उत्तराखंड

उत्तराखंड : जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में कहां से आए इतने मुस्लिम, खुले में बिना अनुमति नमाज पढ़ी, जनता में आक्रोश

जौनसार बावर इलाके के लोगों का आरोप है कि बिना प्रशासनिक अनुमति के नमाज पढ़ी गई

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दिनेश मानसेरा

त्यूनी ( देहरादून)। जिस जनजाति क्षेत्र में बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते, वहां आज सैकड़ों मुस्लिमों ने एकत्र होकर बकरीद की नमाज पढ़ी। राजस्व क्षेत्र के खुले मैदान में नमाज पढ़ी जाने पर लोगों में आक्रोश है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिना प्रशासनिक अनुमति के नमाज पढ़ी गई। उल्लेखनीय है कि जौनसार बावर उत्तराखंड का जनजाति आरक्षित क्षेत्र घोषित है और यहां बाहर के लोगों को जमीन खरीदने पर पाबंदी है, लेकिन कांग्रेस के कार्यकाल में तुष्टिकरण की राजनीति के चलते यहां वन गुज्जरों के वोट बना दिए और यहां आसपा स्थानीय विरोध के बावजूद इनकी बसावट होने लगी है। स्थानीय जनजाति के लोगों का आरोप है कि आज सुबह वाहनों में सवार बहुत से मुस्लिम युवक यहां पहुंचे और मजरा लखवाड़ ग्राम में एकत्र होकर बकरीद की नमाज पढ़ी, जिस स्थान पर नमाज हुई वो भूमि सरकारी है और इसकी अनुमति भी नहीं ली गई।

स्थानीय ग्राम प्रधान अशोक राणा ने मजरा लखवाड़ क्षेत्र में धार्मिक भावनाएं आहत हाथ करने के आरोप लगाते हुए कहा है कि जौनसार बावर जनजाति बाहुल्य एक क्षेत्र है 1967 के बाद बाहरी व्यक्ति कोई भी जमीन नहीं ले सकता। कुछ समय पूर्व बाहर से आए हुए वन गुज्जर द्वारा गलत तरीके से 1983 में अपने नाम जमीन दर्ज करवा ली। जिसकी शिकायतें त्यूनी तहसील में दी गई है तथा समस्त जमीन रद्द होने योग्य है।

जौनसार बावर में रुद्र सेना के संयोजक राकेश तोमर उत्तराखंडी का कहना है कि बिना अनुमति के त्यूनी हटाल, नेरवा आदि क्षेत्र से लोगों को यहां बुलाकर नमाज पढ़वाई गई। ये महासू देवता की भूमि है। यहां पर इस तरीके का गैर सनातनी कृत्य और जमावड़ा बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे हिंदू जन मानस की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। इस क्षेत्र में गैर सनातनी गतिविधियां नही होने देंगे।

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