विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना आज भी दुनिया का सबसे बड़ा कारनामा माना जाता है। हाल ही में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का एक बेहद चौंका देने वाला रिकॉर्ड बनाया है ‘एवरेस्ट मैन’ के नाम से विख्यात नेपाल के जाने-माने वाले पर्वतारोही और गाइड कामी रीता शेरपा ने। उन्होंने 29वीं बार एवरेस्ट पर झंडा गाड़ा है।
प्रतिवर्ष हजारों लोग माउंट एवरेस्ट को छूने की कोशिश करते हैं किन्तु उनमें से गिने-चुने लोग ही चोटी तक पहुंचने में सफल हो पाते हैं और कुछ तो एवरेस्ट फतेह करने की चाहत में अपनी जान ही गंवा बैठते हैं। कटु सत्य यह भी है कि प्रतिवर्ष जहां कुछ पर्वतारोही एवरेस्ट फतेह करने में सफल हो जाते हैं तो कई बर्फीले पहाड़ों की रहस्यमयी कब्रगाह में ही दफन हो जाते हैं। कुछ ही वर्ष पूर्व एवरेस्ट पर चढ़ाई करते हुए तीन दर्जन से भी अधिक लोगों ने जान गंवाई थी। इतिहास पर नजर डालें तो एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले हर 100 पर्वतारोहियों में से 4 की मौत हो जाती है। हालांकि एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान होती मौतों और लगातार बढ़ती भीड़ के बावजूद नए-नए बनते रिकॉर्ड और उपलब्धियां आजकल एवरेस्ट का पर्याय बन गए हैं। एवरेस्ट पर चढ़ने के परमिट की कीमत एक विदेशी के लिए 11 हजार डॉलर जबकि एक नेपाली के लिए 75 हजार रुपये है। हालांकि पर्वतारोहियों की मदद करने वाले नेपाली उच्च ऊंचाई वाले शेरपा गाइडों को किसी शुल्क का भुगतान नहीं करना होता।
माउंट एवरेस्ट को तिब्बत में ‘चोमोलुंगमा’ के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘विश्व की देवी’ अथवा ‘घाटी की देवी’। नेपाल में इसे ‘सागरमाथा’ के नाम से जाना जाता है। माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी है, जो नेपाल और तिब्बत की सीमा पर हिमालय के क्षेत्र में स्थित है। सर जॉर्ज एवरेस्ट के नेतृत्व में भारत के सर्वेक्षक ने 1852 में शिखर की ऊंचाई को सटीक रूप से मापा था और इस पर्वत शिखर को ‘पीक ग्ट’ नाम दिया गया। 1865 में सर जॉर्ज एवरेस्ट के सम्मान में इसका नाम बदलकर ‘माउंट एवरेस्ट’ कर दिया गया। माना जाता है कि माउंट एवरेस्ट का निर्माण 4 से 5 करोड़ वर्ष पहले भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के बाद हुआ था। प्लेटों की निरंतर टेक्टोनिक हलचल के कारण हिमालय पर्वत उत्तर-पूर्व में कुछ इंच खिसक रहा है तथा हर साल इसकी ऊंचाई लगभग एक इंच से कुछ कम बढ़ रही है और इस प्रकार प्रतिवर्ष एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ती जा रही है। माउंट एवरेस्ट की वर्तमान ऊंचाई 8848.86 मीटर (29031.69 फीट) होने का अनुमान है।
पहली बार ये उपलब्धि
जहां तक माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति की बात है तो न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी 29 मई 1953 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने। उनके साथ नेपाली-भारतीय शेरपा तेनजिंग नोर्गे भी थे। 1994 में भारत सरकार ने तेनजिंग नोर्गे के सम्मान में तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार की स्थापना की थी। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला जापान की जुंको ताबेई थी, जो 16 मई 1975 को शिखर पर चढ़ी थी। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल थी, जिन्होंने 23 मई 1984 को एवरेस्ट फतेह किया था। 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा थी जबकि 1992 और 1993 में माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली पहली महिला संतोष यादव थी। 2014 में केवल 13 वर्ष और 11 महीने की आयु में एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की मालवनाथ पूर्णा थी। इसी प्रकार 2018 में 53 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला संगीता सिंधी थी। हालांकि इनमें से कुछ रिकॉर्ड बीते वर्षों में कई बार टूट चुके हैं।
एवरेस्ट मैन ने बनाया ये रिकॉर्ड
हाल ही में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का एक बेहद चौंका देने वाला रिकॉर्ड बनाया है ‘एवरेस्ट मैन’ के नाम से विख्यात नेपाल के जाने-माने पर्वतारोही और गाइड कामी रीता शेरपा ने। अपने बुलंद हौसले से लगातार 28 बार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई छूने वाले कामी रीता शेरपा ने 29वीं बार विश्व की सबसे ऊंची एवरेस्ट की चोटी पर झंडा गाड़ दिया और इसी के साथ उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि बुलंद हौसले के आगे बड़े से बड़े पहाड़ भी झुक जाते हैं। कामी रीता शेरपा ने इस वर्ष अप्रैल महीने के अंत में 20 पर्वतारोहियों वाले पर्वतारोहण अभियान दल के साथ काठमांडू से अपने एवरेस्ट अभियान का श्रीगणेश किया था और 12 मई 2024 की सुबह 29वीं बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर अपना ही गत वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया। शेरपा के साथ काठमांडू से स्प्रिंग सीजन एवरेस्ट अभियान पर निकले 28 पर्वतारोहियों में अमेरिका, कजाकिस्तान, कनाडा इत्यादि अलग-अलग देशों के पर्वतारोही शामिल थे, जिनमें 13 नेपाल के थे।
क्या कहा था शेरपा ने
इस मिशन पर जाने से पहले कामी रीता शेरपा ने कहा था कि मैं 29वीं बार सागरमाथा पर चढ़ने जा रहा हूं और मेरा पर्वतारोहण के सिवाय कोई दूसरा लक्ष्य नहीं है। उन्होंने एवरेस्ट पर रवाना होने से पहले यह भी कहा था कि यदि चीजें योजना के मुताबिक रहीं तो वह इस साल भी दो बार एवरेस्ट पर चढ़ सकते हैं और इस बारे में ‘सेवन समिट ट्रैक्स’ के अध्यक्ष मिंगमा शेरपा का कहना है कि यह उस पर निर्भर करता है कि वह दोबारा कब चढ़ना चाहता है, हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। गौरतलब है कि शेरपा काफी समय से नेपाल की इस कम्पनी के साथ वरिष्ठ पर्वतीय गाइड के रूप में जुड़े हैं। सागरमाथा चढ़ाई के 71 साल के लंबे इतिहास में कामी शेरपा अब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर सबसे ज्यादा बार चढ़ने का रिकॉर्ड बनाने वाले पर्वतारोही हैं। नेपाल के पर्यटन विभाग के निदेशक राकेश गुरुंग के मुताबिक 54 वर्षीय यह अनुभवी पर्वतारोही 12 मई को स्थानीय समयानुसार सुबह 7.25 बजे 8849 मीटर की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक पहुंचा।
एक सप्ताह के अंदर दो बार चढ़ाई की
एक ओर जहां लाखों-करोड़ों लोगों का सपना होता है कि वे जीवन में कम से कम एक बार एवरेस्ट को छू सकें और यह हसरत दुनियाभर में गिने-चुने लोगों की ही पूरी होती है, वहीं 54 वर्षीय कामी रीता शेरपा ने पिछले वर्ष 8848.86 मीटर की सबसे ऊंची चोटी पर केवल एक सप्ताह में दो बार चढ़ाई की थी और तभी उन्हें माउंट एवरेस्ट की सबसे सफल चढ़ाई का खिताब मिला था। 28वीं बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करते ही कामी माउंट एवरेस्ट पर सबसे ज्यादा बार चढ़ने वाले पर्वतारोही बन गए थे। उस दौरान वे केवल एक हफ्ते में ही शिखर पर पहुंच गए थे। 2023 में एवरेस्ट पर अपनी 27वीं चढ़ाई पूरी करते ही कामी रीता शेरपा ने नेपाल के ही पसांग दावा शेरपा के एवरेस्ट फतेह के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी और मई 2023 में उन्होंने दावा शेरपा के साथ बने टाई रिकॉर्ड को पार करते हुए एवरेस्ट की अपनी 28वीं चढ़ाई पूरी करने के साथ ही सबसे ज्यादा बार एवरेस्ट फतेह करने का रिकॉर्ड बनाया था।
निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे पसांग दावा ने क्या कहा
कामी रीता के निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे पसांग दावा ने पिछले साल अपना ही रिकॉर्ड दोबारा हासिल करने के लिए एक ही सीजन में दोहरी चढ़ाई के बाद 27वीं बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। वह ‘इमेजिन नेपाल ट्रैक एंड एक्सपीडिशन’ के साथ वरिष्ठ मार्गदर्शक के रूप में जुड़े हैं। हालांकि कामी रीता शेरपा के नए रिकॉर्ड बनाने को लेकर 47 वर्षीय पसांग दावा शेरपा का कहना है कि फिलहाल वह एवरेस्ट पर चढ़ने से थक गए हैं और आराम करना चाहते हैं। उनका कहना है कि उन्हें प्रतिस्पर्धा की कोई परवाह नहीं है और वह एवरेस्ट पर प्रतिस्पर्धा के पक्ष में भी नहीं हैं। एवरेस्ट बेस कैंप के पास के एक गांव पैंगबोचे में जन्मे पसांग दावा ने पहली बार 1998 में एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। उसके बाद उन्होंने 1999, 2002, 2003, 2004, 2008, 2009, 2011, 2012, 2016 और 2017 में एवरेस्ट पर एक-एक बार चढ़ाई की जबकि 2001, 2007, 2010, 2013, 2018, 2019, 2022 और 2023 में दो-दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की। 2018 और 2019 में लगातार दो वर्षों तक दोहरी चढ़ाई करने के बाद पसांग दावा सुर्खियों में आए थे। उसके अगले साल 2020 में महामारी के कारण एवरेस्ट को बंद कर दिया गया था। 2022 और 2023 में पसांग दावा ने फिर से दोहरी चढ़ाई की।
विरासत में मिला ये हुनर
जहां तक एवरेस्ट पर अब तक सबसे ज्यादा बार चढ़ाई करने का रिकॉर्ड बना चुके कामी रीता शेरपा की बात है तो पहाड़ों की ऊंचाई को नापने का हुनर उन्हें विरासत में मिला है। दरअसल 1950 में उनके पिता पहले पेशेवर शेरपा गाइडों में से एक थे। यही नहीं, उनके भाई लकपा रीता भी एक गाइड थे, जिन्होंने 17 बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। कामी रीता 2017 में 21 बार माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे व्यक्ति थे, उनसे पहले यह रिकॉर्ड अपा शेरपा और फुरबा ताशी शेरपा के नाम दर्ज था लेकिन बुलंद हौसलों के बल पर कामी रीता शेरपा ने 48 वर्ष की उम्र में 16 मई 2018 को 22 बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था। हालांकि उस विराट उपलब्धि को हासिल करने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्होंने रिटायर होने से पहले एवरेस्ट पर 25 बार चढ़ने की योजना बनाई है और यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है कि उस 25 के आंकड़े को वह बहुत पीछे छोड़ चुके हैं और अभी तक 29 बार एवरेस्ट को नाप चुके हैं। कामी रीता ने 2009, 2010, 2013, 2019 और 2023 में दो-दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है और इस साल भी उनकी ऐसी ही योजना है।
1992 में की थी पर्वतारोहण की शुरुआत
नेपाल के सोलुखुम्बु के एक छोटे से गांव थामे में 17 जनवरी 1970 को जन्मे कामी रीता शेरपा को छोटी उम्र से ही चढ़ाई करने का गहरा शौक था। उन्होंने अपनी पर्वतारोहण यात्रा की शुरुआत 1992 में की थी और उस समय वह एक सहायक स्टाफ सदस्य के रूप में एवरेस्ट के अभियान में शामिल हुए थे। 1992 में वह कुली के रूप में एवरेस्ट के अभियान में शामिल हुए थे। 13 मई 1994 को उन्होंने 24 वर्ष की उम्र में एवरेस्ट पर अपनी पहली चढ़ाई पूरी की थी और तभी से तीन दशक से वे लगातार एवरेस्ट पर चढ़ रहे हैं। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार शेरपा ने अपनी पहली चढ़ाई के बाद से लगभग हर वर्ष एवरेस्ट पर चढ़ाई की है और अब तक वह कुल 29 बार चढ़ाई कर चुके हैं। शेरपा ने एवरेस्ट के अलावा माउंट के2, माउंट मनास्लु, माउंट चो ओयू और माउंट ल्होत्से सहित अन्य प्रमुख चोटियों पर भी विजय प्राप्त की है। उन्होंने 2001, 2004, 2006, 2009, 2011, 2013, 2014 और 2016 में चो-ओयू पर कुल आठ बार, 2011 में ल्होत्से पर एक बार और 2014 में के2 पर एक बार चढ़ाई की है।
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