-अविनाश सिंहल (42) अपने परिवार के साथ लगभग 10 साल से वैंकूवर में रहते हैं। एक बड़ी कंपनी में कार्यरत अविनाश आस्थावान हिन्दू हैं और हर रविवार को स्थानीय मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए जाते रहे हैं। लेकिन इधर लगभग दो साल से उन्होंने वहां भारतीयों, विशेषकर हिन्दुओं के प्रति वैमनस्यता बढ़ती देखी है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि हिन्दू परिवारों और मंदिरों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है! खालिस्तानी नारे लगाते उग्र सिख तत्व क्यों समुदाय में एक दरार पैदा कर रहे हैं।
-केतन पटेल (54) ओंटारियो में पिछले 18 साल से अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रह रहे हैं। कनाडा के एक बड़े बैंक में कार्यरत केतन धर्मप्रिय हिन्दू हैं, समुदाय के साथ मंदिर में हर त्योहार धूमधाम से मनाते आए हैं। लेकिन इस बार दिवाली, होली जैसे त्योहारों पर भी डर का एक साया दिखा, खालिस्तानी तत्वों की धमकियां और पुलिस प्रशासन की उन पर लगाम लगाने में नाकामी से केतन खिन्न हैं। अब वे परिवार के साथ देर रात किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने नहीं जाते। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि भारतवंशियों के प्रति दुर्भावना पैदा करने वाले खालिस्तानियों पर वहां की सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? क्यों उन्हें खुली छूट दी हुई है?
ये सवाल सिर्फ अविनाश और केतन के मन को ही नहीं मथ रहे हैं, बल्कि कनाडा में रह रहे लगभग 13 लाख भारतवंशियों को भी यह सोचने पर विवश किए हुए हैं कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर भारत और हिन्दू विरोधी खालिस्तानियों को कब तक अनदेखा करते रहेंगे? कनाडा में भारतवंशियों के प्रति ऐसा माहौल क्यों बना है? प्रधानमंत्री त्रूदो अलगाववादी उग्र खालिस्तानी तत्वों और उनके अराजक संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) को ‘इंजस्टिस’ (अन्याय) करने की छूट क्यों दे रहे हैं?
इन सवालों के जवाब कुछ हद तक, पाकिस्तान की भारत विरोधी सोच और त्रूदो की राजनीतिक मजबूरियों में छुपे हैं। पाकिस्तान की सैन्य गुप्तचर संस्था आईएसआई का ‘भारत तोड़ो’ एजेंडा कोई छुपा राज नहीं रहा है। वह एसएफजे के कर्ताधर्ता गुरपतवंत सिंह पन्नू सरीखे चरमपंथी तत्वों के माध्यम से फिर से खालिस्तान आंदोलन को उकसा कर भारत को परेशान करने का षड्यंत्र रचता रहा है।
कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में एसएफजे की भारत विरोधी उग्र गतिविधियां प्रायोजित की जाती रही हैं। कनाडा में भारत विरोधी वातावरण बनने के पीछे एक बड़ी राजनीतिक वजह भी है। वहां 2021 के चुनाव में प्रधानमंत्री त्रूदो ने अपने कट्टर विरोधी रहे, खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी से गठबंधन किया था। पैसे और वोटों से त्रूदो को भरपूर समर्थन दे रहे जगमीत वहां की सरकार को अपने इशारों पर चलाते आ रहे हैं। भारत में 2020 में भारत विरोधी देशी-विदेशी तत्वों द्वारा भड़काए गए ‘किसान आंदोलन’ का भी त्रूदो ने अपने यहां सिख वोटों और पैसे को देखते हुए समर्थन किया था।
पिछले साल 18 जून को सर्रे के एक गुरुद्वारे के सामने अज्ञात लोगों की गोलियों से ढेर हुए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में सितम्बर 2023 में ‘भारत का हाथ’ बताकर त्रूदो ने भारत सरकार के सब्र की हद लांघ दी थी। कुख्यात आतंकी निज्जर की एके47 थामे तस्वीर पूरी दुनिया में वायरल हो चुकी थी, लेकिन त्रूदो ने झूठा भारत विरोधी विमर्श खड़ा करने के लिए ‘…हत्या में भारत का हाथ’ की रट लगाए रखी।
इस वजह से जहां भारत-कनाडा संबंधों में तल्खी आई वहीं उस देश में भारतवंशियों, विशेषकर हिन्दुओं के विरुद्ध वैमनस्यता का माहौल खड़ा किया जाने लगा। खालिस्तानी तत्व खालिस्तानी झंडे लिए सड़कों पर उतरकर भारत और प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध अपशब्द बोलने लगे। भारत के उच्चायुक्त और कोंसुलर जनरल के कार्यालयों पर उपद्रव किए जाने लगे। भारतीय उच्चायुक्त और अन्य कर्मियों को जान से मारने की धमकियों के पोस्टर चिपकाए गए, लेकिन त्रूदो सरकार आंख मूंदे रही।
कनाडा में भारत, हिन्दुओं और भारत सरकार के विरुद्ध बनाई गई स्थितियों पर नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर इंटीग्रेटिड एंड होलिस्टिक स्टडीज’ (सीआईएचएस) ने विस्तृत अध्ययन के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। गत 15 मई को जारी हुई इस रिपोर्ट ‘कनाडा अनसेफ फॉर इंडियंस एंड हिन्दूज’ में कनाडा के विभिन्न शहरों में हिन्दुओं, उनके मंदिरों और भारत के विरुद्ध हुई घटनाओं का ब्योरा है, तो वहां की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण भी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी उग्रपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। सितम्बर 2023 में कनाडा के सर्रे शहर में माता भामेश्वरी दुर्गा मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। अलगाववादी समूह एसएफजे ने वैंकूवर में भारत के वाणिज्य दूतावास को बंद करने की धमकी दी थी। उधर ओटावा में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानी तत्वों ने हमले की तैयारी कर रखी थी। इससे पहले अगस्त 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में ही एक मंदिर को निशाना बनाया गया था। मंदिर के गेट पर खालिस्तानी आतंकी निज्जर के पोस्टर चिपके दिखे थे।
रिपोर्ट आगे बताती है कि कनाडा में भारतीयों और हिंदुओं को खालिस्तानी उग्रपंथी और जिहादी संगठनों, दोनों के खतरों से निपटना पड़ रहा है। हिन्दुओं को हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है, उनके सामुदायिक केंद्रों और पूजा स्थलों को नष्ट किया जा रहा है। 2017 में ओंटारियो में विशेष रूप से हिंदुओं को ‘टारगेट’ किया गया। खालिस्तानी उग्रवाद का खतरा कनाडा में भारतीयों के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है।
कनाडा का खालिस्तानियों को शह देना अस्वीकार्य: मोदी
सितम्बर 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री त्रूदो को उनके देश में भारतवंशियों के प्रति हो रही हिंसा को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया था। मोदी ने कहा था कि कनाडा में उग्रपंथी तत्वों को मिल रही शह किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। भारतीय समुदाय, विशेषकर हिन्दुओं के पूजा स्थलों पर बढ़ते हमलों और भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानी तत्वों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने की घटनाओं पर भारत ने अपने आक्रोश से अनेक अवसरों पर कनाडा के प्रधानमंत्री और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को परिचित कराया है। कनाडा जिस ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ को आड़ बना रहा है, वह कितनी बेमानी है, यह बात भी मोदी ने त्रूदो को जता दी थी। मोदी ने साफ कहा था कि भारत-कनाडा संबंधों के आगे बढ़ने में ‘परस्पर सम्मान तथा विश्वास’ बहुत जरूरी है।
हाल की कुछ हिन्दू/भारत विरोधी घटनाएं
- 29 दिसंबर, 2023: खालिस्तानी आतंकियों ने सर्रे के लक्ष्मी नारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष सतीश कुमार के घर पर रात 2 बजे हमला बोला। वहां तोड़फोड़ की, गोलियां चलाईं।
- जनवरी 2024: एबॉट्सफोर्ड, सर्रे, वेस्ट वैंकूवर, व्हाइट रॉक, एडमंटन और ओंटारियो में भारतवंशियों से जबरन पैसे ऐंठने की एक के बाद एक कई घटनाएं हुईं। बदमाशों ने भारतवंशी कारोबारियों से ‘संरक्षण राशि’ के रूप में 20 लाख डालर तक की मांग की। भारत सरकार ने इसमें खालिस्तानी तत्वों के शामिल होने का शक जताया।
- 11 मार्च 2024: कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा एडमंटन में भरतीय-कनाडाई वाणिज्य संघ के कार्यक्रम में पहुंचे तो कम से कम 80 खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शन किया,भारत के प्रति अपमानजनक नारे लगाए। खालिस्तानियों ने तिरंगे का अपमान किया। कुछ तो कथित तौर पर हथियारों से लैस थे।
- 5 मई 2024: ओंटारियो में एक विवादास्पद रैली हुई, खालिस्तानियों ने खुलकर भारत विरोधी नारे लगाए। रैली ओंटारियो गुरुद्वारा कमेटी के वार्षिक नगर कीर्तन परेड का हिस्सा थी, इसमें बड़ी संख्या में खालिस्तानी तत्व शामिल थे।
खालिस्तानियों को शह देना गलत: जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर कनाडा में वहां की सरकार की शह पर खालिस्तानियों के बढ़ते हौसलों पर नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने भारत विरोधी हिंसक खालिस्तानियों को मिल रहे राजनीतिक समर्थन पर कड़ा रुख दिखाया है। मंदिरों पर हमले को भी भारत के विदेश मंत्री बहुत बड़ा मुद्दा मानते हैं। वे इसके पीछे वोट बैंक राजनीति को वजह मानते हैं। कहने को तो नई दिल्ली में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरॉन मैके भारत विरोधी खालिस्तानी उपद्रवों की निंदा करते हैं और कहते हैं कि ‘कनाडा में हिंसा का समर्थन करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है’, लेकिन उस देश में ऐसी चीजों पर रोक लगाने के लिए धरातल पर कुछ ठोस होता नहीं दिखता।
खालिस्तानियों के विरुद्ध सख्ती हो: आर्य
गत नवम्बर में कनाडा के हिंदू सांसद चंद्र आर्य ने हिन्दू समुदाय के विरुद्ध बढ़ रहीं हिंसक घटनाओं की आलोचना करते हुए कड़े कदम उठाने की मांग की थी। आर्य ने खालिस्तानी तत्वों द्वारा सर्रे स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ से जुड़ा एक वीडियो भी साझा किया था। आर्य मानते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिन्दुओं और उनके मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू-कनाडाई लोगों के विरुद्ध नफरती अपराध किए जा रहे हैं, लेकिन ऐसे कृत्यों पर कोई रोक नहीं दिखती। यह स्वीकार्य नहीं है।
यह रिपोर्ट सवाल उठाती है कि, क्या कनाडाई सरकार जानबूझकर ऐसी भारत विरोधी गतिविधियों की छूट दे रही है, या वह खालिस्तानी समूहों द्वारा की जा रही आतंकवादी गतिविधियों से अनजान है? क्या यह संभव है कि कनाडा उस भयावह कनिष्क बम कांड को भूल गया है, जिसमें 268 कनाडाई नागरिकों की जान गई थी, जिनमें से कई भारतीय मूल के थे? खालिस्तानी आतंकवादियों ने भारत के अंदर और बाहर कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है।
इसलिए, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के अधिकार के तहत क्या कनाडा इस्लामिक स्टेट आफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) को भी ‘अहिंसक विरोध प्रदर्शन’ करने देगा? रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि कनाडा और भारत के बीच राजनयिक संबंध दोनों देशों के आर्थिक, सांस्कृतिक और भू-राजनीतिक हितों से उपजे हैं। कनाडा सरकार सुनिश्चित करे कि उसका कोई भी काम या नीति इन संबंधों को खतरे में न डाले। भारत विरोधी कृत्यों पर लगाम लगाने के लिए कनाडा की सरकार राजनयिक कदम उठा सकती है। सार्वजनिक रूप से हिंसा या घृणा उकसाने वाली घटनाओं, प्रदर्शनों और बयानों की निगरानी करनी जरूरी है।
लेकिन जगमीत सिंह जैसे नेता के राजनीतिक सहारे पर टिके प्रधानमंत्री त्रूदो भारत विरोधी दुष्प्रचार और खालिस्तानी हरकतों पर लगाम लगाने के गंभीर प्रयास करेंगे या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा।
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