ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत और ईरान के बीच दीर्घकालिक व्यापारिक संबंधों की धुरी की तरह देखा जाना चाहिए। भूराजनीति की उठापटक से इतर, दोनों देशों के व्यापक हित को ध्यान में रखकर भारत और ईरान के बीच कल हुआ यह महत्वपूर्ण करार जहां एक ओर पाकिस्तान की कूटनीतिक और कारोबारी हार बताया जा रहा है वहीं यह भारत की विश्व के विभिन्न विचारधाराओं, मत—पंथों और जनजीवन वाले देशों के साथ बढ़ते संबंधों का भी दर्शन कराता है।
यह समझौता करने के बाद ईरान के चाबहार में शाहिद बेहिश्ती पोर्ट टर्मिनल का संचालन भारत ने अपने हाथ में ले लिया है। यह एक दीर्घकालिक समझौता है जिसके लिए भारत के केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल कल विशेष रूप से ईरान में उपस्थित थे। इस करार पर भारत की ओर से इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड ने तथा ईरान की ओर से वहां के बंदरगाह व समुद्री संगठन ने संयुक्त रूप से किए हैं। पाकिस्तान भी वर्षों से इस बंदरगाह पर अपना वर्चस्व बनाने की कोशिशों में लगा हुआ था लेकिन भारत की कूटनीतिक दक्षता से वह परास्त हुआ, नि:संदेह इसे पाकिस्तान के लिए बड़ा आघात बताया जा रहा है।
भारत के इतिहास में पहली बार देश ने विदेश के किसी बंदरगाह के संचालन सूत्र अपने हाथ में लिए हैं। बंदरगाह के प्रबंधन का कार्य पूरी तरह अब भारत के पास होगा। समझौते पर हस्ताक्षर के मौके पर भारत के केन्द्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल का कहना था कि करार पर दस्तखत होने से चाबहार में भारत की लंबे वक्त की भागीदारी की नींव पड़ी है। सोनोवाल का कहना था कि भारत की ओर से अब इस चाबहार बंदरगाह की कार्यकुशलता कई गुना बढ़ जाएगी।
इस बंदरगाह के माध्यम से भारत का अफगानिस्तान से सीधा जुड़ाव होगा और यह सुविधा क्षेत्रीय व्यापार को आगे बढ़ाएगी। यह एक बड़ी वजह है भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह परियोजना पर विशेष बल देने की। भारत तथा ईरान द्वारा यह बंदरगाह आईएनएसटीसी परियोजना के एक महत्वपूर्ण केंद्र के नाते देखा जा रहा है। दरअसल यह परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया तथा यूरोप के मध्य माल के आवागमन के लिए बनाई गई 7,200 किलोमीटर लंबी विभिन्न माध्यमों वाली परिवहन की परियोजना है।
केन्द्रीय मंत्री का यह कहना मायने रखता है कि चाबहार भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह होने की वजह से सागरीय दृष्टिकोण से भी एक शानदार बंदरगाह है और आज इसका संचालन भारत के हाथ में आना अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक बड़ी उपलब्धि है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल निर्देशन और दूरदृष्टि से ईरान के साथ भारत ने सिर्फ एक देश के नाते संबंध विकसित नहीं किए हैं बल्कि सांस्कृतिक-सामाजिक संबंधों को भी सहेजा है। शिया मत वाला देश ईरान ऊर्जा से संपन्न है। चाबहार इसके दक्षिणी तट के साथ सटे सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में है और यह बंदरगाह आपसी जुड़ाव तथा कारोबारी रिश्तों को आगे बढ़ाने वाला साबित होगा। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर तैयार कर रहे हैं।
इस बंदरगाह के माध्यम से भारत का अफगानिस्तान से सीधा जुड़ाव होगा और यह सुविधा क्षेत्रीय व्यापार को आगे बढ़ाएगी। यह एक बड़ी वजह है भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह परियोजना पर विशेष बल देने की। भारत तथा ईरान द्वारा यह बंदरगाह आईएनएसटीसी परियोजना के एक महत्वपूर्ण केंद्र के नाते देखा जा रहा है। दरअसल यह परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया तथा यूरोप के मध्य माल के आवागमन के लिए बनाई गई 7,200 किलोमीटर लंबी विभिन्न माध्यमों वाली परिवहन की परियोजना है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने ईरान के साथ जुड़ाव को विकसित करने वाली परियोजनाओं पर आगे बढ़ते हुए इस बंदरगाह के निर्माण में मदद के तौर पर साल 2024-25 के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित करने का संकल्प किया है। भारत की वैश्विक पहुंच बनाने को संकल्पबद्ध मोदी सरकार कई अन्य देशों के साथ भी राष्ट्रयी हित की ऐसी अनेक परियोजनाओं पर काम कर रही है।
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