राजस्थान में बढ़ते इस्लामिक कट्टरपंथ के कारण लव जिहाद जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। आए दिन प्रदेश में हो रही इस तरह की वारदातों से निपटने के लिए प्रदेश की भजनलाल सरकार ‘लव जिहाद’ और ‘कन्वर्जन’ की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कानून लाने जा रही है।
राज्य सरकार ने फैसला किया है कि वह वर्ष 2008 में लाए गए ‘राजस्थान धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक’ को निरस्त कर उसकी जगह नया कानून लाएगी। इस कानून को 16 वर्ष पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा लाया गया था। हालांकि, इसे राज्य विधानसभा से पारित करने के बाद भी राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली थी। ऐसे में यह कानून नहीं बन पाया था।
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विधेयक में क्या था प्रावधान
पूर्व सीएम द्वारा लाए गए विधेयक के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को दूसरे धर्म में धर्मान्तरण करने से पहले जिलाधिकारी से इसके इजाजत लेनी पड़ती थी। यहीं नहीं 2008 के विधेयक में लिखा था कि गैरकानूनी तौर पर अगर कोई कन्वर्जन करवाता है और वह दोषी पाया जाता है तो उसे पांच साल की सजा हो सकती है।
और अधिक मजबूत कानून बनाने जा रही सरकार
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भजन लाल की सरकार लव जिहाद और कन्वर्जन पर लगाम लगाने के लिए कमर कस चुकी है। इसके लिए राजस्थान के गृह विभाग ने पुराने विधेयक को वापस लेने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। गृह विभाग के सूत्रों के हवाले से द न्यू इंडियन एक्सप्रेस कहता है कि क्योंकि मौजूदा विधेयक को कानून नहीं बनाया जा सका है इस कारण से इसे वापस लेने की आवश्यकता है।
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राज्य सरकार न केवल राजे के धर्मांतरण विरोधी विधेयक को खत्म करने जा रही है, बल्कि इसे एक और अधिक मजबूत कानून के साथ बदलने जा रही है। माना जा रहा है कि नए विधेयक में प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, लालच, धोखाधड़ी या जबरदस्ती किए गए कन्वर्जन के मामले में दोषी को तीन साल की जैल और 25, 000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा नाबालिगों, महिलाओं या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्तियों के धर्म परिवर्तन के लिए पांच साल की कैद और 50,000 रुपये तक के जुर्माने का भी सुझाव है।
राजस्थान में नहीं है कोई धर्मान्तरण विरोधी कानून
गौरतलब है कि राजस्थान में वर्तमान में लव जिहाद और धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाला कोई विशेष कानून नहीं है। यही कारण है कि राजस्थान का अलवर, अजमेर, उदयपुर जैसे जिले कट्टरपंथियों का अड्डा बनते जा रहे हैं।
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