अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर विशेष: ओलंपिक में गर्व की इबारत लिखता भारत, आधुनिक ओलंपिक खेलों के 128 वर्ष
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अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर विशेष: ओलंपिक में गर्व की इबारत लिखता भारत, आधुनिक ओलंपिक खेलों के 128 वर्ष

प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का आयोजन इस वर्ष पेरिस में 26 जुलाई से 11 अगस्त तक होगा।

by योगेश कुमार गोयल
Jun 23, 2024, 09:18 am IST
in खेल
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ओलंपिक खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है, जिसे सही मायनों में एक लोकप्रिय बहु-सांस्कृतिक उत्सव की संज्ञा भी दी जा सकती है। प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का आयोजन इस वर्ष पेरिस में 26 जुलाई से 11 अगस्त तक होगा। दरअसल 2024 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी फ्रांस को मिली है और पेरिस में आयोजित होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा, जिसके माध्यम से पेरिस कुछ दिनों के लिए दुनिया का केंद्र बन जाएगा। ओलंपिक खेलों में इस बार 200 से भी ज्यादा टीमों के करीब 10500 एथलीट कुल 32 खेलों में हिस्सा लेंगे। वैसे ओलंपिक खेलों की शुरूआत करीब 2800 वर्ष पूर्व ग्रीस में जीयस के पुत्र हेराकल्स द्वारा की गई मानी जाती है किन्तु ऐसी धारणा है कि यह खेल उससे भी काफी पहले से ही खेले जाते रहे थे। 776 ईसा पूर्व विधिवत रूप से शुरू हुए ओलंपिक खेलों का सिलसिला उसके बाद निर्बाध रूप से 393 ई. तक अर्थात् 1169 वर्षों तक चलता रहा। इन खेलों के माध्यम से ऐसा प्रदर्शन किया जाता था, जो मानव की शक्ति, गति एवं ऊर्जा का परिचायक माना जाता था। प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन ईश्वर को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता था।

प्राचीन काल में भीओलंपिक खेलों का कितना महत्व था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में ग्रीस के एक महान् गीतकार पिन्डार ने लिखा था कि जिस प्रकार दिन के समय आकाश में सूर्य के समान गर्म और चमकदार कोई सितारा नहीं होता, उसी प्रकार ओलंपिक खेलों से बड़ी कोई प्रतियोगिता नहीं है। 776 ई.पू. शुरू हुए ओलंपिक में एलिस के एक रसोईये कोरोबस ने भी हिस्सा लिया था, जो 210 गज (लगभग 192 मीटर) की नग्न दौड़ में जीतकर प्राचीन ओलंपिक का प्रथम चैम्पियन बना था। आज भी उसे इतिहास में सबसे पहला ओलंपिक चैम्पियन माना जाता है। प्राचीन ओलंपिक 776 ई.पू. से लेकर वर्ष 393 तक हर चार-चार वर्ष के अंतराल पर निरन्तर आयोजित होते रहे किन्तु तब तक इन खेलों में खेल भावना सर्वोपरि होने के बजाय धोखाधड़ी, ईर्ष्या और घटिया शर्तों ने ओलंपिक में अहम स्थान बना लिया था, जिसके चलते रोमन सम्राट थ्योडॉसियस ने सन् 393 में ओलंपिक खेलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रकार ओलंपिक खेलों का एक बहुत लंबा अध्याय वहीं समाप्त हो गया था।

करीब 1500 वर्ष बाद फ्रांस के युवा शिक्षाशास्त्री पियरे द कुबर्तिन ने आधुनिक ओलंपिक खेलों की आधारशिला रखी और उनके द्वारा 23 जून 1894 को अंतर्राष्ट्रीयओलंपिक समिति की स्थापना किए जाने के बाद नए रूप में 1896 से आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन शुरू हुआ। उसके बाद ओलंपिक खेल प्राचीन ओलंपिक खेलों की ही भांति हर चार वर्ष के अंतराल पर आयोजित किए जाने लगे। एक जनवरी 1863 को जन्मे पियरे द कुबर्तिन की उम्र उस वक्त सिर्फ सात साल थी, जब 1870 में फ्रैंच-परसियन लड़ाई में जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया था। माना जाता है कि उस हार के कुछ वर्षों बाद कुबर्तिन इसका विश्लेषण करने पर इस नतीजे पर पहुंचे कि फ्रांस की हार का कारण उसकी सैन्य कमजोरियां नहीं बल्कि फ्रांसीसी सैनिकों में ताकत की कमी थी। जर्मन, ब्रिटिश और अमेरिकन बच्चों की शिक्षा का अध्ययन करने के बाद कुबर्तिन ने पाया कि उन्हें ताकतवर और हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने में खेलों में उनकी भागीदारी की सबसे प्रमुख भूमिका थी जबकि फ्रांसीसी खेलों में भागीदारी के मामले में काफी पिछड़े थे। उसके बाद कुबर्तिन ने कोशिशें की कि फ्रांसीसियों को किसी भी तरह खेलों के प्रति आकर्षित किया जाए लेकिन उन्हें इन प्रयासों में उसाहजनक सफलता नहीं मिली किन्तु कुबर्तिन अपने इरादों पर दृढ़ थे।

1890 में कुबर्तिन ने ‘यूनियन डेस सोसायटीज फ्रांसीसीज द स्पोर्ट्स एथलेटिक्स’ नामक एक खेल संगठन की नींव रखी और उसके दो वर्ष बाद कुबर्तिन के दिमाग में ओलंपिक खेलों को पुनर्जीवन देने का विचार आया। खेल संगठन की 25 नवम्बर 1892 को पेरिस में हुई एक मीटिंग में उन्होंने इस संबंध में अपने विचार भी रखे किन्तु उनके उस भाषण से कुछ हासिल नहीं हुआ। उसके दो वर्ष बाद कुबर्तिन ने 9 देशों के कुल 79 डेलीगेट्स की एक मीटिंग आयोजित की। इस मीटिंग में कुबर्तिन ने पूरे उत्साह से ओलंपिक खेलों की नए सिरे से पुनः शुरूआत करने संबंधी भाषण दिया और इस बार वह लोगों को अपने विचारों से प्रभावित करने में सफल हुए। कांफ्रैंस में सभी डेलीगेट्स ने एकमत से ओलंपिक खेल कराए जाने के पक्ष में वोट दिया और तय किया गया कि कुबर्तिन इन खेलों के आयोजन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समिति का गठन करें। उसके बाद ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति’ का गठन हुआ, जिसके प्रथम अध्यक्ष के रूप में ग्रीस के डेमट्रियोस विकेलास का चयन हुआ। प्रथम ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए एथेंस को चुना गया और इसकी तैयारियां शुरू हुई। 5 अप्रैल 1896 को प्रथम आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूआत हुई। प्रथम आधुनिक ओलंपिक खेलों का उद्घाटन 5 अप्रैल 1896 को एथेंस (यूनान) में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा किया गया। अमेरिका के जेम्स बी. कोनोली को पहले आधुनिक ओलंपिक खेल में प्रथम ओलंपिक चैम्पियन बनने का गौरव हासिल है।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाए जाने की शुरूआत 23 जून 1948 को हुई थी। दरअसल आधुनिक ओलंपिक खेलों का पहला आयोजन तो वर्ष 1896 में हुआ था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की स्थापना पियरे द कुबर्तिन द्वारा 23 जून 1894 को की गई थी, जिसके प्रथम अध्यक्ष बने थे यूनानी व्यापारी डेमट्रियोस विकेलास। आईओसी का मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लॉजेन में स्थित है और वर्तमान में दुनियाभर में 205 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियां इसकी सदस्य हैं। आईओसी के स्थापना दिवस 23 जून को ही बाद में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा प्रतिवर्ष ‘ओलंपिक दिवस’ के रूप में मनाया जाना शुरू किया गया। यह दिवस मनाए जाने का प्रमुख उद्देश्य खेलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ग और आयु के लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देना है। आईओसी द्वारा प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल, शीतकालीन ओलंपिक खेल और युवा ओलंपिक खेल का आयोजन किया जाता है। पहला ग्रीष्मकालीन ओलंपिक वर्ष 1896 में यूनान के एथेंस में तथा पहला शीतकालीन ओलंपिक 1924 में फ्रांस के चेमोनिक्स में आयोजित किया गया था। ओलंपिक दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें दो सौ से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं।

पहले ओलंपिक खेल की प्रतियोगिताओं में महिलाओं के भाग लेने पर प्रतिबंध था किन्तु सन् 1900 में दूसरे ओलंपिक में महिलाओं को भी ओलंपिक खेलों के जरिये अपनी प्रतिभा का परिचय देने का अवसर मिल गया। प्रथम आधुनिक ओलंपिक में भाग लेने वाले कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी थे, जो उस वक्त एथेंस में ही पर्यटक के तौर पर पहुंचे हुए थे। 1896 से ओलंपिक खेलों का आयोजन नियमित होता रहा है लेकिन प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के कारण 1916, 1940 तथा 1944 के ओलंपिक आयोजन रद्द करने पड़े थे। यूनान (ग्रीस), ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया तथा फ्रांस ही पांच ऐसे देश हैं, जिन्होंने अब तक हर ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया है।ओलंपिक खेलों के उद्घाटन के समय स्टेडियम में सबसे पहले ग्रीस की टीम प्रवेश करती है। उसके बाद मेजबान देश की भाषानुसार वर्णमाला के क्रम से एक-एक करके दूसरे देशों की टीमें स्टेडियम में प्रवेश करती हैं जबकि मेजबान देश की टीम सबके बाद स्टेडियम में पहुंचती है।

आधुनिक ओलंपिक खेलों में भारत 104 वर्ष का सफर पूरा कर चुका है। भारत ने पहली बार वर्ष 1900 में ओलंपिक में हिस्सा लिया था। तब भारत की ओर से केवल एक एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड को भेजा गया था, जिसने एथलेटिक्स में दो सिल्वर मेडल जीते थे। हालांकि भारत ने अधिकारिक तौर पर पहली बार 1920 में ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। इस लिहाज से भारत इस वर्ष अपने ओलंपिक अभियान के 104 साल पूरे कर रहा है। 2021 में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाडि़यों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एक स्वर्ण सहित कुल 7 पदक भारत की झोली में डाले थे। 1900 से अब तक ओलंपिक खेलों में भारत ने कुल 35 पदक जीते हैं, जिनमें 10 स्वर्ण, 9 रजत और 16 कांस्य पदक शामिल हैं। सर्वाधिक पदक भारतीय हॉकी टीम द्वारा जीते गए हैं।

बहरहाल, भारत की नजरें अब 2036 में होने वाले ओलंपिक की मेजबानी पर टिकी हैं और माना जा रहा है कि भारतीय खेल प्रशासक 26 जुलाई से शुरू हो रहे पेरिस ओलंपिक के दौरान इसके लिए कड़ी लॉबिंग करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मुंबई में आईओसी कांग्रेस के दौरान कहा था कि भारत 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने का इच्छुक है। केन्द्रीय खेल मंत्री मनमुख मांडविया के मुताबिक पेरिस ओलंपिक खेलों के बाद ओलंपिक की दावेदारी पर चर्चा होगी, जिसके लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं लेकिन हमें पेरिस ओलंपिक के दौरान अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के साथ लॉबिंग करनी होगी और उसके लिए हम अच्छी तरह से तैयार हैं। अभी 2036 के आलंपिक खेलों के मेजबानी अधिकार को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और इस पर आईओसी अध्यक्ष के अगले साल होने वाले चुनाव के बाद ही निर्णय होने की संभावना है। यदि भारत मेजबानी हासिल करने में सफल रहता है तो शतरंज, टी20 क्रिकेट और स्क्वाश के अलावा स्वदेशी खेलों योग, खो-खो और कबड्डी सहित कुल छह खेलों को भी ओलंपिक में शामिल करने का प्रयास करेगा। भारतीय खेल प्राधिकरण की मिशन ओलंपिक इकाई (एमओसी) की रिपोर्ट में इन छह खेलों का उल्लेख किया गया है। यदि भारत को 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी मिलती है तो प्रस्तावित खेलों को उससे पहले 2032 में ब्रिस्बेन में होने वाले ओलंपिक खेलों के दौरान प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया जाएगा, उसी के बाद इन खेलों को ओलंपिक में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।

 

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