इटली में ग्रुप ऑफ सेवेन (G-7) देशों का शिखर सम्मेलन हो रहा है, जिसमें पहले दिन इजरायल औऱ हमास के बीच चल रहे युद्ध का मुद्दा छाया रहा है। वैश्विक नेताओं ने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास से पिछले माह मई में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा लाए गए बंधक-युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार करने का आह्वान किया।
G-7 की मीटिंग में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने कहा कि अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव का समर्थन तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी कर चुका है। अब यह बेहद अहम है कि इसे हर कोई लागू करे। इसलिए हमास से आवश्यक सहमति देने की मांग करते हैं, ताकि इस पर आगे बढ़ा जा सके।
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हालांकि, जर्मन चांसलर की इस मांग पर आतंकी संगठन हमास कहता है कि उसने अमेरिकी प्रस्तावों में कुछ करेक्शन किए हैं। हमास ने एक बयान में कहा है कि किसी भी युद्ध विराम समझौते को युद्ध के स्थायी अंत की गारंटी देनी चाहिए। इस पर इजरायल ने हमास की मांगों और प्रतिक्रिया को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि आतंकी समूह का यह बयान प्रस्ताव को खारिज करने के बराबर है।
इस बीच शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने कहा कि उन्होंने गाजा में तत्काल युद्ध विराम के लिए अमेरिकी मध्यस्थता प्रस्ताव के लिए सर्वसम्मति से समर्थन की पुष्टि की है।
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क्या था अमेरिका का प्रस्ताव
गौरतलब है कि इजरायल हमास के बीच चल रहे युद्ध का अंत करने के लिए पिछले माह मई में अमेरिका एक प्रस्ताव लेकर आया था, जिसमें इजरायली प्रस्ताव के अंशों में तीन चरणीय योजना की परिकल्पना की गई है, जिसकी शुरुआत छह सप्ताह के पहले चरण के संघर्ष विराम से होगी, जिसके दौरान हमास शेष जीवित महिला, बुजुर्ग और बीमार बंधकों को रिहा करेगा। इसके बदले में इजरायल उसकी जेलों में फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करता, गाजा से अपनी सेना को वापस बुलाता, गाजा पट्टी के सभी क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों को वापसी की इजाजत औऱ प्रतिदिन 600 ट्रक मानवीय सहायता के प्रवेश की इजाजत देता।
हालांकि, हमास के अड़ियल रवैये से इजरायल ने अपना रुख और कड़ा कर लिया है।
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