इतिहास को नक्शों के माध्यम से समझें तो वह नीरस न होकर रुचिकर हो जाता है एवं कालखंड भी आसानी से समझ में आ जाते हैं। जब इतिहास को संस्कृति के माध्यम से उकेरा जाता है तो वह हृदय में उतरता है। दीपक कुमार की अंग्रेजी पुस्तक ‘इंडियन हिस्टो मैप’ भारतीय इतिहास की मात्र घटनाक्रम ही नहीं दिखाती बल्कि अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप का खाका खींचते हुए भारत की प्राचीन संस्कृति से जोड़ती है। लेखक ने इन कालखंडों को क्यूआर कोड में दर्शाया है।
महाभारत, जो लगभग 3137 ईसा पूर्व में लिखा गया, जिसे पश्चिमी और कम्युनिस्ट दार्शनिक महाकाव्य मानते हैं, को लेखक ने इतिहास के तौर पर पुष्ट किया है। इसे सिद्ध करने के लिए वंशावलियों को महाभारतकालीन 16 महाजनपदों को पहली ईस्वीं से जोड़ा गया है। लेखक ने यह सारी जानकारी विभिन्न स्रोतों से अर्जित की है और प्रस्तावना में विस्तृत तौर पर अपना मंतव्य लिखा है। मुस्लिम आक्रमणकारियों से पूर्व भारत में 10 अन्य विदेशी आक्रमणकारी भी आये थे, इसका विस्तृत विवरण भी पुस्तक में है।
लेखक का मानना है कि आज जिसे हम अखंड भारत कहते हैं, वह वास्तव में ब्रिटिश इंडिया है। उसने काश्गर, होतान और फरगना घाटी को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताया है तथा इन्हें हिन्दू राज्य कहा है। लेखक ने अखंड भारत की विस्तृत परिभाषा दी है। पुस्तक के मुखपृष्ठ पर दिया गया चित्र उसी अखंड भारत का है।
पुस्तक 8 भागों में विभाजित है। पहले भाग में क्यूआर कोड है। दूसरे भाग में मध्य एशिया और अफगानिस्तान का इतिहास है। लेखक का कहना है कि काश्गर, होतान जो कि आज चीन का हिस्सा हैं, उस समय हिन्दू राज्य हुआ करते थे। मुस्लिमों से पूर्व 10 विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत पर हमला किया था, उसका वर्णन भाग-3 में नक्शे के साथ किया गया है। इसी भाग में अफगानिस्तान में विशेषकर उत्तरी अफगानिस्तान में जो हिन्दू राज्य थे, जिनका वर्णन महाभारत और उससे पूर्व के ग्रंथों में मिलता है, उनकी वंशावली भी दी गई है। जो भी विदेशी आक्रमणकारी मुस्लिम काल से पहले आए, उनका विस्तृत विवरण भी इसमें नक्शे के साथ दिया गया है। अफगानिस्तान में हिन्दू राज्य कैसे समाप्त हुए, वहां की विदेशी आक्रमणकारियों की वंशावली भी है। पांचवें भाग के राजघरानों के राजाओं के नाम व उनके कालखंड दिए गए हैं।
भाग-6 में पहली ईस्वी से 1900 ईस्वी तक, हर 50 वर्ष के अंतराल पर जो भी राज्य रहे, उनका नक्शों सहित वर्णन दिया गया है। भाग-7 में उन यूरोपीय कंपनियों का विवरण है, जो भारत पर राज करने और लूटने की मंशा से आईं। पाठक जानते हैं कि ब्रिटेन, फ्रांस और पुर्तगालियों ने भारत को लूटा परन्तु लेखक कहता है कि पूरे यूरोप ने भारत को लूटा है। लेखक के अनुसार वास्कोडिगामा को जो पाठ्यपुस्तकें एक नाविक, शोधकर्ता और अन्वेषक के रूप में बताती हैं, वे गलत हैं।
वास्कोडिगामा पुर्तगालियों की नौसेना का एक कमांडर था जो पहली बार नौसेना का खोजी दस्ता लेकर आया था। दूसरी बार वह फौज लेकर आया और उसने गोवा, गुजरात, केरल के तटवर्ती क्षेत्रों पर कब्जा किया। उस समय गुजरात के मुस्लिम सुल्तान का पुर्तगालियों से युद्ध हुआ था। युद्ध में गुजरात के सुल्तान की सहायता के लिए इस्लाम के नाम पर ओटोमन साम्राज्य और मिस्र ने अपनी नौसेना के जहाज भी भेजे थे परन्तु सब हार गए थे।
पुर्तगाली 1458 में आये और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी 1601 में आई। इसकी देखा-देखी डच, डेनिश, फ्रेंच, स्वीडिश, आस्ट्रिया और अंत में ब्रिटिश महारानी आईं, इसका विस्तृत विवरण लेखक ने भाग-7 के अध्याय 1 में दिया है।
इसी भाग के अध्याय 2 में अखंड भारत से सम्बंधित एक देश, एक राज्य, एक झंडे के बारे में उल्लेख है। उन साम्राज्यों को नक्शों सहित दिखाया गया है जो लेखक के अखंड भारत के मनोभाव के नजदीक रहे हैं। इसके साथ-साथ 15 अगस्त 1947 के बाद भारत देश और भारतीय उपमहाद्वीप में भौगोलिक दृष्टि से क्या-क्या बदलाव आये, उनका भी वर्णन है।
जो देश बौद्ध मत को राजधर्म मानकर चलते थे, भाग-8 में उनका वर्णन है। इसी के अध्याय-2 में उन देशों का वर्णन है, जहां कभी सनातन धर्म को राजधर्म मानकर शासन चला करता था। यह पुस्तक इतिहास में रुचि रखने वालों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी है। नक्शों के साथ जानकारी रुचिकर तरीके से दी गई है।
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