अमेरिका की पुरानी आदत है अपने आपको को सुपर दिखाने के चक्कर में दूसरों को नीचा दिखाने की। लेकिन जब मामला उल्टा पड़ जाय तो फिर डैमेज कंट्रोल करने लगता है। ऐसा ही कुछ हाल ही में हुआ, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका को प्रवासियों का सबसे बड़ा रहनुमा बताने के चक्कर में भारत को ‘जेनोफोबिक’ (विदेशियों से नफरत करने वाला) कह दिया।
लेकिन, उनका ये बयान खुद अमेरिका के ही गले के नीचे नहीं उतर रहा है। व्हाटइट हाउस अब अपने बयान पर सफाई दे रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां पियरे से जब जो बाइडेन की टिप्पणी को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एक व्यापक बिन्दु पर बात कर रहे थे। पियरे ने कहा कि हमारे सहयोगियों को पता है कि राष्ट्रपति उनका कितना सम्मान करते हैं।
पियरे ने कहा कि बाइडेन ने टिप्पणी की थी कि अप्रवासियों का होना कितना आवश्यक है और इसके कारण देश किस तरह से मजबूत बनता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के सचिव ने भारत-जापान का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और जापान के साथ हमारे संबंध काफी मजबूत हैं। अगर आप पिछले तीन वर्षों को देखेंगे तो राष्ट्रपति ने राजनयिक संबंधों पर निश्चित ही अपना ध्यान केंद्रित किया है।
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क्या था जो बाइडेन का बयान
गौरतलब है कि अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए चंदा जुटाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जो बाइडेन ने भारत, जापान, रूस और चीन वे देश हैं, जो कि विदेशियों से घृणा करते हैं। अमेरिका की तरह कोई भी देश अप्रवासियों का स्वागत नहीं करता है। डेमोक्रेट की ओर से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार बाइडेन ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए कहा था कि हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ने का सबसे बड़ा कारण आपकी और कई अन्य लोगों के कारण है। ये सब इसलिए है, क्योंकि हम अप्रवासियों का स्वागत करते हैं।
बाइडेन ने लोगों से इसके बारे में सोचने की अपील करते हुए कहा कि चीन की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से ठहर क्यों रही है? क्यों जापान को दिक्कतें हो रही हैं? रूस औऱ भारत क्यों हैं? क्योंकि ये विदेशियों से नफरत करते हैं। जबकि, अप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं।
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