राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (11 मई) पर विशेष : प्रौद्योगिकी के वरदानों को अभिशाप न बनने दें!
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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (11 मई) पर विशेष : प्रौद्योगिकी के वरदानों को अभिशाप न बनने दें!

हम भारतवासियों के लिए एक गौरवशाली तिथि है क्यूंकि इस दिन को ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विज्ञान के क्षेत्र में भारत की आकाश छूती उपलब्धियों को रेखांकित करने का दिन है।

by पूनम नेगी
May 11, 2024, 03:07 pm IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
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11 मई की तिथि निश्चित रूप से हम भारतवासियों के लिए एक गौरवशाली तिथि है क्यूंकि इस दिन को ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विज्ञान के क्षेत्र में भारत की आकाश छूती उपलब्धियों को रेखांकित करने का दिन है। गौरतलब हो कि 11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था। तभी से भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। आधुनिक विश्व में प्रौद्योगिक क्रांति की शुरुआत अठारहवीं सदी में जन्मे स्कॉटलैंड के अभियांत्रिकी विशेषज्ञ जेम्स वाट के बनाये
भाप के इंजन से मानी जाती है। तब से लेकर वर्तमान तक बीती दो-ढाई शताब्दियों के समय काल में हुए विभिन्न वैज्ञानिक व तकनीकी अविष्कारों ने मनुष्य की पूरी जीवनशैली बदल दी है।

जानना दिलचस्प हो कि बिजली का आविष्कार दुनिया की प्रौद्योगिक क्रांति का मूलाधार बना। बीती सदी में कंप्यूटर क्रांति का रास्ता खुला और इक्कीसवीं सदी के बीते दो दशकों में हुई डिजिटल क्रांति ने तो पूरी दुनिया का नक्शा ही बदल दिया है। लाइट व फैन से लेकर घर में पानी की आपूर्ति के लिए इलेक्ट्रिक पानी मोटर, जाड़े में गर्म पानी से नहाने के लिए गीजर व घर को गर्म रखने के लिए हीटर व ब्लोअर तथा गर्मी में घर ठंडा रखने के लिए एयर कंडीनीशनर, स्टेबलाइजर व इनवर्टर। रसोई में खाना बनाने के लिए ओवन, मिक्सर ग्राइंडर, इन्डकशन चूल्हा, फ्रिज, इलेक्ट्रिक चिमनी, आरो, एक्वागार्ड व डिश वॉशर जैसे तमाम सुविधाजनक इलेक्ट्रानिक उपकरण।

कपड़े धोने व प्रेस करने के लिए आटोमैटिक वाशिंग मशीन और इलेक्ट्रिक प्रेस। परिवहन के लिए तरह तरह की कारें, बस व मोटरसाइकिल, ट्रेन व हवाई जहाज। काम करने के लिए  कम्प्यूटर, टेबलेट, इंटरनेट, प्रिंटर, व अत्याधुनिक मोबाइल फोन। मनोरंजन के लिए रेडियो से लेकर, स्मार्ट टीवी व सिनेमा। बहुत लम्बी सूची है हमारे जीवन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े बहुआयामी उपकरणों की। अपने इर्द-गिर्द नजर दौड़ा कर देखें; आज हमारी समूची दुनिया तकनीक की गिरफ्त में है। कल्पना करके देखिए कि यदि सत्रहवीं सदी का मानव वर्तमान की इस इक्कीसवीं सदी में आ जाए तो यकीन मानिए कि वह हमारी जीवनशैली देख कर पूरी तरह चकरा जाएगा।

टेक्नोलॉजी से सरल बना जीवन

आज हर गाँव और शहर के लोग सस्ती और किफायती सौर ऊर्जा तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। CNG गैस का इस्तेमाल आजकल हर मेट्रो सिटी में बस, ऑटो और अन्य वाहनों में हो रहा है। इससे वायु प्रदूषण भी कम हुआ है। टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को बहुत सरल बना दिया है। अब हम घर बैठे व केवल ट्रेन, प्लेन, बस का टिकट खरीद सकते हैं। ऐप से इनके आने जाने की स्थिति की भी जानकारी पा सकते हैं। वो दिन गए जब हम बैंक में, टिकट के लिए लम्बी कतारों में लगते थे, बिल, पब्लिक फ़ोन बूथ, डॉक्टर से मिलने के लिए समय, और सरकारी कार्यालयों आदि में जाना पड़ता था।

अगर आपने इन लम्बी-लम्बी कतारों और थकावट भरे कार्यों का अनुभव नहीं किया है, तो आप वाकई में बहुत ही खुशकिस्मत हैं। वर्तमान युग की उन्नत तकनीक ने शिक्षा, नौकरी व बिजनेस को भी अत्यंत सहज व सुविधाजनक बना दिया है। इंटरनेट ने घर बैठे ऑनलाइन शिक्षा का जो सर्वसुलभ माध्यम उपलब्ध कराया है, उसकी उपयोगिता बीते दिनों कोरोना काल में सबके सामने साबित हो चुकी है। अब विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के कोर्स ऑनलाइन ही कर सकते हैं। इस तरह घर बैठे शिक्षा पाना संभव हुआ है। आज अनेक वेबसाइट, यूट्यूब पर लोग पढ़ाने का काम करते हैं। विद्यार्थी घर बैठे पढ़ाई कर सकते हैं। अब महंगी फीस देकर ट्यूशन, कोचिंग पढने की जरूरत नहीं है।

निर्माण, स्वास्थ्य व कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के बढ़ते कदम

आधुनिक भारत में निर्माण, स्वास्थ्य व कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉज के बढ़ते कदमों की उपलब्धियां भी काबिलेगौर हैं। आज कृषि क्षेत्र में फसलों की उत्पादकता में सुधार के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। सिंचाई के लिए ड्रोन तकनीक खूब लोकप्रिय हो रही है। आज किसान प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए विशेषज्ञों से संवाद कर सकते हैं ताकि उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करने की सलाह मिल सके। इसी तरह यदि स्वास्थ्य क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के बढ़ते क़दमों की बात करें तो नयी चिकित्सा प्रौद्योगिकी से भारत में मृत्यु दर में खासी गिरावट आयी है। ज्ञात हो कि बीते दिनों कोरोना संकटकाल में देश की उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी ने लोगों को कोविड-19 के खतरों से बचाने में अहम भूमिका निभायी थी। उस आपातकाल में उन्नत तकनीक की मदद देश भर में कोविड-19 अस्पताल और प्रयोगशालाओं की स्थापना कर तथा देशभर में वृहद स्तर पर अभियान चलाकर किये गये कोविड वैक्सीनेशन की उपलब्धियां तो निःसंदेह राष्ट्रीय गर्व का विषय हैं।

अलाहदीन का चिराग बना स्मार्टफोन

इक्कीसवीं सदी के मानव समाज में सर्वाधिक तेजी से लोकप्रिय होने वाले तकनीकी उपकरण मोबाइल फोन की तो बात ही निराली है। बीते एक दशक में मोबाइल फोन फीचर फोन से टच स्क्रीन तक पहुंच चुका है। जेब और पर्स में सहजता से समा जाने वाले इस छोटे से तकनीकी उपकरण में अलाहदीन के चिराग की भांति आज के अत्याधुनिक इंसान की हर छोटी-बड़ी महत्वपूर्ण जानकारी तथा सुख-सुविधा का त्वरित समाधान निहित है। अत्याधुनिक फीचर्स से लैस आज के स्मार्टफोन जानकारी, सूचना और संवाद की नयी दुनिया रचने के साथ संवाद के सबसे सुलभ, सस्ता और उपयोगी साधन साबित हो रहे हैं। प्रो. संजय द्विवेदी की मानें तो इस
बहुपयोगी संचार उपकरण ने मैसजिंग के टेक्ट्स्ट को एक नए पाठ में बदल दिया है।

एक यह हमें ‘फेसबुक’, ‘व्हाट्सअप’ व यू-ट्यूब से जोड़ता है और दूसरी ओर ‘ट्विटर’ और ‘इन्स्टाग्राम’ से भी। सोशल मीडिया के इस जमाने में लाखों करोड़ों तक पहुँच वाले इन साइट्स पर व्यक्त किया गया एक पंक्ति का सनसनीखेज विचार पल भर में पूरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हाहाकार मचा सकता है। यह करामाती फोन
जहां एक और खुद में रेडियो, टीवी, तमाम बहुउपयोगी एप्स और सोशल साइट्स के साथ सक्रिय है, वही ऑनलाइन गेम्स, गीत-संगीत, टीवी सीरियल्स तथा फिल्मों के माध्यम से लोगों का भरपूर मनोरंजन भी कर रहा है। नई पीढी को आकर्षित करने में इस तकनीकी उपकरण ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस पर प्यार से लेकर
व्यापार सब पल रहा है।

मनुष्य के एकांत को भरने वाला मशीनी हमसफर

उत्तर आधुनिक संवाद का यह अनूठा यंत्र आज के मनुष्य के एकांत को भरने वाला ऐसा मशीनी हमसफर बनता जा रहा है जो अपनी तमाम अच्छाई व बुराई के साथ लोगों को पूरी शिद्दत से बांधता है। हमारे आँख, कान, मुंह, उंगलियां और दिल सब इसके निशाने पर हैं। ‘’एक क्लास में टीचर ने बच्चों से पूछा- जीवन क्या है? एक
बच्चे ने छोटा सा लेकिन बहुत चौंकाने वाला जवाब दिया। बच्चे ने कहा- मोबाइल फोन के साथ बिताया गया समय ही असली जीवन है।‘’ सोशल मीडिया पर वायरल यह मैसेज हमारे जीवन में इस उपकरण की गहराती पकड़ का बेहद सटीक उदाहरण माना जा सकता है। बेशक यह जवाब आपको भी भीतर तक छू गया होगा। जानना दिलचस्प हो कि सोशल मीडिया जब से डेस्कटॉप व लैपटॉप से आगे निकल कर मोबाइल फोन पर सक्रिय हुआ है तब से इसकी द्विपक्षीय संवाद क्षमता ने इसे लोकप्रियता के चरम पर पहुंचा दिया है। ताजा सर्वे के मुताबिक आज देश के लोग औसतन दिन के पांच से आठ घंटे फोन स्मार्टफोन पर बिता रहे हैं।

सेहत पर भारी पड़ रही ‘टेक्नोलॉजी’ की गुलामी

यकीनन आज कोई भी इस तथ्य को अनदेखा नहीं कर सकता कि इंसानी जिंदगी आज पूरी तौर पर तकनीक के शिकंजे में कैद हो चुकी है। एक पुरानी कहावत है-

‘अति सर्वत्र वर्ज्यते’ और तकनीक के इस्तेमाल के मामले में यह कहावत आज सही साबित हो रही है। ‘टेक्नोलॉजी’ की गुलामी आज इंसानी सेहत पर भारी पड़ती जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो हर वक्त स्मार्टफोन से चिपके रहने की वजह से लोगों में न केवल तनाव, बेचैनी व अवसाद की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं वरन आंखों व मन-मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। लखनऊ के सुप्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. सुमित कुमार कहते हैं कि तकनीकी उपकरणों के असीमित व अनियंत्रित उपयोग से ‘लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर’ की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। उनके मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कैंसर रिसर्च एजेंसी ने मोबाइल फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरणों को संभावित कार्सिनोजन (कैंसरकारी तत्वों) की श्रेणी में रखा है। इस कारण सोते समय स्मार्टफोन को सिरहाने रखने की आदत बहुत खतरनाक है। इस अध्ययन में चेताया गया है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक इस्तेमाल मस्तिष्क और कान में ट्यूमर पनपने की वजह भी बन सकता है तथा इलेक्ट्रो मैग्नेटिक विकिरणों का नपुंसकता का खतरा हो सकता है।

हम जीते जागते इंसान हैं, रोबोट नहीं समझना होगा कि हम जीते जागते इंसान हैं, रोबोट नहीं। देश के जाने माने
तकनीक विशेषज्ञ बालेन्दु शर्मा सुझाव देते हैं कि मोबाइल के उपयोग की समय सीमा निर्धारित व नियंत्रित होनी चाहिए; खासकर बच्चों के लिए। इसके लिए घर वालों के साथ मिलकर कोई ऐसा समय तय करें, जब पूरा परिवार एक साथ बैठ सके और वहां कोई डिजिटल उपकरण न हो। देर रात तक फोन पर नेट सर्फिंग व चैटिंग से बचना चाहिए करें क्यूंकि अच्छी सेहत के लिए सात से आठ घंटे की नींद बहुत जरूरी है। मोबाइल व लैपटॉप पर काम करते समय थोड़ी थोड़ी देर में 5-10 मिनट के लिए आँखों को विश्राम जरूर दें तथा पीठ व गर्दन को यथासंभव सीधा रखें ताकि आँखें कमजोर न हों और स्पोंडलाइटिस की समस्या से बचा जा सके। अपनी जीवनशैली में इन छोटे छोटे बदलावों को लाकर हम तकनीक के दुरुपयोग से होने वाले खतरों से काफी हद तक बच सकते हैं।

Topics: instagramMachini HumsafarsmartphoneNational Technology Dayस्मार्टफोनwhatsappपाञ्चजन्य विशेषट्विटरअंतरराष्ट्रीय कैंसर रिसर्च एजेंसीTwitterमशीनी हमसफरइन्स्टाग्रामव्हाट्सअपफेसबुकयू-ट्यूबyoutubeराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवसfacebookInternational Cancer Research Agency
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