नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। उन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था। यह मामला राष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है, और आम आदमी पार्टी के नेता को इस गिरफ्तारी के चलते कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
गिरफ्तारी और अंतरिम ज़मानत
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1 जून तक अंतरिम ज़मानत दी थी ताकि वे अपने चुनाव प्रचार के कामों को पूरा कर सकें। इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा और राजनीति से प्रेरित बताया।
अंतरिम ज़मानत बढ़ाने की याचिका
केजरीवाल की अंतरिम ज़मानत की अवधि समाप्त होने के बाद, उनके वकीलों ने दिल्ली के राउज़ ऐवेन्यू कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में अंतरिम ज़मानत बढ़ाने की मांग की गई है। कोर्ट इस याचिका पर 5 जून को फैसला सुनाएगा।
विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का समर्थन किया है और इसे एक आवश्यक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि शराब नीति घोटाले में बड़ी वित्तीय अनियमितताएँ हुई हैं और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। विपक्ष ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और जनता से अपील की कि वे इस मुद्दे पर सचेत रहें।
भविष्य की संभावनाएँ
केजरीवाल की अंतरिम ज़मानत बढ़ाने की याचिका पर 5 जून को होने वाले फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। अगर कोर्ट केजरीवाल की याचिका खारिज करता है, तो पार्टी और खुद केजरीवाल के लिए राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं। इस बीच, दिल्ली की राजनीति में यह मामला गर्माया हुआ है और आने वाले दिनों में इसके और अधिक राजनीतिक मोड़ आने की संभावना है। जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब 5 जून के फैसले पर हैं।
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