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असम सीएम हिमंत सरमा का बयान- “मुसलमानों को काशी और मथुरा में अपने दावे छोड़ने चाहिए, इससे इस्लामोफोबिया खत्म होगा”

धार्मिक स्थलों पर विवाद समाप्त करने से सांप्रदायिक तनाव कम होगा और सामाजिक समरसता बढ़ेगी : असम सीएम

Published by
SHIVAM DIXIT

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान देकर देशभर में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने सुझाव दिया है कि मुसलमानों को उत्तर प्रदेश में काशी के ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह पर अपने दावे छोड़ देने चाहिए। सरमा के अनुसार, ऐसा करने से इस्लामोफोबिया की समस्या का समाधान हो सकता है और हिंदू-मुस्लिम संबंधों में सुधार आ सकता है।

हिंदू आस्थाओं का सम्मान

मुख्यमंत्री सरमा ने अपने बयान में कहा, “अगर आप शाही ईदगाह बनाना जारी रखेंगे तो वहां जाने वाले हिंदू नाराज़ होंगे। उन्हें शाही ईदगाह को किसी अन्य स्थान पर ले जाना चाहिए।” उनका मानना है कि धार्मिक स्थलों पर विवाद समाप्त करने से सांप्रदायिक तनाव कम होगा और सामाजिक समरसता बढ़ेगी।

ऐतिहासिक संदर्भ और मौजूदा विवाद

काशी और मथुरा में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह के आसपास लंबे समय से विवाद चल रहा है। यह विवाद ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों आधारों पर है, जिसमें दोनों समुदायों के धार्मिक भावनाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। हिंदू समुदाय का दावा है कि यह स्थल प्राचीन मंदिरों के ऊपर बनाए गए थे, जबकि मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह उनके ऐतिहासिक स्थल हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

मुख्यमंत्री सरमा के इस बयान पर राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठनों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां कुछ लोग इसे धार्मिक सौहार्द्र बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाला बयान मान रहे हैं।

संभावित समाधान और विवाद का हल

इस विवाद को हल करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। न्यायपालिका में भी इन मामलों पर सुनवाई चल रही है, और कई लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट से एक न्यायसंगत और संतुलित निर्णय आएगा।

मुख्यमंत्री की अपील

हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय अपने दावे छोड़ने का फैसला करता है, तो इससे न केवल धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि होगी बल्कि इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र भी मजबूत होगा। उनका मानना है कि इस प्रकार का कदम इस्लामोफोबिया को खत्म करने में मददगार साबित हो सकता है और दोनों समुदायों के बीच विश्वास की बहाली हो सकती है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के इस बयान ने एक बार फिर से देशभर में काशी और मथुरा के धार्मिक स्थलों के मुद्दे को प्रमुखता से चर्चा में ला दिया है। अब देखना यह होगा कि उनके इस सुझाव पर विभिन्न समुदाय और संगठन किस प्रकार की प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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