गत 2 मई को नई दिल्ली में ‘यरनिंग फॉर राम मंदिर एंड फुलफिलमेंट’ नामक पुस्तक का लोकार्पण हुआ। इसके लेखक हैं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्र।
मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार और राम मंदिर तीर्थक्षेत्र न्यास क्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय भी उपस्थित रहे। डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा बार-बार मंदिरों को तोड़ा गया और हिंदू उन्हें बनाते भी रहे। उन्होंने राम द्वारा स्थापित आदर्शों का उल्लेख किया।
उन्होंने कैकेई, मंथरा, रावण, निषादराज, भरत, लक्ष्मण आदि के जीवन प्रसंगों से वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डाला।न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने राम मंदिर के विरोध में खड़े पक्षकारों का जिक्र करते हुए कहा कि जब 2,500 वर्ष पूर्व जीसस और 1,500 वर्ष पूर्व मोहम्मद के जन्म पर इस देश में विवाद नहीं हुआ तो फिर अपने ही घर में हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम के जन्म को लेकर इतनी शंका क्यों उत्पन्न हुई? श्री चंपत राय ने बताया कि किस तरह राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद् का प्रवेश हुआ और आंदोलन कैसे आगे बढ़ा।
श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह पुस्तक एक दस्तावेज जैसी है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्र ने प्राचीन इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि राम राज्य में सभी सुखी थे, कोई दीन-हीन नहीं था। कोई दरिद्र नहीं था, सभी ज्ञान से परिपूर्ण थे। लोग छल-कपट, द्वेष, ईर्ष्या से मुक्त थे। कार्यक्रम का समापन डॉ. नीरजा गुप्ता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं वंदेमातरम् से किया गया। इस अवसर पर कई संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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