जम्मू—कश्मीर में आतंकियों ने कायराना हरकत में आतंकवाद की भेंट चढ़ा मासूम
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जब तीसरी बार राजग सरकार बनने जा रही थी, विदेशों से आए तमाम मेहमान और सरकार में मंत्री बनाए जाने वाले सांसदों समेत 9 हजार लोग इस शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए पहुंचे हुए थे, पूरी दुनिया की नजरें भारत पर थीं, ठीक उसी समय जम्मू—कश्मीर में आतंकियों ने कायराना हरकत की। उन्होंने शिव खोड़ी से दर्शन कर लौट रहे तीर्थ यात्रियों पर गोलियां बरसाईंं इससे बस अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी और 10 तीर्थ यात्री मारे गए। दर्जनों घायल हैं। हमला पौनी मार्ग में चंडी मोड़ और कंडा के बीच किया गया। आतंकियों ने घात लगाकर बस को निशाना बनाया। ड्राइवर भी आतंकियों की गोली का शिकार हो गया। कुछ शव पेड़ पर लटके पाए गए। इनमें एक मासूम बच्चा भी शामिल था।
उत्तर प्रदेश स्थित बलरामपुर के रहने वाले संतोष वर्मा इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी आंखों से सब कुछ देखा। हमले के बाद से वह खौफ में हैं। घटना के बारे में बात करते ही वह फूट-फूटकर रोने लगते हैं। रुंधे गले और डबडबाई आंखों से आंसू पोंछते हुए वे बताते हैं, ‘शाम का यही कोई 5 से 6 बजे के बीच का समय रहा होगा। बस शिवखोड़ी मंदिर से कटरा के लिए निकली थी। कई यात्रियों को नींद आ गई थी। मैं भी सो गया था। बस घाटी से नीचे उतर रही थी इसलिए उसकी रफ्तार धीमी थी। इतने में अचानक से गोलियों की आवाज आने लगी। सामने बैठे लोग चिल्लाने लगे। बस पर लगातार गोलियों की बौछार की जा रही थी।
मैं हड़बड़ाहट में जब तक उठता, तब तक बस चालक को गोली लग चुकी थी। गोली लगते ही चालक ने बस से नियंत्रण खो दिया और वह खाई में जा गिरी। चारों तरफ सिर्फ रोने-चीखने की आवाजें सुनाई दे रही थीं।’ वे आगे कहते हैं, ‘एक आतंकी बीच सड़क पर खड़ा फायरिंग कर रहा था। इसके बाद आतंकियों ने रुक रुक कर फायरिंग की। आतंकी 5 से 6 राउंड गोली चलाते, फिर रुक जाते। दरअसल वह हर यात्री को मार डालना चाहते थे। 20 मिनट से ज्यादा समय तक आतंकी लगातार फायरिंग करते रहे। उन्होंने कई साथी यात्रियों को मार डाला।’
बस में सवार दिल्ली के एक अन्य तीर्थयात्री भवानी सिंह बताते हैं कि 6 से 7 नकाबपोश आतंकी थे। शुरू में उन्होंने सड़क पर बस को घेरकर चारों तरफ से फायरिंग की। और जब बस खाई में गिरी तब भी वे लगातार गोलीबारी कर रहे थे। वे चाहते थे कि सब लोग मारे जाएं।
ग्रेटर नोएडा के बंटी की पीठ पर आतंकियों ने गोली मारी। रियासी जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार करा रहे बंटी बताते हैं, ‘मैं अपनी दो पड़ोसी मीरा और लक्ष्मी के साथ शिवखोड़ी दर्शन करने गया था। बस पर जब हमला हुआ तो हम उन्हें खोजने लगे। इतने में मेरी पीठ में एक गोली लगी। गोली लगते ही मैंने एक पेड़ की ओट ले ली, जिससे जान बच गई।
रियासी बस हमले की जिम्मेदारी लश्कर—ए—तैयबा के मुखौटा संगठन टीआरएफ ने ली है। खुफिया सूत्रों की मानें तो इस हमले को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह पर अंजाम दिया गया। हमले में जिन गोलियों का इस्तेमाल किया गया वे अमेरिकी एम 4 कारबाईन की हैं।
घटना के बाद से आतंकियों की तलाश में 1000 से अधिक जवानों ने पूरे इलाकों को घेर रखा है। रियासी-उधमपुर रेंज के डीआईजी रईस मोहम्मद बट बताते हैं कि हमले के बाद से पूरे इलाके में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। आतंकियों को पकड़ने के लिए 11 दल बनाए गए हैं। कई लोगों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस की ओर से चार आतंकियों के रेखाचित्र जारी किए गए हैं। साथ ही इनके बारे में जानकारी देने वाले को 20 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की गई है।
बता दें कि बीते एक सप्ताह के अंदर जम्मू संभाग में आतंकियों ने चार हमलों को अंजाम दिया है। अचानक बढ़ते हमलों और इस क्षेत्र को अशांत करने के पीछे की वजह बताते हुए कश्मीर इमेजेज के संपादक बशीर मंजर कहते हैं कि बिना खून-खराबे के लोकसभा चुनाव का संपन्न होना और राज्य में आती स्थिरता से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। दूसरा, चुनाव में राज्य के लोगों ने बढ़-चढ़कर लोकतंत्र में आस्था जताई और मतदान किया। यह पहली बार है कि जब गांव—देहात और शहर के अधिकतर लोगों ने विकास के लिए मतदान करके मुख्य धारा मेें शामिल होने की इच्छा स्पष्ट रूप से प्रकट की। तीसरा, मतदान का ग्राफ बहुत बढ़ा है।
निश्चित ही ये सभी कारण हैं, जिनके चलते पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं। घाटी के स्वतंत्र पत्रकार राजा मुनीब कहते हैं कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से पाकिस्तान समर्थित आतंकी गैर स्थानीय लोगों, पर्यटकों और अल्पसंख्यक नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। ऐसे हमलों के पीछे की वजह साफ है। पहला, जम्मू-कश्मीर के भीतर सुरक्षा और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना।
दूसरा, भारत के बाकी हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना। मैं मानता हूं कि जम्मू क्षेत्र में हमले एक स्पष्ट संकेत हैं कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी 2019 से क्षेत्र की हिंदू आबादी को लक्षित करने की साजिश पर काम कर रहे हैं। 6 अगस्त 2019 के बाद सबसे घातक हमला साल 2021 में हुआ था, जब एक महीने में कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने 11 नागरिकों की हत्या कर दी थी।
रियासी के बाद आतंकवादियों ने 11 जून को कठुआ को निशाना बनाया। और यहां आम लोगों के घरों, सड़क से गुजर रहे लोगों पर फायरिंग की। सूचना मिलते ही पुलिस और सुरक्षा बलों ने मौके पर पहुंचकर आतंकवादियों को घेरने की कोशिश की। इलाके में आतंकियों को पकड़ने के लिए एक सर्च अभियान चलाया गया। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराने में सफलता हासिल की। तो वहीं एक जवान भी वीरगति को प्राप्त हो गया। इस दौरान आतंकियों के पास से अत्याधुनिक हथियार सहित पाकिस्तान में बनी चीजें बरामद हुई हैं। आतंकियों ने इसी दिन डोडा में भी हमले को अंजाम दिया।
यहां आतंकियों ने पुलिस और सेना के नाके पर फायरिंग की। इसके बाद यहां भी मुठभेड़ हुई। हमले में सेना के पांच जवान सहित जम्मू—कश्मीर पुलिस का एक जवान घायल हो गया। यह हमला कठुआ जिले के सीमावर्ती गांव सैदा सुखल में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी के बमुश्किल कुछ घंटों बाद ही अंजाम दिया गया था। जम्मू संभाग में हुए आतंकी हमलों पर एडीजीपी आनंद जैन कहते हैं, ‘हमारा पड़ोसी दुश्मन हमेशा हमारे देश में शांतिपूर्ण माहौल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता रहता है। हाल की घटनाएं उसी का रूप हैं। लेकिन हम इतना जरूर कहना चाहेंगे कि जम्मू—कश्मीर पुलिस पूरी तरह से आतंक के सफाए के लिए काम कर रही है।’
बहरहाल, अमरनाथ यात्रा के नजदीक आते ही राज्य में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी सक्रिय दिखने लगे हैं। लेकिन जम्मू—कश्मीर पुलिस ने स्पष्ट किया है कि किसी भी नापाक हरकत का जवाब उसी तीव्रता के साथ दिया जाएगा। हमारे जवान किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर दम तैयार हैं।
Leave a Comment