दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के मामले में आरोपित बिभव कुमार की दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी है। स्पेशल जज एकता गौबा मान ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और पीड़िता के दिलों दिमाग में अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा बना हुआ है।
जांच और सुरक्षा पर कोर्ट की चिंता
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि स्वाति मालीवाल एक प्रतिष्ठित राजनीतिक दल की सांसद हैं और वे अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने गई थीं। इस परिप्रेक्ष्य में, कोर्ट ने इस बात की भी आशंका जताई कि अगर बिभव कुमार को जमानत दी जाती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है, जिससे मामले की निष्पक्षता पर असर पड़ेगा।
पिछली जमानत याचिका भी हुई थी खारिज
गौरतलब है कि तीस हजारी कोर्ट ने बिभव कुमार की पहली जमानत याचिका भी 27 मई को खारिज कर दी थी। यह मामला तब से ही सुर्खियों में है और कोर्ट का फैसला इस दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
घटना की पृष्ठभूमि
यह घटना 13 मई की है जब स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की। इसके बाद, 17 मई को स्वाति मालीवाल ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था और 18 मई को दिल्ली पुलिस ने बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया था। 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।
उच्च न्यायालय में याचिका
बिभव कुमार ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए मुआवजे की मांग की है। बिभव कुमार ने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी के समय अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए का पालन नहीं किया गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।
अब आगे क्या..?
इस मामले में कोर्ट का फैसला और जांच की प्रगति आने वाले समय में महत्वपूर्ण हो सकती है। स्वाति मालीवाल एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं और इस मामले की निष्पक्षता को सुनिश्चित करना न्यायपालिका की प्राथमिकता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा और जांच के दृष्टिकोण से बिभव कुमार को जमानत देना उचित नहीं होगा। इस घटनाक्रम पर सभी की निगाहें बनी रहेंगी और आगे के कानूनी प्रक्रियाओं का सभी को इंतजार है।
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