इजरायल और फिलिस्तीनी कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी संगठन हमास के बीच बीते 8 माह से चल रहा युद्ध किसी भी वक्त एक बड़ा रूप ले सकता है। इसमें खाड़ी के अन्य देश भी शामिल होने शुरू हो गए हैं। इसकी शुरुआत ईराक और यमन की सेना ने कर दिया है। दोनों देशों के सशस्त्र बलों ने मिलकर ‘एंटी इजरायल’ इजरायल अभियान छेड़ने का ऐलान कर दिया है।
इजरायल के खिलाफ ईराक के ‘इस्लामिक रेजिस्टेंस’ (आतंकवाद विरोधी लड़ाकों का एक समूह) और यमन की सेना ने ये ऑपरेशन लॉन्च किया है। यमन की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याह्या सारी ने रविवार को एक वीडियो जारी कर इसका ऐलान किया। जनरल सारी ने कहा कि इजरायल के खिलाफ अभियान के पहले चरण में इजरायल के हाइफा बंदरगाह पर स्थित चार जहाजों को निशाना बनाया गया है। इसमें दो सीमेंट ढोने वाले जहाज थे और दो सामान्य मालवाहक शिप थे।
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एंटी इजरायल अभियान के दूसरे चरण में हाइफा पोर्ट जा रहे शॉर्टहॉर्न एक्सप्रेस शिप को भूमध्य सागर में निशाना बनाया गया है। यमन का दावा है कि इस हमले में उसने कई ड्रोन से हमले करके सब कुछ तबाह कर दिया।
ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी प्रेस टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ईराक की इस्लामिक रेजिस्टेंस ने दो टूक कहा है कि अगर इजरायल हिजबुल्लाह के साथ युद्ध छेड़ने के लिए लेबनान पर हमला करेगा, तो वह हिजबुल्लाह का समर्थन करेगा। लेबनान के अरबी भाषा के दैनिक अखबार अल-अखबार ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इस्लामिक रेजिस्टेंस ने बताया कि कताइब हिजबुल्लाह, कताइब सैय्यद अल-शुहादा और हरकत हिजबुल्लाह अल-नुजाबा समूहों ने लेबनान के खिलाफ किसी भी संभावित इजरायली आक्रमण का सामना करने के लिए हिजबुल्लाह के साथ लड़ने के लिए अपनी तत्परता की घोषणा की है।
हालांकि, अभी वह हिजबुल्लाह की इजाजत का इंतजार कर रहा है। कातिब सैय्यद अल-शुहादा संगठन का दावा है कि हिजबुल्लाह के पास पहले से ही ताकत के साथ ही हथियार औऱ बड़ी संख्या में फाइटर हैं, जो कि इजरायल के लिए पर्याप्त हैं।
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इसके अलावा ईरान, जो कि पहले से ही हिजबुल्लाह का समर्थन करता रहा है औऱ उसे हथियार देता रहा है, उसने भी इजरायल को धमकाया है कि वह हिजबुल्लाह पर हमला करने की गलती न करे। अन्यथा उसे ईरान से टकराना होगा।
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