18वीं लोकसभा की पहली संसद का सत्र शुरू हो गया है और इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने सांसद के तौर पर अपने पद और गरिमा को बनाए रखने की शपथ ली। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से कांग्रेस समेत विपक्ष के द्वारा ‘संविधान बदलने’ वाले झूठ का पर्दाफाश कर दिया। आपातकाल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि 50 साल पहले 25 जून को देश के संविधान की धज्जियां उड़ाई गई थीं। देश को जेलखाना बना दिया गया, लोकतंत्र को पूरी तरह से कुचल दिया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी इस बात का संकल्प लेंगे कि जो 50 साल पहले किया गया, फिर कोई ऐसा काम करने की हिमाकत नहीं करेगा। उल्लेखनीय है कि 25 जून 1975 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए देश में आपातकाल लगा दिया था। रातों-रात देशभर के विरोधी राजनेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया था।
प्रधानमंत्री कहते हैं कि संविधान और लोकतंत्र में निष्ठा रखने वाले लोगों के लिए 25 जून कभी न भूलने वाला दिन है। देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि देश में ऐसी कालिख (आपातकाल) न लग सके। इसके साथ ही विपक्ष को संसद को सुचारू रूप से चलने देने की नसीहत दी।
देश की जनता को नाटक, हंगामा नहीं चाहिए। देश को नारे नहीं, substance चाहिए। देश को एक अच्छा विपक्ष चाहिए, एक जिम्मेदार विपक्ष चाहिए।
पीएम मोदी ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा, “हम मानते है सरकार चलाने के लिए बहुमत होता है, लेकिन देश चलाने के लिए सहमति बहुत ज़रूरी होती है।” देश की जनता ने हमें तीसरी बार अवसर दिया है। हमारी जिम्मेदारी तीन गुना बढ़ गई है… इसलिए मैं देशवासियों को भरोसा देता हूं कि अपने तीसरे कार्यकाल में हम तीन गुना मेहनत करेंगे और तीन गुना परिणाम प्राप्त करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि आज़ादी के बाद दूसरी बार किसी सरकार को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर मिला , यह अवसर 60 साल बाद आया है जो की गौरव की बात है। बता दें कि पीएम मोदी से पहले देश के पहले प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू ही तीन बार प्रधानमंत्री रहे थे।
18वीं लोकसभा पर भी बोले पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा को लेकर 18 के अंक की महत्ता को भी समझाया। उन्होंने 18 के अंक को बहुत ही सात्विक करार देते हुए कहा कि गीता में 18 अध्याय हैं, जो कि हमें कर्म, कर्तव्य और करुणा का संदेश देते हैं। इसके अलावा पुराण भी 18 हैं। 18 अंक का मूलांक है 9, जो कि पूर्णता का प्रतीक है। भारत में वोटिंग का अधिकार भी 18 वर्ष में ही मिलता है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के अमृतकाल में 18वीं लोकसभा का गठन हुआ है, जो कि अच्छा संकेत है।
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