आज के समय में लोग शांतिपूर्ण पल बिताने और धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों की खोज के लिए प्रकृति की गोद में जाते हैं। आज इस आर्टिकल की मदद से हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जिसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं, लेकिन सुकून और शांति का एहसास करने के लिए यह जगह उत्तम है। कहा जाता है कि यहां कलियुग का कोई प्रभाव नहीं है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के वृंदावन का “टटिया स्थान” है। वृंदावन का टटिया स्थान एक ऐसा धाम है जहां ठाकुर जी विराजमान हैं और यहां पर अलग ही शांति और मानसिक सुकून मिलता है।
क्यों नहीं आया कलियुग?
यहां पर “कलियुग” का अर्थ है मशीनी युग से है। टटिया स्थान भगवान श्री कृष्ण के भक्त हरिदास संप्रदाय से जुड़ा है। यहां साधु-संत संसार से विरक्त होकर बिहारी जी के ध्यान में लीन रहते हैं। टटिया स्थान में शुद्ध प्राकृतिक सौंदर्य है, जो तकनीकी प्रगति से पूरी तरह अछूता है। जब आप यहां पहुंचेंगे तो ऐसा महसूस होगा मानो आप कई सदियों पीछे चले गए हों। यहां प्रकृति से निकटता, पवित्रता, दिव्यता और आध्यात्मिकता का एक अलग ही एहसास होता है। यहां किसी भी उपकरण, मशीन या बिजली का उपयोग नहीं किया जाता है। मोबाइल फोन, पंखे या बल्ब भी नहीं हैं।
टटिया स्थान स्वामी हरिदास सम्प्रदाय से सम्बंधित है। स्वामी हरिदास जी बांके बिहारी जी के परम भक्त थे। उन्होंने वृंदावन के पक्षियों, फूलों और पेड़ों से प्रेम और दिव्य संगीत की शिक्षा ली। इसके बाद हरिदास संप्रदाय के 8 आचार्य हुए हैं।
यहां नहीं ले जा सकते मोबाइल
यहां के साधु-संत किसी भी प्रकार का दान या दक्षिणा स्वीकार नहीं करते हैं। यहां के संत लोग कुएं के जल का उपयोग करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मोबाइल फोन नहीं ला सकते।
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