उपग्रह से ऐतिहासिक रामसेतु की नई तस्वीर खींचने वाली यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बार फिर तथ्यात्मक रूप से सिद्ध किया है कि राम सेतु एक प्राकृतिक निर्माण है जो किसी मशीन से नहीं बनाया गया है। रामसेतु की यह तस्वीर एजेंसी ने साझा भी की है। बताया गया कि यह ‘इमेज’ जिस उपग्रह से ली गई है उसका नाम है ‘कोपरनिकस सेंटिनल-2’। एजेंसी का यह भी कहना है कि 15वीं सदी तक इस प्राकृतिक सेतु से पार जाया जा सकता था, लेकिन बाद में आंधी—तूफानों के चलते यह धराशायी होता चला गया। सेतु के निकट अनेक जलजीव प्रजातियों का निवास है।
रामसेतु की जो तस्वीर यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसी ने साझा की है यह वही रामसेतु है जिसकी वर्षों पूर्व नासा ने तस्वीर लेकर बताया था कि यह नि:संदेह मानव निर्मित प्राचीन संरचना है। भारत से बाहर अनेक स्थानों पर इस रामसेतु को एडम्स ब्रिज नाम दिया गया है और यह इसी नाम से प्रसिद्ध है। भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाला यह रामायणकालीन सेतु द्वीपों की एक श्रृंखला का हिस्सा बताया जाता है।
भगवान राम की सेना द्वारा प्रस्तर शिलाओं से बनाया गया राम सेतु भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप को श्रीलंका के मन्नार द्वीप से मिलाता है। मन्नार की खाड़ी (दक्षिण) हिंद महासागर के प्रवेश को पाक जलडमरूमध्य (उत्तर), बंगाल की खाड़ी के प्रवेश से अलग रखता है।
इस सेतु के बनने को लेकर अनेक प्रकार की थ्योरियां हैं। भूगर्भीय खोजें बताती हैं कि यह सेतु उस भूमि के बचे हिस्से हैं जो कभी जमाने में भारत और श्रीलंका से जोड़े हुए थी। यूरोप की इस अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, “तस्वीरों में दिख रहे प्राकृतिक पुल से 15वीं सदी तक पार जाना संभव था।” उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साल के शुरू में राम सेतु के शुरुआती स्थान अरिचल मुनाई तक गए थे।
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