जिन्ना के देश पाकिस्तान और उसके आका चीन की बीच कैसे साहब और गुलाम के रिश्ते हैं, उसे दुनिया जानती है। पड़ोसी इस्लामी देश में सरकार किसी की हो, वे अपने कम्युनिस्ट आका के आगे झुकते ही हैं। आजकल भारत के संदर्भ में दोनों साजिशी देशों के बीच निकटता कुछ ज्यादा ही दिख रही है। ताजा खबर यह है कि पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष चीन गए हैं, इस दौरे में दोनों देशों के नौसेना कमांडर अंदरखाने क्या चर्चा कर रहे हैं, यह सवाल विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना है।
पिछले साल नवम्बर में पाकिस्तान और चीन की नौसेनाओं ने अरब सागर में संयुक्त रूप से युद्धाभ्यास किया था। ऐसा पहली बार हो रहा था जब भारत विरोधी दोनों देश ऐसा कोई अभ्यास कर रहे थे और वह भी उस अरब सागर में जो दोनों की चिढ़ के निशाने पर बने भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष अपने चीनी आकाओं से अरब सागर में भारत के लिए परेशानी बढ़ाने के कुछ गुर सीखने भी गए होंगे। चीन और पाकिस्तानी कमांडर जानते हैं कि अरब सागर का भारत के लिए रणनीतिक महत्व क्या है। इसलिए संभवत: यहां अपनी उपस्थिति बढ़ाना भी दोनों के छुपे एजेंडे में से एक बिन्दु हो सकता है। बढ़ते भारत की ताकत से दोनों की नफरत किसी से छुपी नहीं है।
पाकिस्तानी नौसेनाध्यक्ष एडमिरल नवीद अशरफ की बीजिंग में चीनी समकक्ष से हुई वार्ता के बाद पता चला है कि दोनों देश अरब सागर में मिलकर गश्त करेंगे। प्रकट रूप में पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष के चीन दौरे की वजह हंगोर वर्ग की पहली पनडुब्बी को पानी में उतारने का समारोह बताई गई है। लेकिन चीन के नौसेना मुख्यालय में वहां के कई बड़े कमांडरों से भी उनकी बातचीत हुई है। लेकिन उसमें क्या हुआ उसका कोई बहुत ज्यादा खुलासा नहीं किया गया। बस इतना ही बताया गया कि दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में अधिक तालमेल को लेकर बात हुई है।
पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष ने इस मौके पर हंगोर पनडुब्बी की विशेषताएं जानीं। जाहिर बात है कि पाकिस्तान चीन की 8 हंगोर पनडुब्बियों की खरीद के लिए उतावला है। यह अलग बात है कि जिस चीन के दिए पैसों से वह अपना पेट भर रहा है उससे कुछ ‘खरीदने’ के लिए भी क्या उसी से पैसा मांगेगा?
एडमिरल नवीद ने किंगदाओ में स्थित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के मुख्यालय में चीनी नौसेना के कमांडर एडमिरल हू झोंगमिंग के साथ हुई अपनी बात में दोनों देशों के बीच नौसैनाओं के सहयोग और सागर सुरक्षा से जुड़े विषयों का उल्लेख किया। एडमिरल अशरफ ने समुद्री सुरक्षा कर दृष्टि से शांति तथा स्थिरता के प्रति पाकिस्तान की नौसेना की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। बताया गया कि दोनों देशों की नौसेनाओं ने तय किया है कि वे अरब सागर में मिलकर निगरानी करेंगी।
आजकल वैसे भी अरब सागर में हूती विद्रोहियों तथा सोमाली के समुद्री तस्करों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। इन दोनों की भारत ने मुश्कें की हुई हैं। लेकिन इसकी आड़ में पाकिस्तानी और चीनी नौसेना का मकसद वहां सिर्फ सुरक्षा पुख्ता करना भर नहीं हो सकता है। स्पष्ट है कि भारतीय नौसेना की अरब सागर में सक्रियता बढ़ी है जो चीन को खटक रही है। इसमें संदेह नहीं है कि सिर्फ इसी बात से चीन पाकिस्तान को साथ लेकर ‘संयुक्त समुद्री गश्त’ की तैयारी में जुटा है।
चीनी नौसेनाध्यक्ष एडमिरल झोंगमिंग ने समुद्री सुरक्षा को लेकर चल रहे संयुक्त प्रयासों के लिए पाकिस्तानी नौसेना की तारीफ की। उन्होंने द्विपक्षीय समुद्री सहयोग को और बढ़ाने की जरूरत बताई। कहा गया है कि पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख के इस चीन दौरे से दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग और संबंध और मजबूत होंगे। पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष ने इस मौके पर हंगोर पनडुब्बी की विशेषताएं जानीं। जाहिर बात थी कि पाकिस्तान चीन की 8 हंगोर पनडुब्बियों की खरीद के लिए उतावला है। यह अलग बात है कि जिस चीन के दिए पैसों से वह अपना पेट भर रहा है उससे कुछ ‘खरीदने’ के लिए भी क्या उसी से पैसा मांगेगा?
लेकिन एक बात तो तय है कि पाकिस्तानी और चीनी नौसेनाओं के बीच अरब सागर में संयुक्त गश्त पर सहमति भारत की नौसेना के लिए चिंता का एक विषय हो सकती है। आजकल वैसे भी अरब सागर में हूती विद्रोहियों तथा सोमाली के समुद्री तस्करों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। इन दोनों की भारत ने मुश्कें की हुई हैं। लेकिन इसकी आड़ में पाकिस्तानी और चीनी नौसेना का मकसद वहां सिर्फ सुरक्षा पुख्ता करना भर नहीं हो सकता है। स्पष्ट है कि भारतीय नौसेना की अरब सागर में सक्रियता बढ़ी है जो चीन को खटक रही है। इसमें संदेह नहीं है कि सिर्फ इसी बात से चीन पाकिस्तान को साथ लेकर ‘संयुक्त समुद्री गश्त’ की तैयारी में जुटा है।
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