विश्लेषण

पिता पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली स्वाती मालीवाल मारपीट पर मौन क्यों ?

स्वाति मालीवाल जो अपने लिए, न्याय और अधिकार की बात नहीं उठा पा रही हैं, वह मणिपुर की महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए चली गईं थीं? कौन विश्वास करेगा कि ये वही ‘बहादुर’ स्वाति मालीवाल हैं, जिन्होनें अपने माता-पिता पर भी आरोप लगा दिए थे कि उन्होंने स्वाति का यौन शोषण किया था?

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सोनाली मिश्रा

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के आरोपों का रहस्य दिनों दिन गहराता जा रहा है क्योंकि जहां एक ओर यह तो आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने यह स्वीकार कर लिया है कि स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट हुई है और उन्होंने यह भी कहा कि अरविन्द केजरीवल इसकी जांच करेंगे। मगर प्रश्न यही है कि आखिर एक मुख्यमंत्री के बंगले में एक राज्यसभा सांसद के साथ मारपीट होती है और मुख्यमंत्री का कोई वक्तव्य ही नहीं आता?

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का इस प्रकार मौन हो जाना आखिर क्या कहता है और सबसे बढ़कर स्वाति मालीवाल का चुप रह जाना, यह भी तमाम सवाल उत्पन्न करता है। आखिर इस घटना पर इस सीमा तक मौन क्यों है? लोगों का कहना है कि स्वाति मालीवाल और आम आदमी पार्टी के बीच कोई बातचीत चल रही है? परंतु क्या मान और न्याय से बढ़कर कुछ होता है?

कौन विश्वास करेगा कि ये स्वाति मालीवाल जो अपने लिए, न्याय और अधिकार की बात नहीं उठा पा रही हैं, वह मणिपुर की महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए चली गईं थीं? कौन विश्वास करेगा कि ये वही ‘बहादुर’ स्वाति मालीवाल हैं, जिन्होनें अपने माता-पिता पर भी आरोप लगा दिए थे कि उन्होंने स्वाति का यौन शोषण किया था? स्वाति मालीवाल तब भी नहीं डरी थीं, जब उन के आयोग को वर्ष 2018 में कठघरे में खड़े करते हुए न्यायालय ने यह कहा था कि ‘उनका आयोग बलात्कार के झूठे मामले दर्ज कराने की सलाह न दे!”

स्वाति मालीवाल की छवि बिना डरे कार्य करने की है। उनसे आशा की जाती है कि वे कम से कम अपने लिए तो मुंह खोलेंगी और अरविन्द केजरीवाल और उनके सहायक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगी। उनके पूर्व पति का भी वीडियो सामने आया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि स्वाति के जीवन को खतरा है। नवीन जय हिंद का कहना है कि अरविन्द केजरीवाल माफिया से कम नहीं है और संजय सिंह उनके तोते हैं।

AAP का महिला विरोधी चेहरा फिर आया सामने

अरविन्द केजरीवाल और उनके PA पर ही महिला के साथ मारपीट का आरोप लगा हो और पार्टी में सन्नाटा हो, ऐसा नहीं है। आम आदमी पार्टी का महिला विरोधी चरित्र और कैसे महिलाओं के साथ व्यवहार किया जाता है, वह समय-समय पर कई घटनाओं के माध्यम से सामने आता रहा है।

आम आदमी पार्टी का महिला विरोधी चेहरा तब सामने आया था जब आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता संतोष जिन्होंने आम आदमी पार्टी को पहचान दिलाने के लिए कार्य किया था, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं, उनकी रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हुई थी। वर्ष 2013 में हुई इस मृत्यु को सभी ने हत्या ही माना था। संतोष कोली राशन माफिया से लड़ रही थीं और उनका सफर अरविन्द केजरीवाल के गैर सरकारी संगठन “परिवर्तन” से शुरू हुआ था।

मगर उस मृत्यु के रहस्य की जांच नहीं की गई। संतोष कोली की माँ का वह वीडियो कुछ वर्ष पहले काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी संतोष कोली के लिए न्याय मांगा था। मगर दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मलीवाल सहित पूरी पार्टी इस मांग और पीड़ा पर मौन रही थी।

वर्ष 2016 में आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता ने पार्टी के ही एक सहयोगी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली थी। उस महिला ने यहां तक कहा था कि इस मामले की शिकायत उसने महिला आयोग से लेकर पुलिस तक में की थी। लेकिन, कार्रवाई नहीं होने और शिकायत के बाद धमकी मिलने से परेशान होकर उसने खुदकुशी कर ली। खुदकुशी करने से पहले उसने इंसाफ के लिए काफी जद्दोजहद की थी। मगर दिल्ली महिला आयोग उस समय भी चुप्पी साधे रहा था।

इसी प्रकार वर्ष वर्ष 2016 में ही दिल्ली से ही आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार राशन कार्ड बनवाने के नाम पर महिलाओं का यौन शोषण करते हुए पकड़े गए थे। उनकी सीडी लीक हो गई थी, मगर इस मामले में भी दिल्ली महिला आयोग एकदम चुप रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे दिल्ली महिला आयोग एक संस्थागत आयोग बन गया है, जो अपनी पार्टी के नेताओं पर चुप हो जाता है, या कहें उसे मामले दिखते नहीं हैं।

किसान आंदोलन के दौरान एक लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ था और उसकी मृत्यु कोरोना से हुई थी। इस मामले में भी आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं के नाम आए थे, मगर इस मामले में भी दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति सिंह एवं आम आदमी पार्टी चुप रही थी।

इतना ही नहीं पंजाब में वर्ष 2016 में आम आदमी पार्टी की एक पूर्व नेता ने यह आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी की 52 महिला कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के नेताओं ने ही यौन उत्पीड़न किया है। मगर इस पर भी आम आदमी पार्टी की ओर से चुप्पी ही रही।

स्वाति मालीवाल की चुप्पी खड़े करती सवाल

क्या यही सुविधाजनक चुप्पी स्वाति मालीवाल के भी मामले में दिखाई देगी? प्रश्न यही है कि दिल्ली महिला आयोग भी अपनी ही पूर्व अध्यक्ष के सम्मान के लिए बोल क्यों नहीं रहा है? क्यों आम आदमी पार्टी की महिला कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी की सांसद के साथ हुई इस मारपीट की घटना पर चुप हैं। क्या स्वाति मालीवाल पर दबाव डाल जा रहा है? जैसा भारतीय जनता पार्टी प्रश्न उठा रही है, और यदि दबाव है तो कैसा और किसे बचाने का?

कम्युनिस्ट मीडिया एवं दलों की चुप्पी

इस मामले में यदि सबसे हैरान करने वाली चुप्पी है तो वह उस पूरे कम्युनिस्ट मीडिया की चुप्पी है, जो अभी कुछ दिनों पहले तक जेडीएस के एक नेता के कुकर्मों के लिए भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न पूछ रहा था। इस मामले में वे सभी राजनीतिक दल भी मौन हैं जिनके लिए अरविन्द केजरीवाल आशा की किरण इसलिए हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अरविन्द केजरीवाल नरेंद्र मोदी को हरा सकते हैं। क्या राजनीतिक विवशता इस सीमा तक जा सकती है कि वह एक सांसद के एक मुख्यमंत्री के आवास मे पीटे जाने पर चुप्पी ही बन जाए?

आम आदमी पार्टी के कारण जो महिलाएं पीड़ित हुईं, उनमें अभी तक केवल साधारण कार्यकर्ता थीं, परंतु यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसमें मामला दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष का है, जिनकी पहचान ऐसी ‘निडर’ स्त्री की रही है, जो आधी रात को स्ट्रिंग कर सकती हैं, केवल यह बताने के लिए कि दिल्ली सेफ नहीं है। परंतु आम आदमी पार्टी सेफ नहीं है, यह कहने के लिए स्वाति अभी निडर नहीं हो पाई हैं। प्रश्न यही है कि क्या स्वाति मालीवाल वास्तव में निडर हो सकेंगी और चुप्पी तोड़ेंगी? क्या वह निडर होकर रिपोर्ट दर्ज करा पाएंगी?

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