राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस (21 मई) पर विशेष : घाटी में टूट रही आतंक की कमर
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस (21 मई) पर विशेष : घाटी में टूट रही आतंक की कमर

भारत कई वर्षों से आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा है, जिसके चलते हजारों निर्दोष मारे गए हैं। ऐसी वहशी घटनाओं को अंजाम देने वालों को इससे कोई सरोकार नहीं होता कि उनके ऐसे कृत्यों से कितने हंसते-खेलते परिवार एक ही झटके में बर्बाद हो जाते हैं।

by योगेश कुमार गोयल
May 21, 2024, 01:24 am IST
in भारत, विश्लेषण, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत कई वर्षों से आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा है, जिसके चलते हजारों निर्दोष मारे गए हैं। ऐसी वहशी घटनाओं को अंजाम देने वालों को इससे कोई सरोकार नहीं होता कि उनके ऐसे कृत्यों से कितने हंसते-खेलते परिवार एक ही झटके में बर्बाद हो जाते हैं। उन्मादी सोच और जिहादी मंसूबों वाले विवेकशून्य आतंकी अपने आकाओं के जहरीले इशारों पर न जाने हर साल कितने बेकसूर लोगों को मौत की नींद सुला देते हैं। जम्मू-कश्मीर तो दशकों से आतंक के खौफनाक साये में जीता रहा है। दरअसल आतंकियों का एकमात्र मंसूबा खूनखराबा करके आम लोगों के मन में भय पैदा करना होता है। उनका इससे सरोकार कोई नहीं होता कि मरने वालों में कोई दुधमुंहा बच्चा है या फिर वे किसी बच्चे को अनाथ बना रहे हैं।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान (21 मई 1991) भी इसी आतंकवाद ने ली। आतंकवाद जैसी भयानक समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा 21 मई का दिन ‘राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस वास्तव में उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आतंकी हमलों में अपनी जान गंवाई और यह दिवस उन हजारों सैनिकों के बलिदान का भी सम्मान करता है, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। यह दिवस मनाने का अहम उद्देश्य यही है कि देश में आतंकवाद, हिंसा के खतरे और उनके समाज, लोगों तथा देश पर पड़ने वाले खतरनाक असर के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाए।

शांति और मानवता का संदेश फैलाना, लोगों के बीच आपसी सद्भाव का बीजारोपण कर उनमें एकता को बढ़ावा देना, युवाओं को आतंकवाद और हिंसा के पथ से दूर रखना, किसी भी प्रकार के प्रलोभन में आकर आतंकी गुटों में शामिल होने से युवाओं को बचाने के लिए उन्हें आतंकवाद के बारे में सही ढंग से शिक्षित-प्रशिक्षित करना, उनमें देशभक्ति जगाना, आम आदमी की पीड़ा और जीवन पर आतंकवाद के घातक प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करना, यही आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य है।

इस दिन सरकारी कार्यालयों, उपक्रमों तथा अन्य संस्थानों में आतंकवाद विरोधी शपथ यही दिलाई जाती है कि हम भारतवासी अपने देश की अहिंसा एवं सहनशीलता की परम्परा में दृढ़ विश्वास रखते हैं तथा निष्ठापूर्वक शपथ लेते हैं कि हम सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करेंगे। हम मानव जाति के सभी वर्गों के बीच शांति, सामाजिक सद्भाव तथा सूझबूझ कायम रखने और मानव जीवन मूल्यों को खतरा पहुंचाने वाली विघटनकारी शक्तियों से लड़ने की भी शपथ लेते हैं।

भारत में आतंकी घटनाओं के संबंध में तो दशकों से जगजाहिर है कि पाकिस्तानी सेना आईएसआई भारत को असंतुलित करने के घृणित प्रयासों के तहत आतंकी संगठनों की हरसंभव मदद करती रही है और उसके इन नापाक इरादों का खामियाजा भारत की निर्दोष जनता ने बरसों भुगता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से देश में आतंकवादियों की कमर तोड़ने के लिए जिस तरह के सख्त कदम उठाए गए हैं, उनके चलते देशभर में आतंकी घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गई है लेकिन विशेषकर जम्मू-कश्मीर में अभी भी पाकिस्तान के पाले-पोसे भाड़े के टट्टू मासूम लोगों के खून से होली खेलने को लालायित रहते हैं किन्तु हमारे जांबाज सुरक्षा बल दुर्दान्त आतंकियों को 72 हूरों के पास पहुंचाकर उनके मंसूबों को ढेर कर रहे हैं। पिछले चार-पांच वर्षों में ही सुरक्षा बलों द्वारा सैकड़ों कुख्यात आतंकियों को कुत्ते की मौत मारा जा चुका है। दूसरी ओर इन आतंकियों के सरपरस्त पाकिस्तान को भी पूरी दुनिया के सामने बेनकाब करने और उसकी आर्थिक रीढ़ तोड़ने के प्रयास भी लंबे समय से जारी है, जिनमें सफलता मिल भी रही है।

जम्मू-कश्मीर में युवाओं के आतंकी संगठनों में भर्ती का मुद्दा भी सुरक्षा बलों के लिए हमेशा गंभीर चिंता का विषय बना रहा है, लेकिन यहां भी राहत की बड़ी बात यही है कि युवाओं को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करने के चलते आतंकी संगठनों में स्थानीय स्तर पर भर्तियां बेहद कम हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख आरआर स्वैन के मुताबिक वर्ष 2017 में आतंकी संगठनों में 126 स्थानीय लोग भर्ती हुए थे जबकि 2018 में 218, 2019 में 126, 2020 में 167, 2021 में 128 और 2022 में 130 स्थानीय लोग भर्ती हुए लेकिन 2023 में केवल 22 स्थानीय लोगों ने ही आतंकवादी संगठनों का दामन थामा। इससे स्पष्ट है कि आतंकवाद में स्थानीय भर्ती में 80 प्रतिशत की बहुत बड़ी गिरावट आई है। विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में सुरक्षा बलों के एनकाउंटर में सर्वाधिक आतंकी मारे गए हैं।

लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि जम्मू और कश्मीर में 2019 के बाद आतंकी हमलों और गतिविधियों में काफी कमी आई है। 2018 में जम्मू-कश्मीर में 417 आतंकी हमले हुए थे, जो 2021 तक घटकर 229 रह गए थे। 2019 में जम्मू-कश्मीर में 154 आतंकी मारे गए थे और 80 जवान बलिदान हुए थे। 2020 में जम्मू कश्मीर में 244 आतंकी हमले हुए और 221 आतंकी मारे गए जबकि 62 जवान बलिदान हुए थे और 37 आम नागरिक भी मारे गए थे। 2022 में 242 आतंकी घटनाएं हुई, जिनमें 172 आतंकी मारे गए, 31 जवान बलिदान हुए और 30 आम नागरिक मारे गए।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में संक्रिय आतंकियों की संख्या निरंतर कम हो रही है। सीआरपीएफ के मुताबिक घाटी में फिलहाल केवल 91 आतंकी ही सक्रिय हैं। इनमें केवल 31 स्थानीय हैं जबकि 60 विदेशी हैं। 2022 में घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या 135 थी, जिनमें 50 स्थानीय और 85 विदेशी आतंकवादी थे। 2023 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा कुल 76 आतंकवादियों को मार गिराया गया, जिनमें 55 विदेशी आतंकवादी थे। 2022 में कुल 187 आतंकवादियों सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में ढ़ेर हुए थे, जिनमें 130 आतंकी स्थानीय और 57 विदेशी थे।

जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख आरआर स्वैन के मुताबिक क्षेत्र में आतंकवाद में कमी आई है लेकिन अभी इसका पूरी तरह सफाया नहीं हुआ है। हालांकि उनका स्पष्ट तौर पर कहना है कि घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज हो रही है। उनके मुताबिक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अब केवल 31 स्थानीय आतंकवादी ही बचे हैं, जो अब तक की सबसे कम संख्या है। 2023 में कुल 48 आतंकवादरोधी अभियानों में 55 विदेशी आतंकवादियों सहित 76 आतंकियों को मार गिराया गया, उनके 291 सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया और जन सुरक्षा अधिनियम के तहत आतंकियों से जुड़े 201 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। 2023 में आतंकवादियों द्वारा 31 लोगों की हत्या किए जाने के मुकाबले 2023 में यह आंकड़ा भी घटकर 14 का रहा जबकि आतंक से संबंधित घटनाएं 2022 में 125 से घटकर 2023 में 46 ही रह गईं यानी आतंकी घटनाओं में भी 63 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण जहां एलओसी के पास एनकाउंटर में कई आतंकियों का सफाया किया जाता रहा है, वहीं घुसपैठ की दर्जनभर कोशिशें भी नाकाम की गईं। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक दुश्मन की ओर से संघर्ष विराम के उल्लंघन, घुसपैठ की कोशिश या किसी अन्य दुस्साहसिक प्रयास का अब बहुत कड़ाई से जवाब दिया जा रहा है। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि आतंकवादरोधी सख्त अभियान तब तक पूरी ताकत से चलेगा, जब तक घाटी में सक्रिय तमाम आतंकी आत्मसमर्पण नहीं कर देते या मारे नहीं जाते। बहरहाल, आतंकी संगठनों की ओर युवाओं के रूझान में आती कमी आतंक की कमर टूटने की दिशा में बेहद सुखद संकेत है। अधिकारियों के मुताबिक शांति के फायदे लोगों तक पहुंचने से वे अब शांति बनाए रखने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

(लेखक 34 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं)

Topics: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाईसद्भाव का बीजारोपणएकता को बढ़ावाAwareness against terrorismfight against terrorismsowing seeds of harmonyराजीव गांधीpromoting unityएनकाउंटरआतंकी आत्मसमर्पणRajiv Gandhiपाञ्चजन्य विशेषआतंकवाद के खिलाफ जागरूक
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

स्व का भाव जगाता सावरकर साहित्य

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies