उत्तराखंड ब्यूरो / देहरादून । राजधानी के बीचों बीच बहने वाली रिस्पना नदी को सजाने संवारने और इसे साबरमती रिवर फ्रंट की तरह बनाए जाने की योजना को मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। खूबसूरती तो क्या निखारी जाती उल्टा नदी किनारे सरकारी जमीनों पर बाहरी प्रदेशों से आए लोगो ने राजनीतिक संरक्षण में अवैध कब्जे कर लिए और अब उसी जमीन को सौ सौ रू के स्टांप पेपर पर बेचा जाने लगा है।
कभी देहरादून में बारह मास बहने वाली रिस्पाना नदी को पुन जीवन देने के उद्देश्य से पिछली बीजेपी सरकार ने एक वृहद योजना तैयार की थी, इस नदी को साबरमती रिवर फ्रंट की तरह सजाया संवारा जाना था। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने नदी के दोनो तरफ अतिक्रमण हटाने और बाग बचीचे बनाने का काम शुरू करवाया था।इस योजना में सौ एकड़ भूमि नदी किनारे की एमडीडीए को ट्रांसफर भी की गई थी ताकि वो यहां स्थल विकास का काम कर सके।
सीएम त्रिवेंद्र रावत के जाते ही ये योजना ठंडे बस्ते में दफन हो गई और जो भूमि एमडीडीए को दी गई थी वहां बाहरी राज्यों से आए लोगो द्वारा कब्जा ली गई ।इस भूमि को खुर्दबुर्द करने के लिए स्थानीय राजनीति संरक्षण ने भी बड़ी भूमिका निभाई और ये जमीन सौ सौ रू के स्टांप पेपर पर खरीदी बेची जाने लगी।
हालात इतने बत्तर हो गए कि रिस्पना नदी एक नाले में तब्दील हो गई और अवैध कब्जो से और भी बदसूरत हो गई। नदी की बदसूरती को छिपाने के लिए मुख्य मार्गो के पुलो पर पीडब्ल्यूडी एमडीडीए ने बोर्ड लगा दिए।फिलहाल ये नदी अवैध बस्ती बन गई जिसमे ज्यादातर एक विशेष समुदाय के लोगो ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है।
एमडीडीए की लापवाही
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने अवैध मलिन बस्तियों में हो रहे अतिक्रमण पर आंखे मूंदे रखी, जिला प्रशासन, नगर निगम ,सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग ने मिलकर सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना था जोकि उसने नही किया।
129 अवैध मलिन बस्तियों में है अवैध कब्जे
राजधानी देहरादून में नगर निगम द्वारा किए गए एक सर्वे में 129 मलिन बस्तियों को चिन्हित किया गया है जिनमे एक वर्ग विशेष के लोग यूपी बिहार से आकर अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर बस गए है। करीब एक लाख लोगो के 40 हजार मकान यहां नदियों नालों की जमीनों पर अवैध रूप से बन गए है।
नगर निगम जे चुनाव नजदीक है लिहाजा इन दिनों निगम परिसर में राजनीतिक गतिविधियां एका एक बढ़ गई है।देहरादून जिला प्रशासन इन अवैध बस्तियों को हटाने के लिए कमर कसे हुए है लेकिन राजनीतिक संरक्षण उन्हे फिलहाल काम नही करने दे रहा है।
टिप्पणियाँ