कर्नाटक मेडिकल काउंसिल में स्थायी रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य रूरल सर्विस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के नियम को चुनौती देने वाले एमबीबीएस स्टूडेंट से सवाल किया है कि आप अमीर हैं और प्राइवेट कॉलेज में पढ़ते हैं तो केवल इसलिए आपको रूरल सर्विस के लिए नहीं कहा जाए? क्या कोई मेडिकल स्टूडेंट इस तरह की दलीलें दे सकता है? क्या प्राइवेट कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट का देश के निर्माण के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं है?
मामले की सुनवाई जस्टिस जस्टिस नरसिम्हा और जस्टिस की बेंच ने की। दरअसल, याचिकाकर्ता के वकील ने जब सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामला केवल भाष का है तो इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि ये तो और अच्छी बात है कि आप कहीं काम करें। आप भारत के अलग-अलग हिस्सों में काम करें ये तो आपके लिए अच्छी बात होगी। कोर्ट ने मेडिकल स्टूडेंट से ये सवाल किया कि आखिर इस तरह का आइडिया उसके दिमाग में आया ही कैसे? शीर्ष अदालत ने ये सवाल किया कि क्या वह मेडिकल की डिग्री को खरीद रहा है?
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याचाकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले स्टूडेंट को अपनी पढ़ाई के दौरान काफी खर्च करना होता है और इसकी क्राइटेरिया भी अलग होती है ऐसे में रूरल सर्विस से उन्हें छूट देनी चाहिए। मेडिकल स्टूडेंट ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कमिश्नर को निर्देश देने की गुहार लगाई है कि वो उन्हें अनिवार्य ग्रामीण सेवा के बिना ही एनओसी जारी करें, ताकि उन्हें स्थायी रजिस्ट्रेशन मिल सके।
गौरतलब है कि मेडिकल काउंसिल के स्थायी रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य रूरल सर्विस के नियम को 28 जुलाई 2023 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इस नोटिफिकेशन में प्राइवेट स्टूडेंट और प्राइवेट सीट वाले मेडिकल स्टूडेंट्स भी शामिल हैं।
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