्षण ले रहीं महिलाओं को छात्रवृत्ति भी प्रदान करेगा। इससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाली गरीब लड़कियों का भी पायलट बनने का सपना पूरा सकेगा। उन्हें पायलट के रूप में अपना करियर चुनने के लिए सोचना नहीं पड़ेगा, क्योंकि सरकारी स्कूलों में कोचिंग और विकास संबंधी सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा नीत एनडीए सरकार के लिए महिला सशक्तिकरण एक प्रमुख मुद्दा है। सरकार ने पिछले 10 वर्षों में हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयासों पर जोर दिया। इसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्ज्वला योजना, जन धन खाता, मिशन पोषण, मातृत्व अवकाश को 12 की जगह 26 हफ्ते बढ़ाना, मातृ वंदना योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं ने महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों को पूरा किया। इसके अलावा लैंगिक रूढ़िवादिता को खत्म करते हुए मोदी सरकार ने भारतीय सेना में पहली बार महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के योग्य बनाकर उन्हें समान अवसर और अधिकार देने की पहल की।
पिछले दस वर्षों में हाईस्कूल और उसके आगे की पढ़ाई करने वाली लड़कियों की संख्या तीन गुना बढ़ी है। लड़कियां विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अपना दमखम साबित कर रही हैं। 2014 तक आईआईटी में लड़कियों का प्रतिशत 14 था। 2018 में यह बढ़कर 17 प्रतिशत हुआ और अब यह 20 प्रतिशत हो गया है। वहीं, इंजीनियरिंग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का आंकड़ा 43 प्रतिशत है। दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां महिला पायलटों की संख्या सबसे अधिक है। भारत में 15 प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं, जो वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक है।
सरकार द्वारा विमानन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लिया गया फैसला सराहनीय है। इससे देश की महिलाओं को नौकरियों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से देश में लैंगिक असमानता भी दूर होगी और महिला कर्मियों को उनके करियर में सफलता हासिल करने में मदद मिलेगी। यौन उत्पीड़न के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति होने पर वे किसी के डर के साये में कार्य करने को मजबूर नहीं होंगी। सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होने से उनको भी समाज में पुरुषों के साथ सम्मानपूर्वक जीने का अवसर मिलेगा। साथ ही भारत के विकसित राष्ट्र बनने का सपना भी पूरा हो सकेगा।
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