भोपाल: राजगढ़ और इटारसी में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिक्षा वर्गों और वनखेड़ी में आयोजित घोष वर्ग का रविवार को समापन हो गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने 20 दिनों में प्राप्त प्रशिक्षण का प्रदर्शन किया। राजगढ़ के जीरापुर में वर्ग के समापन समारोह को प्रांत के संघचालक अशोक पांडेय जी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हर भारतवासी में राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र निर्माण के लिए हुई है।
प्रांत संघचालक पांडेय जी ने कहा कि जब डॉ. हेडगेवारजी ने संघ की स्थापना की, तब स्वतंत्रता का आंदोलन चल रहा था। उस समय उन्होंने अध्ययन, चिंतन किया और अंततः विचार किया कि देश को भले ही स्वतंत्रता प्राप्त हो जाए, लेकिन जब तक हममें यह विचार नहीं होगा कि हम पराधीन क्यों हुए। तब तक स्वतंत्रता स्थाई नहीं होगी। उन्होंने चिंतन के बाद पाया कि हम सामाजिक दृष्टि से एक नहीं थे, आपस में फूट थी, भेदभाव था, देश में एकता नहीं थी। इसलिए हमारी आजादी का अपहरण हुआ। इसलिए देश में राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र की स्थापना के लिए संघ की स्थापना हुई।
पांडेय जी ने कहा कि संघ ने स्थापना के बाद कई संघर्ष किये। दमन भी झेले, लेकिन उपेक्षा और दमन के बाद भी संघ कार्य में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भागवत भूषण संत श्री प्रेमनारायण जी गेहूखेड़ी वाले एवं वर्ग के सर्वाधिकारी सुनील जी पाठक उपस्थित रहे।
‘संघ का उद्देश्य हमेशा पवित्र रहा’
पांडेय जी ने कहा कि संघ का उद्देश्य हमेशा पवित्र एवं ईश्वरीय कार्य रहा है। लोगों के चरित्र का निर्माण करने में संघ ने समाज में अपनी भूमिका अदा की है। स्वतंत्रता आंदोलन में संघ के स्वयंसेवकों ने भाग लिया। बंटवारे की त्रासदी में संघ ने कई राहत सेवा की। उन्होंने कहा कि समाज में संघ के विचार को फैलाया है। सेवा कार्य, समरसता का कार्य संघ के मूल में प्रारंभ से रहा है। चीन,पाकिस्तान से हुए युद्ध में स्वयंसेवकों ने सेना की मदद की। आज भी सम्पूर्ण देश में संघ द्वारा 1 लाख 50 हजार से अधिक सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं।
‘मनुष्य गुण, स्वभाव, श्रेष्ठता के आधार पर बड़ा’
उन्होंने कहा कि देश के अनेक मनीषियों ने समाज को समरस करने के कार्य किये। संघ भी समाज में समरसता लाने के लिए सतत कार्य करता है। अनेक मनीषियों ने पूर्व में भी समाज में यह भाव स्थापित किया कि गुण स्वभाव और श्रेष्ठता के आधार पर मनुष्य बड़ा होता है। जन्म और कुल के आधार पर नहीं। इसी के आधार पर संघ भी समाज मे समरसता स्थापित करने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। पर्यावरण के क्षेत्र में भी संघ कई कार्य कर रहा है। नागरिक अनुशासन, कुटुंब प्रबोधन, ग्राम विकास के माध्यम से देश के लोगों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने का कार्य भी संघ कर रहा है। साथ ही स्व का बोध कराने के लिए भी निरंतर कार्य जारी है। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव केवल हिन्दू धर्म में हैं। भारत को जानो, भारत को मानो और भारत के बनो। इस दिशा में भी संघ काम कर रहा है।
‘युवाओं में परिवार भाव जगाना आवश्यक’
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूज्य संत श्री प्रेमनारायण जी गेहूंखेड़ीवाले ने कहा कि हमारे भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है। युवा ही इस देश के भविष्य निर्माता है। इसलिए युवाओं में परिवार का भाव नितांत आवश्यक है। परिवार भाव एवं कुटुंब प्रबोधन से ही राष्ट्रप्रेम का भाव जागृत होगा। जिससे हमारा भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा। आज के परिवेश में हम देख रहे हैं कि जिस प्रकार परिवार टूट रहे हैं और युवाओं के मन में परिवार भाव कम हो रहा है। वह हम सबके लिए चिंता का विषय है। इसलिए हम सबको परिवार भाव का जागरण करना होगा और कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से समाज को जागृत करना होगा।
विगत 15 दिन से चल रहे इस वर्ग में 332 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। शिक्षार्थियों ने 15 दिन में शिक्षा वर्ग में सिखे गए शारीरिक, योग, व्यायाम, दंड युद्ध, नियुद्ध, पदविन्यास आदि का प्रदर्शन किया।
संघ कार्य ही राष्ट्र कार्य है- डॉ. दिनेश जी
इटारसी में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. दिनेश जैन ने कहा कि हिन्दू होने के नाते भारत की आधारभूत परिवार व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने समता, संचलन, दंड संचालन, दंडयुद्ध, नियुद्ध, पदविन्यास एवं गीत का प्रदर्शन किया गया। इस वर्ग में संघ दृष्टि के 16 जिलों, 80 खंडों और 12 मंडलों से 316 स्वयंसेवक शामिल हुए। इस अवसर पर वर्ग के सर्वाधिकारी श्री घनश्याम जी रघुवंशी, विभाग संघचालक श्री धन्नालाल जी दोंगने, नर्मदापुरम जिला संघ चालक श्री पावन जी अग्रवाल और कार्यक्रम के अतिथि श्री मोहन जी खंडेलवाल भी मंच पर उपस्थिति रहे।
आज संघ समाज के केन्द्र में है- राजेश सेठी
वानखेड़ी के सरस्वती विद्यालय में आयोजित मध्यभारत प्रांत के 15 दिवसीय घोष वर्ग का समापन भी रविवार को संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रांत के सह संघचालक राजेश सेठी ने स्वयंसेवकों और नगर के गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी स्वतंत्रता का अमृतकाल चल रहा है और ईश्वरीय संयोग है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी अपने सौ वर्ष पूर्ण कर रहा है। आज संघ का विस्तार इतना व्यापक है कि अब संघ समाज के केंद्र में है। संघ दो विषयों को लेकर संभ्रम दूर करने कार्य कर रहा है। प्रथम, राष्ट्रीय चेतना का स्तर बढ़ाना है ताकि देश का एक प्रत्येक व्यक्ति का भाव जगे। द्वितीय, वैचारिक तंत्र का परिवर्तन होना। जब समाज का वैचारिक परिवर्तन होता तब समाज में राष्ट्रीय भावना का संचार होता है। समाज में राष्ट्रीय भावना पंच परिवर्तन के मार्ग से भी भी प्रशस्त होगी। इन पंच परिवर्तनों में समरसता, कुटुम्भ प्रबोधन, नागरिक शिष्टाचार, स्वदेशी भाव और पर्यावरण भी परिवर्तन के कारक होंगे।
उन्होंने बताया कि घोष आरम्भ से ही संघ का भाग रहा है। प्रारंभ में घोष की कुछ रचनायें अंग्रेजी घोष से ली गई थीं परंतु वर्तमान में संघ के घोष की सभी रचनाएं पूर्ण स्वदेशी हैं। संघ का घोष आज इतना सक्षम हो चुका है कि भारतीय सेना भी संघ घोष की 5-6 रचनाओं का वादन अपने घोष में करती है। यह बड़े ही गौरव का विषय है।
उन्होंने कहा कि संघ संस्कार देने की कार्यशाला है एक दिशा में सामूहिक रूप से कार्य करना संघ सिखाता हैं। यह वर्ग का समापन नहीं उद्घोष है। संघ समाज में नई चेतना जागृत करने का, वैचारिक भ्रम दूर करने एवं राष्ट्रीय चेतना का भाव जागृत करने का कार्य करता है। यह वर्ग उसी का उद्घोष है। उन्होंने पर्यावरण के विषय में कहा कि आज दुनिया ग्लोबल वार्मिंग समेत कई प्रकार की समस्याओं का सामना कर रही है। पर्यावरण की आज की गंभीर स्थिति जीवन शैली का परिणाम है जो कि पश्चिम से आई है। भारतीय संस्कृति प्राकृतिक जीवन शैली को बढ़ाने वाली है। उन्होंने प्लास्टिक पॉलिथीन के दुष्प्रभाव व वृक्षारोपण की महत्व पर चर्चा की।
इस अवसर पर जिला संघचालक शिवदयाज जी चौधरी और पूर्व सैनिक तथा समाजसेवी निरंजन वैष्णव जी भी मंच पर उपस्थित रहे। वर्ग कार्यवाह रामचन्द्र जी नागर ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि स्वयंसेवकों ने पूरे 15 दिन अपने को संघ की गतिविधि में समर्पित करते हुए आनक, प्रणव , नगाग, तुर्य , स्वरद, शंख, वंशी आदि का शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण लिया। इस वर्ग में पूरे प्रांत से 98 स्वयंसेवक शामिल हुए।
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