केरल की वामपंथी सरकार में अपराध तो एक बड़ी समस्या है ही, लेकिन नाबालिग लड़कियों के मां बनने को लेकर रिपोर्ट सामने आने के बाद केरल के सामाजिक मानदंडों पर एक बड़ा धब्बा बन गया है। एक नवीनतम सरकारी डेटा से पता चला है कि 15-19 आयु वर्ग की महिलाओं से 12939 बच्चों का जन्म वर्ष 2022 में हुआ था।
रिपोर्ट के मुताबिक, पता चला है कि 12939 बच्चों में से 12606 बच्चों का जन्म प्रसव में, 215 बच्चों का जन्म दूसरे प्रसव में, 67 का तीसरे प्रसव में, 27 बच्चों का जन्म चौथे प्रसव में, 5 बच्चों का जन्म पांचवे प्रसव में और तीन बच्चों का जन्म छठे प्रसव में हुआ है। हालांकि, 16 शिशुओं के जन्म का क्रम नहीं बताया गया है। वहीं 15 साल से कम उम्र की माताओं से सात बच्चों का जन्म हुआ।
केरल में साल 2021 में सबसे ज्यादा 15-19 साल की लड़कियों के 15,501 बच्चे पैदा हुए, जबकि 15 साल की कम उम्र की लड़कियों ने भी 5 बच्चों को जन्म दिया था। जबकि, 2022 में यह आंकड़ा कुछ कम रहा। सरकारी आंकड़ों की मानें तो 12, 939 जन्म लेने वाले बच्चों में 4,465 हिंदू परिवारों में, 7,412 मुस्लिम परिवारों में, 417 ईसाई परिवारों में और 641 अन्य धर्मों से पैदा हुए। हालांकि, कुछ बच्चों के धर्मों का खुलासा आंकड़ों में नहीं किया गया है।
कच्ची उम्र में बढ़ते जन्म दर के आंकड़ों को लेकर वैश्विक संस्था यूनिसेफ ने कहा कि है कि अगर 18 साल से कम उम्र में बच्चे पैदा किए गए तो इससे स्वस्थ विकास पटरी से उतर सकता है।
वैश्विक बॉडी का कहना है कि कच्ची उम्र में बच्चे को जन्म देने से इन लड़कियों की शिक्षा, आर्थिक विकास और उनका स्वास्थ्य सब कुछ बिगड़ सकता है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल में वर्ष 2011 के बाद से हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। प्रदेश में साल दर साल कच्ची उम्र में बच्चों को जन्म देने की दर बढ़ रही है, जो कि चिंता का विषय है। 2022 में केरल की कच्ची जन्म दर (CBR) – प्रति 1,000 जनसंख्या पर जीवित जन्म – 2021 में 11.94 के मुकाबले 12.82 थी। 2022 में 4,39,742 जीवित जन्म हुए। उनमें से 2,23,222 पुरुष और 2,16,494 महिलाएं थीं। 26 शिशुओं के लिंग की पहचान नहीं की गई। 2021 में, 4,19,767 जीवित जन्म हुए।
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