अच्छा लगा देखकर, चुनावी सरगर्मियों के बीच भारतीय क्रिकेट जगत ने कोई विशेष गर्मागर्म बहस की गुंजाईश नहीं छोड़ी। दरअसल टी 20 विश्व कप क्रिकेट के लिए जिस भारतीय टीम की घोषणा हुई, वह काफी हद तक एक संतुलित टीम नजर आ रही है। ये अलग बात है कि क्रिकेट पंडितों ने टीम चयन पर बहस करने के लिए कोई न कोई कमी निकालनी शुरू कर दी है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि टी 20 विश्व कप टीम में सिर्फ 15 क्रिकेटरों का चयन होना था और चयनकर्ताओं ने तमाम माथापच्ची के बाद अंततः एक संतुलित टीम का चयन किया है। अमेरिका और वेस्ट इंडीज की जिन परिस्थितियों में मैच खेले जाने हैं उसे देखते हुए माना जा सकता है कि हम 2007 टी 20 विश्व कप के बाद एक बार फिर से विश्व विजेता बनने की दौड़ में आगे खड़े होंगे। कप्तान रोहित शर्मा को एक सशक्त भारतीय टीम दिया गया है। अब जरूरत है उस टीम पर भरोसा जताते हुए खिलाड़ियों से शत-प्रतिशत प्रदर्शन निकलवाने की।
विश्व विजेता बनने का माद्दा
स्पष्ट है कि एक सशक्त भारतीय टीम के साथ अगर सजग प्रयास किया जाए तो अच्छे परिणाम की अपेक्षा की जा सकती है। कप्तान रोहित शर्मा सहित टीम में कुल चार बल्लेबाज, चार ऑलराउंडर, दो विकेटकीपर, दो स्पिनर और तीन तेज गेंदबाजों को चुना गया है। चूंकि अमेरिका और वेस्ट इंडीज के विकेट ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे जीवंत नहीं होंगे तो संभावना जतायी जा रही है कि दोनों ही आयोजन स्थल की पिचें अपेक्षाकृत धीमी और कम उछाल वाली होंगी। ऐसी पिचों पर मध्यम तेज स्विंग गेंदबाज और स्पिनरों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी, और ठीक इसी सोच के साथ चयनकर्ताओं ने टीम का चयन किया है। उदाहरण के लिए देखें तो पिछले चार दशकों से अब तक भारतीय क्रिकेट टीम की सबसे बड़ी ताकत बल्लेबाजी मानी जाती रही है, लेकिन लंबे समय के बाद इस बार टीम चयन में दिखा है कि कप्तान रोहित शर्मा सहित ओपनर यशस्वी जायसवाल, विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव कुल चार विशेषज्ञ बल्लेबाजों को ही शामिल किया गया है। यह अलग बात है कि दो विकेटकीपर रिषभ पंत और संजू सैमसन भी सिद्धहस्त बल्लेबाज हैं, लेकिन इन दोनों का टीम में चयन विशेषज्ञ विकेटकीपर के तौर पर किया गया है। इनके अलावा नौ खिलाड़ी विशुद्ध स्पिनर, तेज गेंदबाज और ऑलराउंडर के रूप में टीम में शामिल किए गए हैं। ऐसा भारतीय टीम संयोजन शायद पहली बार देखने को मिला है। चयनकर्ताओं ने जिस सोची-समझी रणनीति के तहत टीम का चयन किया है, उसी का नतीजा है कि महान क्रिकेटर व विशेषज्ञ सुनील गावस्कर भी मानते हैं कि इस भारतीय टीम में विश्व विजेता बनने की पूरी क्षमता है।
फिर भी बल्लेबाजी नहीं है कम
टीम चयन के ज्यादातर बॉक्स पर सही टिक लगने के बाद अब हाय-तौबा मचाने की कोशिश की जा रही है कि एक सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हुए टीम का चयन किया गया है, जबकि वास्तविकता ये है कि एक आक्रामक टीम संयोजन तैयार करने की हरसंभव कोशिश की गई है। कप्तान रोहित शर्मा ने अगर अपने साथी खिलाड़ियों का सही उपयोग कर लिया तो विश्वास मानें, यही भारतीय टीम विपक्षियों के लिए घातक साबित होगी। चूंकि लंबे समय से भारतीय क्रिकेट को व्यवस्थित तरीके से विकसित करने की कोशिश की गई है तो हमारे चयनकर्ता सिर्फ चार विशेषज्ञ बल्लेबाजों के साथ विश्व कप में उतरने की हिम्मत भी जुटा पा रहे हैं। उन्होंने मैच बचाने के लिए नहीं, बल्कि मैच जीतने के लिए कदम उठाया है। विश्व की नंबर एक रही भारतीय टीम में आज चार बल्लेबाजों को साथ देने के लिए एक विकेटकीपर और कम से कम दो ऑलराउंडर (हार्दिक पांड्या और रविन्द्र जडेजा) हर मैच में बल्ले से पूरा-पूरा साथ देने की क्षमता रखते हैं। इसके बाद चार विशुद्ध गेंदबाजों को अंतिम एकादश में शामिल किया जा सकता है जो अपनी उपयोगिता साबित करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
इतिहास रचने की तैयारी
अब टीम की रूपरेखा देखने पर इतना तय है कि इस बार बल्लेबाजी (जो भारत की बड़ी ताकत रही है) की तुलना में गेंदबाजी ज्यादा मजबूत रखने की कोशिश की गई है। वैसे, टी 20 तो नहीं लेकिन वनडे या फिर टेस्ट क्रिकेट में जसप्रीत बुमराह की अगुआई में भारतीय टीम कई बार ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड या न्यूजीलैंड को उन्हीं की धरती की आग उगलती पिचों पर उन्हें मात देने का माद्दा दिखा चुकी है। इस बार, एक इतिहास रचने की तैयारी की गई है। भारतीय टीम अपने स्पिनरों के बल पर वेस्ट इंडीज और अमेरिका के धीमे विकेटों पर विश्व कप जीतने की कोशिश करेगी। अपनी धरती पर भारतीय स्पिनर हमेशा सफल साबित होते रहे हैं। लेकिन इस बार विदेशी टीमों को विदेश में अपने स्पिनरों के बल पर मात देने की ताक में रहेगी भारतीय टीम। कई विशेषज्ञों को यह बात नहीं पचेगी। लेकिन चयनकर्ताओं ने एक नया अध्याय रचने का मंच तैयार करके टीम को दिया है। अगर कोई बहुत बड़ा उलटफेर न हो या पूर्वानुमान गलत न हो तो अगले माह विश्व कप में क्रिकेटप्रेमियों के पास जश्न मनाने का एक मौका होगा।
स्पिनर दिखाएंगे दम
अंत में चर्चा उन चार स्पिन योद्धाओं की जिनसे हमें सबसे ज्यादा उम्मीद रहेगी। चार ऑलराउंडर में रविन्द्र जडेजा और अक्षर पटेल न केवल आक्रामक बल्लेबाज हैं, बल्कि बहुत अच्छे स्पिनर भी हैं। इन दोनों की विशेषता है कि ये पिच व मौसम को बड़ी जल्दी भांप जाते हैं और परिस्थितियों के अनुरूप गेंदबाजी करते हैं। गेंद को टर्न और गति में विविधता लाने के मामले में जडेजा और अक्षर दोनों को महारत हासिल है। विश्वास मानें, तुरुप का इक्का साबित होंगे ये दोनों स्पिनर। दूसरी ओर, लेग स्पिनर कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल (कुलचा जोड़ी) 2019 विश्व कप के बाद पहली बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट में साथ-साथ खेलते नजर आएंगे। कुलदीप और चहल दोनों ही कलाई के सहारे गेंदों को स्पिन कराते हैं और इन्होंने लय हासिल कर ली तो किसी भी विपक्षी टीम को तहस नहस कर सकते हैं। कप्तान रोहित को इन दोनों पर पूरा भरोसा है और विश्व कप के दौरान कई मैचों में ये कुलचा जोड़ी बल्लेबाजों को अपनी फिरकी की जाल में उलझाते दिखेंगे।
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