ब्रिटेन में जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं और ऐसा देखा गया है कि वहाँ पर हर वह समूह अपना घोषणापत्र जारी करता है, जो वहाँ पर वोट देता है और महत्वपूर्ण अंग होता है। यह भी बहुत रोचक है कि ब्रिटेन में हिन्दू समुदाय वहाँ के आर्थिक एवं सांस्कृतिक दोनों ही पहलुओं में अहम भूमिका निभाता है, मगर पिछले कुछ वर्षों में ब्रिटेन में हिंदूफोबिया या कहें हिन्दू घृणा के मामले बढ़े हैं।
हिंदूफोबिया का अर्थ हुआ हिंदुओं से डर, मगर हिंदुओं से डर किसी को नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़े वर्ग को हिंदुओं से घृणा है, और वह गाहे-बगाहे परिलक्षित होती रहती है। विदेशों में बसे हुए हिन्दू लगातार इसी घृणा का शिकार हो रहे हैं और यह बहुत ही संतोष की बात है कि अब इस घृणा के प्रति आवाज उठ रही है। ब्रिटेन में 4 जुलाई को होने वाले चुनावों में वहाँ के हिन्दू समुदाय ने भी अपना घोषणा पत्र जारी किया है और जिसे लेकर चर्चा भी हो रही है।
यह घोषणा पत्र हिन्दू समुदाय की ओर से उन मुद्दों की बात करता है, जो उस समूह के साथ लगातार हो रहे हैं। इस घोषणा पत्र में लिखा है कि यूके के हिन्दू समुदाय की ओर से हिन्दू घोषणा पत्र 2024 आधिकारिक रूप से जारी किया जाता है। इसमें लिखा गया है कि यह बहुप्रतीक्षित मैनिफेस्टो पूरे यूके में विभिन्न हिन्दू संगठनों के साथ मिलकर न केवल यूके के हिंदुओं बल्कि पूरे देश और उसके लोगों की प्रगति के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता के रूप में बनाया गया है।
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Ahead of the UK elections, Hindu groups in Britain have released a 'Hindu Manifesto' which asks for anti-Hindu hate to be officially recognized as a hate crime, among other requests.#Kalki2898AD #Prabhas #UL #Hindu pic.twitter.com/rFj7ODOXrc
— Bharat Spectrum (@BharatSpectrum) June 10, 2024
इस घोषणापत्र में हिन्दू समुदाय की ओर से कुल सात मांगे संसदीय उम्मीदवारों और आगामी सरकार से की गई है। इन आश्वासनों का उद्देश्य है कि ब्रिटिश समाज के विशाल स्वरूप के साथ हिन्दू मूल्यों और हितों की प्रगति, विकास और संरक्षण को सुनिश्चित किया जाए।
इस घोषणापत्र की सात मांगे हैं:-
1- इसकी पहली मांग है कि हिंदू-विरोधी घृणा से भरी बातों और घटनाओं को धार्मिक घृणा का अपराध घोषित करना और ऐसा करने वाले व्यक्तियों या संगठनों को दंड देना
2- दूसरी मांग है कि हिंदुओं की आस्था से जुड़े धार्मिक स्थलों का संरक्षण करने किया जाए
3- तीसरी मांग है कि हिन्दू समुदायों के बच्चों के लिए निष्पक्ष शिक्षा उपलब्ध कराई जाए,
4- चौथी मांग है कि हिंदुओं के लिए समान प्रतिनिधित्त्व और अवसर उपलब्ध कराए जाएं
5- पाँचवी मांग है कि इमिग्रेशन को व्यवस्थित एवं नियमबद्ध किया जाए
6- छठी मांग है कि हिंदुओं के लिए स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल को बेहतर किया जाए
7- सातवीं मांग है कि हिंदुओं से जुड़ी धार्मिक मूल्यों की पुष्टि करना और उनका संरक्षण करना
इसमें यह भी कहा गया है कि हिन्दू घोषणापत्र 2024 को कई संसदीय उम्मीदवारों ने समर्थन प्रदान किया है और उन्होनें इस घोषणापत्र के उद्देश्यों को लेकर अपनी सहमति व्यक्त की है। यह घोषणापत्र यूके के हिन्दू समुदाय के एकीकृत आवाज है, जिसमें विविध पृष्ठभूमि एवं क्षेत्रों के हिन्दू समुदाय के लोग इन सातों आश्वासनों को लेकर एकसाथ आए हैं।
पश्चिमी देशों मे हिंदुओं के प्रति हिंसा पिछले कुछ समय से बढ़ी है और इससे ब्रिटेन भी अछूता नहीं रह गया है। वर्ष 2022 में ब्रिटेन के लेस्टर शहर में हिन्दू समुदाय किस प्रकार सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हुआ था, यह किसी से छिपा नहीं है। हिंदुओं के मंदिरों पर हमला हुआ था।
और पिछले कुछ महीनों में ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देशों में खालिस्तानी तत्वों ने भी अपना सिर उठाया है और यह भी देखा गया कि उन्होनें भारतीय मिशन पर हमला किया, भारतीय ध्वज का अपमान किया और साथ ही भारत के प्रति प्रेम करने वाले लोगों को भी अपना निशाना बनाया।
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इतना ही नहीं हिन्दू छात्रों को मुस्लिम कट्टरपंथी निशाना बना रहे हैं, ऐसे भी समाचार और घटनाएं लगातार प्रकाश में आए। शिक्षा को लेकर तभी हिन्दू समुदाय ने अपनी चिंता रखी है, कि शिक्षा ऐसी हो जिसमें उनकी धार्मिक पहचान के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव न हो।
इस घोषणापत्र में कई संगठन साथ मिलकर आए हैं। इसमें लिखा है कि कैसे पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन जैसे जेकेएलएफ, लश्कर ए तैयबा और इंटेरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, यूके के हिंदुओं और बहरतीयों के खिलाफ आतंकी हरकतें कर रहे हैं और उनका लक्ष्य भारत को अस्थिर करना है। सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठन भी भारत के खिलाफ वहाँ पर सक्रिय हैं। हिंदुओं के इस मैनिफेस्टो में यह मांग की गई है कि यूके में शांति, अस्थिरता और एकता के सिद्धांतों के बने रहने के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे संगठनों पर लगाम लगाई जाए। हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हमलों पर बात करते हुए यह मांग की गई है कि मंदिरों की सुरक्षा के लिए भी उसी प्रकार का अनुदान दिया जाए, जैसा कि यहूदी धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए दिया गया है।
हिन्दू अभिभावक अपने बच्चों को जीसीएसई स्तर पर हिन्दूधर्म का अध्ययन नहीं करवा सकते हैं और जिसके कारण विश्व के तीसरे सबसे बड़े धर्म के प्रति न ही लोग समझ पाते हैं और न ही उस धर्म के बच्चों को और दूसरे पंथों के जैसे अधिकार मिल पाते हैं।
यह मैनिफेस्टो उन सभी विषयों पर खुलकर बात करता है, जिनपर अभी तक विदेशों में बात नहीं होती थी, और इसे अब खुलकर कहना पड़ेगा कि हिंदुओं के प्रति विदेशों में एक वर्ग के द्वारा हिन्दू फोबिया नहीं बल्कि हिंदुओं के अस्तित्व के प्रति घृणा फैलाई जा रही है, जिस घृणा से लड़ने की बात यह घोषणापत्र कर रहा है।
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