स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट, AAP की विरासत और उसके नए नाटक

खास बात ये है कि स्वाती मालिवाल के साथ मारपीट पर आम आदमी पार्टी ने अभी तक चुप्पी साध रखी है।

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सोनाली मिश्रा

आम आदमी पार्टी की नेता एवं राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल आज अचानक से फिर से चर्चा में आ गईं। हालांकि, जब तक वे दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं, तब तक वे लगातार चर्चा में रहा ही करती थीं। मगर यह चर्चा आज भिन्न थी। हमेशा वह महिलाओं को न्याय दिलाने का दावा करते हुए चर्चा में आती थीं। हमेशा वह कहती थीं कि महिलाओं के प्रति हिंसा के विरुद्ध वे लगातार आवाज उठाती रहेंगी, मगर आज वह इसलिए चर्चा में आईं क्योंकि उन्होनें अपने लिए खुलकर आवाज नहीं उठाई।

एक खबर आती है कि स्वाति मालीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के निजी सहायक द्वारा मारपीट की गई है। और वे वहाँ पर सिविल लाइंस थाने में गईं और फिर उन्होनें पुलिस से कहा कि वे बाद में लिखित शिकायत दर्ज कराने आएंगी। उनकी यह कॉल भी दर्ज है और दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की रिपोर्ट भी।

फोटो साभार: एक्स

दिल्ली पुलिस के डीसीपी (नॉर्थ) मनोज मीणा ने कहा, “हमें सुबह 9:34 बजे एक पीसीआर कॉल मिली, जिसमें कॉलर ने कहा कि सीएम आवास के अंदर उसके साथ मारपीट की गई है। तदनुसार, स्थानीय पुलिस और SHO ने कॉल का जवाब दिया। कुछ देर बाद सांसद स्वाति मालीवाल थाना सिविल लाइन आईं। उनकी ओर से कोई शिकायत नहीं दी गई। इस मामले में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है।”

यही बात सबसे चौंकाने और हैरान करने वाली है कि दूसरी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए हर सीमा पार करने वाली स्वाति मालीवाल ने अपने साथ किए गए इस दुर्व्यवहार को लेकर लिखित में शिकायत दर्ज नहीं कराई है? यदि ऐसा है तो क्यों? लोगों का कहना है कि भीतर खाने कुछ बातचीत चल रही है? सबसे बढ़कर चौंकाने वाली यह बात है कि पार्टी की एक महिला नेता, जो न केवल राज्यसभा सांसद हैं, बल्कि वे महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं, उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार मुख्यमंत्री आवास मे हो जाता है और आम आदमी पार्टी पूरी तरह से चुप है?

पार्टी का कोई भी पदाधिकारी इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं है? आखिर इस बात का खंडन क्यों नहीं किया जा रहा कि स्वाति झूठ बोल रही हैं? और यदि स्वाति सच बोल रही हैं, तो पार्टी का जो कैडर मणिपुर की महिलाओं से लेकर हाथरस की लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करने के लिए कमर कस लेता था, वह आज अपनी ही उस नेता के अपमान पर चुप क्यों हैं, जो दिल्ली की महिलाओं को न्याय दिलाने का दावा करती हैं?

जो बिना डरे मणिपुर चली जाती हैं और जो बाद में यह भी कहती हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं चाहती कि सच सामने आए, वही अपने साथ हुए सच को दबाए हुए क्यों बैठी हुई हैं? राजनीतिक कारणों से उनका संदेशखाली जैसे स्थानों पर पीड़ित महिलाओं के पक्ष में न बोलना समझ में आता है, परंतु अपने लिए? क्या वह अपने लिए भी किसी राजनीतिक कारण से मौन हैं?

सुबह से लेकर शाम तक यह मामला चर्चा में रहा, अभी भी लोग चर्चा कर रहे हैं, एक ही वर्ग है जो इसे झूठ कह रहा है, और वह है आम आदमी पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता! लोग कह रहे हैं कि कुछ तो है जो स्वाति मालीवाल को लेकर गलत है, क्योंकि हाल ही में आम आदमी पार्टी की जो स्टार कैम्पेनर की सूची जारी की गई थी। उसमें अरविन्द केजरीवाल के बाद जो नाम है वह हैरान करने वाला और स्तब्ध करने वाला है। दूसरा नाम है सुनीता केजरीवाल का। क्या यह राजनीतिक विरासत को लेकर हुई किसी बहस का परिणाम है?

अरविन्द केजरीवाल की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी की लड़ाई?

जेल से चुनावों तक के लिए अंतरिम जमानत लेकर बाहर आए आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। उन्होनें प्रश्न किया था कि जब प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे तो वह अपनी राजनीतिक विरासत किसे सौंपकर जाएंगे? उनका कहना था कि जल्दी ही मोदी जी गृह मंत्री अमित शाह को गद्दी सौंप देंगे।

मगर यहाँ पर एक बात समझने वाली है कि भारतीय जनता पार्टी एक कैडर आधारित पार्टी है, इसलिए अरविन्द केजरीवाल के मुंह से भी भारत के प्रधानमंत्री के परिजनों के नाम के स्थान पर गृह मंत्री अमित शाह का नाम निकला, क्योंकि यहाँ पर परिवार के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता और पार्टी मापदंडों के आधार पर किसी भी कार्य और पद के लिए चयन होता है।

परंतु यह आम आदमी पार्टी के साथ ऐसा प्रतीत नहीं होता है। कम से कम जब अरविन्द केजरीवाल जेल मे थे, तो उस दौरान पार्टी की कमान किसी नेता के हाथ में न होकर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल के हाथों में थी। वही सुनीता केजरीवाल, जो पार्टी के किसी भी पद पर न होकर भी स्टार कैम्पेनर की सूची में दूसरे स्थान पर हैं, वहीं राज्य महिला आयोग के पद पर रहीं और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल का नाम इस सूची में नहीं है।

यदि यह सूची सही है तो प्रश्न अरविन्द केजरीवाल पर उठते ही हैं और उठेंगे ही कि कैसे एक पूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के राजनीतिक सफर को एक गैर राजनीतिक व्यक्ति के नाम के नीचे रख दिया जाता है? केवल इसलिए क्योंकि सुनीता केजरीवाल, अरविन्द केजरीवाल की पत्नी हैं?

भारत में बिहार में ऐसा ही पारिवारिक प्रयोग किया गया था। गरीबों, पिछड़ों के मसीहा कहे जाने वाले लालू प्रसाद यादव जब चारा घोटाले के कारण जेल गए तो अपनी राजनीतिक विरासत अपनी गैर-राजनीतिक पत्नी के हवाले कर गए। उन्होनें अपनी पार्टी से किसी और को इस योग्य नहीं समझा था।

क्या अरविन्द केजरीवाल भी दिल्ली को बिहार के जैसे प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं या फिर वह यह साबित करना चाहते हैं कि परिवरवाद का विरोध करके सत्ता में आई आम आदमी पार्टी विरासत के नाम पर एक ही परिवार की गुलाम बनकर रह जाएगी?

हालांकि, स्वाति मालीवाल का मामला और आम आदमी पार्टी की राजनीतिक विरासत दो अलग अलग मामले हैं, परंतु एक बिन्दु जो इन दोनों में आम है वह है अपने मूल्यों को धोखा देने की विरासत। दूसरी महिलाओं के लिए तेजी से रिपोर्ट लिखवाने वाली स्वाति ने अभी तक अपने लिए न्याय के लिए कदम क्यों नहीं बढ़ाया है? आम आदमी पार्टी का कैडर क्यों स्वाति मालीवाल के लिए कुछ नहीं बोल रहा है? और प्रधानमंत्री मोदी से राजनीतिक विरासत पर प्रश्न करने वाले अरविन्द केजरीवाल अपनी पार्टी की राजनीतिक उत्तराधिकारी पर बात क्यों नहीं करते? क्यों वह नहीं कहते कि शराब घोटाले में और फँसने के बाद यदि वह गद्दी छोड़ेंगे तो किसे अपनी गद्दी की विरासत सौंपेंगे?

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