बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ का पश्चिम बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक तटीय इलाकों में गहरा असर दिखा है। पश्चिम बंगाल में 135 किलामीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गंभीर चक्रवाती तूफान रेमल ने कई इलाकों में हजारों वृक्षों और खंभों को उखाड़ डाला, सड़कें जलमग्न हो गईं, तटीय इलाकों में अनेक घर पानी में बह गए, यहां तक कि तूफान से बचाने के लिए ट्रेनों को भी जंजीरों से बांधना पड़ा। हवाई सेवाएं 21 घंटे तक पूरी तरह बंद रखनी पड़ी। राहत की बात यह रही कि एक लाख से भी ज्यादा लोगों को तटीय और संवेदनशील क्षेत्रों से निकालकर पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। बांग्लादेश में ‘रेमल’ ने काफी तबाही मचाई है, जहां कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, गंभीर चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ सोमवार की सुबह कमजोर होकर चक्रवाती तूफान में बदल गया और उसके बाद नॉर्थ-ईस्ट की ओर केवल 13 किलामीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से आगे बढ़ गया। इससे पहले चक्रवाती तूफान ‘ताऊते’, ‘यास’, ‘अम्फान’, ‘बिपरजॉय’ इत्यादि भी विभिन्न तटीय इलाकों में तबाही मचा चुके हैं। मन में इस प्रकार के प्रश्न उमड़ते हैं कि चक्रवाती तूफानों के अजीबोगरीब नाम क्यों रखे गए ? विभिन्न चक्रवाती तूफानों के ऐसे अजीब नाम आखिर क्यों रखे जाते हैं ?
दरअसल हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों को नाम देने की प्रक्रिया के चलते ही इन्हें विशेष नाम दिया जाता है और इसी प्रक्रिया के तहत बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर सहित उत्तर हिंद महासागर में बनने वाले चक्रवातों के लिए एक विशेष नाम रखने की परम्परा का पालन किया जाता है। इसी परम्परा के तहत अभी आए चक्रवाती तूफान का नाम भी ‘रेमल’ रखा गया। ‘रेमल’ नाम ओमान द्वारा सुझाया गया था, जिसका अरबी भाषा में अर्थ है ‘रेत’। इससे पहले ‘ताऊते’ नाम म्यांमार द्वारा दिया गया था, जहां ताऊते का अर्थ होता है ‘अत्यधिक आवाज निकालने वाली छिपकली’ जबकि ‘यास’ नाम ओमान द्वारा दिया गया था, जो एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है निराशा। यह तूफान ओमान की तरफ से आया था, ऐसे में सवाल यह भी है कि भारत में आने वाले ऐसे तूफानों के नाम भी दूसरे देशों द्वारा क्यों निर्धारित किए जाते हैं और प्रत्येक चक्रवाती तूफान को अलग-अलग नाम क्यों दिए जाते हैं?
कैसे होता है तूफानों का नामकरण ?
बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला करीब 20 वर्ष पूर्व 2004 में शुरू हुआ था। इन क्षेत्रों में तूफानों को नाम देने के लिए 8 देशों (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड) की एक सूची बनाई गई थी, जिनके द्वारा क्रमवार 8-8 नाम दिए गए थे। भारत द्वारा तूफानों के नामों की इस सूची के लिए अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर तथा वायु नाम दिए गए थे। जब जिस देश की बारी आती है, उस देश की सूची में दिए गए नाम के आधार पर तूफान का नामकरण किया जाता है। इस प्रकार तूफानों के कुल 64 नाम तय किए गए थे। 2020 में आया तूफान ‘अम्फान’ 64 तूफानों के नामों की सूची में अंतिम नाम था। 2018 में ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन को भी समूह में शामिल किया गया। अम्फान के साथ तूफानों के 64 नाम समाप्त होने के बाद कुल 13 देशों के सुझावों के अनुसार अप्रैल 2020 में ‘पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स’ (पीटीसी) द्वारा चक्रवातों के नए नामों वाली नई सूची जारी की गई, जिनमें अर्नब, निसर्ग, आग, व्योम, अजार, प्रभंजन, तेज, गति, लुलु जैसे कुल 169 नामों को सूचीबद्ध किया गया।
पीटीसी के प्रत्येक सदस्य को अल्फाबेटिकल आधार पर चक्रवात का नाम रखने का अवसर मिलता है लेकिन ऐसा नहीं है कि जिसके मन में जो आए, तूफान का वैसा ही नाम रख दे बल्कि इसके लिए भी कुछ नियम बने हुए हैं। जिनमें एक यह भी है कि तूफान का नाम अधिकतम 8 शब्द का होना चाहिए और कोई नाम दोहराया न जाए। किसी भी तूफान का कोई नाम रखते समय यह ध्यान रखा जाता है कि वह नाम सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील न हों और उसका अर्थ भी भड़काऊ नहीं हो। पीटीसी द्वारा 2020 में जारी की गई सूची में सभी 13 देशों की ओर से सुझाए गए 13-13 नाम शामिल किए गए। मालदीव की ओर से बुरेवी, म्यांमार द्वारा ताऊते, ओमान द्वारा यास तथा पाकिस्तान की ओर से गुलाब जैसे नाम चक्रवातों के लिए तय किए गए। आमतौर पर उष्णकटिबंधीय चक्रवात (ट्रॉपिकल साइक्लोन) का नाम क्षेत्रीय नियमों के आधार पर तय होता है। जैसे, अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्ध में, जिसमें हिंद महासागर तथा दक्षिण प्रशांत भी शामिल हैं, ये नाम वर्णमाला के क्रम में या पुरुष और महिला के आधार पर बारी-बारी से रखे जाते हैं।
अमेरिका में तूफानों का नामकरण
चक्रवातों को कोई नाम देने का सिलसिला विश्व मौसम संगठन द्वारा वर्ष 1953 में शुरू किया गया था। अमेरिका में चक्रवाती तूफानों के लिए प्रतिवर्ष 21 नामों की सूची तैयार की जाती है और प्रत्येक नाम क्यू, यू, एक्स, वाई, जेड को छोड़कर अंग्रेजी वर्णमाला के हर अक्षर से रखा जाता है। यदि वहां एक वर्ष में 21 से ज्यादा तूफान आते हैं तो बाकी नामों में अल्फा, बीटा, गामा इत्यादि ग्रीक वर्णमाला का उपयोग किया जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा चक्रवातों को महिलाओं का नाम देना शुरू किया गया था लेकिन वर्ष 1978 से आधे चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम पर भी रखे जाने लगे। वहां तूफानों का नाम तय करने में अब ‘ऑड-ईवन’ फार्मूले को अपनाया जाता है। विषम वर्ष में आने वाले तूफानों के नाम महिलाओं पर जबकि सम वर्ष में आने वाले तूफानों के नाम पुरुषों के नामों पर होते हैं। जहां तक बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में आने वाले तूफानों को नाम देने की शुरुआत की बात है तो अंग्रेजी वर्णमाला के हिसाब से तूफान के नामकरण का पहला अवसर बांग्लादेश को मिला था, जिसने पहले तूफान को ‘ओनिल’ नाम दिया था। उसके बाद जितने भी तूफान आए, उनके नाम क्रमानुसार ही तय किए गए।
तूफानों के नामकरण का कारण
भयंकर तूफानों का नामकरण किए जाने के पीछे अहम कारण हैं। साइक्लोन या चक्रवात ग्रीक शब्द ‘साइक्लोज’ से बना है, जिसका अर्थ है, वैसा सांप, जिसने कुंडली मार रखी हो और हमले के लिए तैयार बैठा हो। इसमें कम दबाव के क्षेत्र में हवा अंदर की ओर चक्कर काटती रहती है। कोई भी तूफानी हवा चक्रवात तभी कहलाती है, जब वह कम से कम 74 मील प्रतिघंटा (करीब 119 किलोमीटर प्रतिघंटा) की रफ्तार पकड़ ले। जब तूफान चक्रवात का रूप धारण कर लेता है, तब उसका एक नाम दिए जाने की परम्परा है। किसी तूफान को नाम इसलिए दिया जाता है ताकि उसका कोई नाम होने से लोगों को उसकी भयावहता को लेकर समय रहते चेतावनी दी जा सके और प्रभावित होने वाले क्षेत्र में लोग उसे गंभीरता से ले सकें। नामकरण के बाद ऐसे तूफानों से निपटने के लिए तैयारी करने में भी मदद मिलती है। किसी भी तूफान की श्रेणी हवा की गति के आधार पर ही तय की जाती है। तूफान की श्रेणी हवा की गति बढ़ने के आधार पर 1 से 5 की स्केल पर चली जाती है।
जब हवा 63 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे अधिक रफ्तार से चलती है तो उसे ट्रॉपिकल तूफान कहा जाता है। हवा की गति 119 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी अधिक होने पर उसे ‘ट्रापिकल साइक्लोन’ कहते हैं। किसी चक्रवाती तूफान की रफ्तार प्रायः 62 से 88 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है लेकिन तूफान की रफ्तार 221 किलेमीटर प्रतिघंटा से भी ज्यादा होने पर उसे सुपर साइक्लोन कहा जाता है। चक्रवाती तूफानों का सिलसिला प्रायः मौसम में गर्मी की शुरुआत से ही शुरू हो जाता है। सूर्य की गर्मी जब समुद्र में भूमध्य रेखा के पास बढ़ती है तो समुद्र का पानी 27 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो जाता है, जिससे भाप बनती है और गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है। जब गर्म हवा ऊपर की ओर उठती है तो ऊपर की नमी वाष्प के साथ मिलकर बादल बनाती है और वहां कम वायु दाब का क्षेत्र बन जाता है। गर्म हवा ऊपर उठने पर नीचे की खाली जगह भरने के लिए ठंडी हवा तेजी से आ जाती है और इस प्रकार हवा चक्कर काटने लगती है तथा नमी से भरे बादल भी घूमने लगते हैं, जिससे समुद्री तूफान पैदा होता है। तूफान की तीव्रता गर्मी और नमी की अधिकता पर निर्भर करती है।
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