पंजाब की राजनीति में क्षेत्रवाद के रोगाणु
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

पंजाब की राजनीति में क्षेत्रवाद के रोगाणु

यह वही पंजाब है जो संकीर्ण क्षेत्रीय राजनीति के चलते 1 नवंबर, 1966 में भाषाई आधार पर विभाजित हुआ और इस विभाजन से उपजी चण्डीगढ़ के अधिकार और सतलुज यमुना सम्पर्क नहर की समस्या से आज तक निपट नहीं पाया है।

by राकेश सैन
May 23, 2024, 03:16 pm IST
in विश्लेषण, पंजाब
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

क्षेत्रवाद व उपराष्ट्रवाद की जिस मानसिकता से भारत सदियों तक विदेशी संत्रास झेलता आया है उसके रोगाणु आज भी देश की राजनीति में देखने को मिल रहे हैं। पंजाब का यह रोग दोबारा उबरता दिख रहा है और त्रासदी यह है कि क्षेत्रीय दल शिरोमणि अकाली दल बादल के साथ-साथ राष्ट्रीय दल कांग्रेस भी इस कीचड़ में सनी नजर आ रही है। संगरूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा है कि पंजाब में बाहरी राज्यों से आए लोगों को मतदान का अधिकार नहीं होना चाहिए। तो अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने दल के घोषणापत्र में बाहरी राज्यों के लोगों से जमीन खरीदने का अधिकार छीनने का वायदा किया है।

यह वही पंजाब है जो संकीर्ण क्षेत्रीय राजनीति के चलते 1 नवंबर, 1966 में भाषाई आधार पर विभाजित हुआ और इस विभाजन से उपजी चण्डीगढ़ के अधिकार और सतलुज यमुना सम्पर्क नहर की समस्या से आज तक निपट नहीं पाया है। सिख गुरुओं के ‘मानस की जाति सबै एके पहिचानबो’ के मानवतावादी संदेश के विपरीत पंजाब में एक विकृत सोच है जो दूसरे राज्यों से आए श्रमिकों को ‘भईया’, ‘भईया रानी’ के नाम से अपमानजनक सम्बोधन करती है।

यहां के राजनेताओं द्वारा अकसर कहा जाता है कि जब पंजाब का कोई व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकता तो दूसरे राज्य के लोग पंजाब में कैसे संपतियां बना रहे हैं? असल में यह एक ऐसा राष्ट्र विभाजक विमर्श है जो राजनेताओं व कुछ धार्मिक नेताओं की अज्ञानता के चलते स्थापित होता जा रहा है। इससे यह भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है कि देश में पंजाब के लोगों से भेदभाव हो रहा है, जबकि इसका कारण पूरी तरह से संवैधानिक है।

देश में मौलिक अधिकारों से जुड़ा अनुच्छेद 19(1)(घ)कहता है कि भारत के किसी भी नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति है। नागरिकों को भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने की अनुमति है। लेकिन ऐसे मामलों में कुछ अपवाद भी हैं, जैसे असम के अलावा सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड और मेघालय के अलावा त्रिपुरा में भी कई इलाके हैं जहां इसी तरह के संवैधानिक प्रावधान किये गए हैं ताकि स्थानीय लोगों की आबादी बाहरी लोगों के आने से कम न हो जाए। ऐसे प्रावधान हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और झारखण्ड जैसे राज्यों में भी बनाये हैं। इन राज्यों को दो श्रेणियों में रखा गया है-संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची।

जो राज्य पूरे के पूरे छठी श्रेणी में आते हैं वहां स्थानीय लोगों के स्वायत्त शासन का प्रावधान रखा गया है। पांचवीं अनुसूची के भी कई इलाके हैं जहां स्वायत्त शासन लागू है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के आदिवासी बहुल इलाके, ये संविधान की पांचवीं अनुसूची में आते हैं। जिन-जिन राज्यों में पांचवीं अनुसूची लागू है वहां के राज्यपालों को संविधान ने कई शक्तियां दीं हैं, ये सिर्फ राज्यपाल ही नहीं बल्कि वहां आदिवासियों के अभिभावक भी कहलाते हैं। इन इलाकों में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते। यहां आदिवासी परामर्श समिति की अनुशंसाओं पर राज्यपाल फैसले लेते हैं। कई राज्यों में पर्वतीय क्षेत्र विकास परिषद् की भी व्यवस्था है जो स्वतंत्र निर्णय लेती है। अनुसूचित इलाकों में राज्यपालों को इतनी संवैधानिक शक्ति प्रदान की गई है कि वो परिस्थिति को देखते हुए किसी भी कानून को अपने राज्य में लागू होने से रोक या लागू कर सकते हैं। अनुसूचित इलाकों के लिए बनाये गए अधिनियमों के मुताबिक जमीन को बेचने पर पूरी रोक है।

अब बात संविधान की छठी अनुसूची की करते हैं, ये वो इलाके हैं जहां आदिवासियों की आबादी अधिक  है। वहां इन जातियों के हिसाब से स्वायत्त शासित परिषदों की स्थापना की गई है। इन इलाकों में भी राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है।

हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 के तहत यहां के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है। इसकी धारा 118 के तहत हिमाचल प्रदेश का कोई भी जमीन मालिक किसी भी गैर कृषक को किसी भी माध्यम (सेल डीड, गिफ्ट, लीज, ट्रांसफर, गिरवी) से जमीन नहीं दे सकता। भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 2(2) के मुताबिक जमीन का मालिकाना हक उसका होगा जो हिमाचल में अपनी जमीन पर खेती करता होगा। जमीन के क्रय-विक्रय पर सरकार की कड़ी नजर रहती है। फरवरी 2023 में एक मामले की सुनवाई के दौरान देश की सर्वोच्च अदालत ने भी अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘हिमाचल प्रदेश में केवल किसान ही जमीन खरीद सकते हैं।’ 1972 के भूमि सुधार अधिनियम का हवाला देते हुए न्यायाधीश पीएस सिम्हा और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि ‘इसका उद्देश्य गरीबों की छोटी कृषि भूमि को बचाने के साथ-साथ कृषि योग्य भूमि को गैरकृषि उद्देश्यों के लिए बदलने की जांच करना भी है।’ पंजाब में अनुसूचित जाति तो है परन्तु अनुसूचित जनजाति नहीं, तो यहां पर इस तरह का कानून लागू नहीं हो सकता।

उक्त तथ्यों से प्रमाणित होता है कि किन्हीं राज्यों में वहां के आदिवासी समाज के हितों को बचाने के लिए संविधान में ही यह व्यवस्था की गई है। यह किसी अन्य राज्य या लोगों से कोई अन्याय नहीं। पंजाब के नेताओं को समाज में भ्रम व गलत धारणा पैदा करने से बचना चाहिए। उक्त व्यवस्था उसी संविधान के अन्र्तगत है जिसकी शपथ वे संसद व विधानसभाओं में लेते हैं। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस दुष्प्रचार की आड़ ले खालिस्तानियों व नक्सलियों जैसे देशविरोधी शक्तियां देश व समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश करती हैं।

Topics: punjabSukhbir Singh Badalपंजाबशिरोमणि अकाली दल बादलखालिस्तानीसुखबीर सिंह बादलअमृतपाल सिंहसुखपाल सिंह खैहराKhalistaniअलगाववादी संगठनCongressamritpal singhलोकसभा चुनाव 2024Lok Sabha Elections 2024राजनीतिक दलकांग्रेसSukhpal Singh KhairaआतंकवादShiromani Akali Dal Badal
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

इंदिरा गांधी ने आपातकाल में की थी क्रूरता, संजय गांधी ने जबरन कराई थी नसबंदी: शशि थरूर

Punjab crime

जालंधर में पेट्रोल बम हमला, अबोहर में हत्या: पंजाब में बढ़ता अपराध का ग्राफ

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies