UAE में कुरान के प्रचार—प्रसार को लेकर सख्ती। इस आदेश के पीछे इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक अफेयर्स की वे चिंताएं हैं कि बिना किसी तरह का प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक इस्लामी पुस्तक की तालीम दे रहे हैं और ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
संयुक्त अरब अमीरात ने एक कड़ा फरमान जारी करते हुए उन सभी डिजिटल प्लेटफार्म की लगाम कसी है जो बिना लाइसेंस के कुरान पढ़ाते आ रहे थे। सरकार ने कहा है कि ऐसा लाइसेंस लेकर ही किया जाए और लाइसेंस भी उन्हीं को मिलेगा जो जरूरी शर्तें पूरी करेंगे।
इस्लामवादी देश UAE में कुरान के प्रचार—प्रसार को लेकर ऐसी सख्ती से अनेक विशेषज्ञ हैरान हैं। इस आदेश का बाकायदा एक सरकारी फरमान जारी किया गया है। उस देश में अनेक ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कुरान की तालीम दी जाती रही थी जिनके पास सरकार का दिया लाइसेंस नहीं था। इन सब पर अब प्रतिबंध लगा दिया गया है। फरामन कहता है कि ऐसे किसी भी केंद्र को बनाने या उसका संचालन करने पर रोक लगाई जा रही है जहां बिना उचित लाइसेंस के कुरान की तालीम दी जा रही है।
बताया जा रहा है कि इस आदेश के पीछे इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक अफेयर्स की वे चिंताएं हैं कि बिना किसी तरह का प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक इस्लामी पुस्तक की तालीम दे रहे हैं और ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। कहा गया है कि युवा पीढ़ी की हिफाजत को देखते हुए मजहबी सही और प्रासंगिक होनी चाहिए।
यूएई में इस्लामिक मामलों, प्रबंधन तथा ज़कात प्रशासन ने यह आदेश 2 जून को ऐसे डिजिटल प्लेटफार्म को इंगित करते हुए जारी किया है जो बिना आवश्यक शर्तों को पूरा किए कुरान संबंधी सेवाएं दे रहे हैं। यूएई के नागरिकों और वहां रहने वालों को इससे होने वाले ‘खतरों’ से सावधान रहने की यह हिदायत जैसी कही जा सकती है।
कई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिए अयोग्य लोगों द्वारा कुरान की तालीम देने जैसी सेवाएं दी जा रही हैं। इससे गलत तालीम मिलती है, इस्लामी सबक और सिद्धांतों की गलत व्याख्या गलतफहमी पैदा कर सकती है। इसलिए ऐसा न किया जाए। आवश्यक शर्तें पूरी करके ही ऐसा किया जा सकता है। इस निकाय की नजर में कई डिजिटल प्लेटफार्म हैं जो बिना लाइसेंस के विज्ञापनों के जरिए प्रचार करके युवाओं को आकर्षित करते हैं।
इस निकाय का कहना है कि कई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिए अयोग्य लोगों द्वारा कुरान की तालीम देने जैसी सेवाएं दी जा रही हैं। इससे गलत तालीम मिलती है, इस्लामी सबक और सिद्धांतों की गलत व्याख्या गलतफहमी पैदा कर सकती है। इसलिए ऐसा न किया जाए। आवश्यक शर्तें पूरी करके ही ऐसा किया जा सकता है। इस निकाय की नजर में कई डिजिटल प्लेटफार्म हैं जो बिना लाइसेंस के विज्ञापनों के जरिए प्रचार करके युवाओं को आकर्षित करते हैं। ऐसे युवाओं के माता-पिता को भी सावधान रहने को कहा गया है।
खाड़ी देशों का प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार खलीज टाइम्स इस बारे में लिखता है कि इस्लामिक मामलों के निकाय ने अयोग्य मुल्लाओं के इस्लाम की ‘पवित्र पुस्तक’ पढ़ाने पर रोक लगा दी है। अखबार कहता है कि अमीरात में, ऐसे किसी भी केंद्र को बनाने या संचालन करने अथवा कुरान पढ़ाने पर तब तक रोक लगा दी गई है जब तक कि वे प्रशासन से जरूरी लाइसेंस न ले लें।
बिना लाइसेंस के मजहबी तालीम देने वालों के लिए कड़े कानूनी दंड का प्रावधान भी है। देश के कानून बिना लाइसेंस के मजहबी तालीम आदि पर सख्त प्रतिबंध लगाए हुए हैं, और इसके नतीजों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
यूएई का कानून कहता है कि कोई भी आदमी अगर बिना लाइसेंस या परमिट लिए कुरान की तालीम देता पाया गया तो उसे कम से कम दो महीने की कैद हो सकती है तथा 50,000 दरहम से ज्यादा का जुर्माना देना पड़ सकता है, दोनों सजा साथ भी दी जा सकती हैं।
कानून में यह भी बताया गया है कि कुरान आखिर पढ़ा कौन सकता है। कहा गया है कि कुरान पढ़ाने का लाइसेंस लेने की इच्छा रखने वाले को कई शर्तें पूरी करनी होंगी। जैसे, उसकी आयु 21 वर्ष से कम न हो। उसका आचरण अच्छा हो। उसे पहले किसी ऐसे अपराध या दुष्कर्म के लिए स्वतंत्रता-प्रतिबंधक दंड की सजा न दी गई हो जो सम्मान अथवा भरोसे का उल्लंघन करता हो। उसका अपने काम के हिसाब से सेहतमंद होना जरूरी है।
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