नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को कहा कि यह लोकतंत्र में शर्म की बात है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक सार्वजनिक सभा में विश्वभर में सम्मान रखने वाली तीन आध्यात्मिक-धार्मिक संस्थाओं पर निशाना साधा है। ये संस्थाएं हैं, भारत सेवाश्रम संघ, श्री रामकृष्ण मिशन एवं इस्कॉन। ममता की शिकायत है कि यह तीनों संस्थाएं चुनाव में भाजपा की मदद कर रही हैं।
अपने एक वक्तव्य में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ममता बनर्जी के अहंकार का उत्तर बंगाल की जनता मत पेटी के माध्यम से देगी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के आरोप सच नहीं है। ये तीनों संस्थाएं राजनीति से परे व अपने चुने हुए आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि इनमें से किसी ने या इनके किसी पदाधिकारी ने भाजपा की मदद की भी हो, तो भी, लोकतंत्र में इसकी शिकायत की क्या बात है ! क्या चुनाव में किसी का समर्थन/विरोध करना, सब का सहज लोकतान्त्रिक अधिकार तथा कर्तव्य नहीं है?
आलोक कुमार ने कहा कि इनमें से एक संगठन को उनकी सरकार ने 700 एकड़ जगह दी थी। हम विश्वास करते हैं कि सरकार ने यह काम कानून के अनुसार ही किया होगा। पर क्या इसके लिए संस्था को जीवनभर ममता जी का ऋणी रह कर समर्थन करना पड़ेगा? एक आध्यात्मिक संस्था को उसके अच्छे कामों के लिए जमीन दी थी या उसके बदले ममता जी ने आजीवन अपनी पार्टी के लिए समर्थन का सौदा किया था?
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जी की भाषा आक्रामक व अपमानजनक है। इसमें धमकी है। यह सनातन पर हमला है। आत्मवान संस्थाएं इस से विचलित नहीं होती। हम मुख्यमंत्री के कथन की निंदा करते हैं। विश्व हिन्दू परिषद् (विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के धर्म प्रेमी हिन्दू समाज से) आग्रह करती है कि वह अपने धर्मगुरुओं व आध्यात्मिक संगठनों के पीछे दृढ़ता से बने रहे। हम देश की जनता से आह्वान करते हैं कि सनातन को समर्थन देने वाले संगठनों एवं नेताओं को मत पेटी के रास्ते विजयी बनाएं। लोकतंत्र में यह प्रभावी होता है।
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