कर्णावती । शहर के टीआरपी गेमिंग जॉन में भयानक अग्निकांड में 28 लोगों की जलकर मौत हो गई। इस दुर्घटना में मृतकों की पहचान इतनी मुश्किल हो गई है कि उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लिया जा रहा है। गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) की कार्यवाही की समीक्षा करते हुए बताया कि 18 से अधिक एफएसएल की टीम दिन-रात काम कर रही है ताकि शवों को जल्द से जल्द उनके परिवारों तक पहुंचाया जा सके।
हादसे में मारे गए लोगों के शव इतनी बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान मुश्किल हो गई है। इसके चलते एफएसएल मृतकों के परिजनों के डीएनए के नमूनों और शव के डीएनए के नमूनों को मैच करने की प्रक्रिया में जुटी है। राजकोट की घटना में खून नहीं मिलने के कारण मृतकों की हड्डियों के नमूने तुरंत गांधीनगर एफएसएल भेजे गए। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने हाईवे पर समय बर्बाद न हो इसके लिए तत्काल एयर एम्बुलेंस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।
हर्ष संघवी ने बताया कि एफएसएल की टीम रविवार सुबह पांच बजे से ही काम में जुट गई थी। डीएनए सैंपल से लेकर फाइनल रिपोर्ट तक कुल आठ चरणों में यह कार्यवाही करनी होती है। प्रत्येक चरण में परीक्षण की अवधि नमूने के प्रकार के आधार पर निर्धारित की जाती है। संघवी ने डीएनए सेम्पल की मैचिंग की पूरी प्रक्रिया को समझाते हुए बताया कि पहले चरण में परीक्षण के लिए नमूनों के विश्लेषण के लिए केस खोलने की प्रक्रिया शामिल है, जिसमें लगभग छह से सात घंटे लगते हैं। दूसरे चरण में नमूनों से डीएनए निकालना शामिल है, जिसमें लगभग छह से सात घंटे लगते हैं। तीसरा चरण डीएनए की मात्रा और गुणवत्ता की जांच करना है, जिसमें लगभग तीन से चार घंटे लगते हैं। फिर चौथे चरण के तहत डीएनए नमूनों की पीसीआर यानी डीएनए संवर्धन प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, जिसमें लगभग तीन से चार घंटे लगते हैं। पांचवें चरण में डीएनए प्रोफाइलिंग शामिल है, जिसमें लगभग आठ से नौ घंटे लगते हैं। छठे चरण के तहत प्राप्त डीएनए प्रोफाइल का विश्लेषण किया जाता है, जिसमें दो से तीन घंटे लगते हैं। सातवें चरण में विश्लेषण किए गए नमूनों की व्याख्या की जाती है, जिसमें लगभग छह से सात घंटे लगते हैं। अंतिम और आठवें चरण के तहत डीएनए रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें लगभग तीन से पांच घंटे लगते हैं।
13 की हुई पहचान, 8 के शव परिजनों को सौंपे गए
अब तक 13 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जिनमें से 8 मृतकों के शव उनके परिवारों को सौंप दिए गए हैं। बाकी मृतकों की पहचान के लिए एफएसएल की टीम लगातार प्रयास कर रही है। मृतकों के परिजन राजकोट सिविल हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम रूम के बाहर अपने प्रियजनों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। हर्ष संघवी ने परिजनों से धीरज रखने की अपील की है और उन्हें डीएनए टेस्ट की लंबी प्रक्रिया के चरणों के बारे में जानकारी दी है।
इस भयानक अग्निकांड ने पूरे राजकोट शहर को शोक में डुबो दिया है। मृतकों के परिवारों को हर संभव मदद पहुंचाने के लिए सरकार और संबंधित विभाग पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस दर्दनाक घटना से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।
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