पंजाब-हरियाणा राज्यों की सीमा शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान जत्थेबंदियों के धरने पर रविवार को उस समय माहौल तनावपूर्ण बन गया जब स्थानीय लोग और कुछ व्यापारी धरनास्थल पर पहुंच गए। धरना स्थल पर आसपास के गांव से सैकड़ों लोगों के साथ अंबाला के कुछ व्यापारी भी पहुंचे थे। इस दौरान वहां किसानों व स्थानीय लोगों के बीच बहसबाजी हुई और माहौल तनावपूर्ण बन गया।
व्यापारियों की तरफ से लगभग एक सप्ताह पहले किसान जत्थेबंदियों को दिए मांगपत्र पर जवाब मांगा, लेकिन वहां पर किसान नेता सवरन सिंह पंधेर व अन्य बड़े नेता नहीं थे। ऐसे में स्थानीय लोगों सहित व्यापारियों की धरने पर बैठे किसानों के साथ तकरार बढ़ गई। किसान जत्थेबदियों ने ग्रामीणों व व्यापारियों को भाजपा के एजेंट कहा। ग्रामीणों ने उक्त किसान नेताओं को पंजाब के दुश्मन करार देते हुए स्वार्थी बताया। इस दौरान धरनास्थल पर पुलिस मौजूद नहीं थी।
तेपला रोड के गांव निवासी मिंटू गिल, सोनू व अन्य ने बताया कि पिछले चार महीनों से ज्यादा समय से किसान जत्थेबंदियों की ओर शंभू बॉर्डर पर धरना दिया जा रहा है। धरने की वजह से नेशनल हाईवे बंद है। इस वजह से आसपास के तीन चार दर्जन गांवों के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। अगर कोई बीमार पड़ हो जाता है तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए अंबाला हमें सबसे नजदीक है, लेकिन धरने की वजह से अंबाला नहीं जा सकते।
ग्रामीणों ने बताया कि चार दिन पहले एक गर्भवती महिला की मौत हो गई है। लोगों का रोजगार खत्म हो गया है। बच्चे स्कूल नहीं जा सकते। अपनी परेशानियों को लेकर 16 जून को लोगों ने किसान नेता सवरन सिंह पंधेर से मिलकर उन्हे मांगपत्र सौंपा था। पत्र में कम से कम दोपहिया वाहन के लिए रास्ता खोलने में की मांग की थी। एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी रास्ता नहीं दिया गया। लोगों ने आरोप लगाया कि दो किसान नेताओं ने पूरे पंजाब को सरकार के पास बेच दिया है। अब गांव के लोगों की बात तक नहीं सुनी जा रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर इस सप्ताह रास्ता नहीं खोला तो वे हजारों की संख्या इक_ा होकर तेपला व शंभू रोड को पूरी तरह बंद कर देंगे।
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