दुनियाभर में ईसाइयों की चिंता करने वाले एक संगठन का आरोप है कि कम से कम 120,000 बेकसूर अर्मेनिया के ईसाई लोगों को उनके पुरखों की भूमि से पलायन करने को मजबूर किया गया है। कहा गया है कि ऐतिहासिक रूप से जिस देश ने ईसाइयत को अपना पंथ स्वीकार किया था वहीं पर ईसाइयों पर अत्याचार किए जा रहे हैं, उन का संहार किया जा रहा है।
अमेरिका से संचालित विश्वभर में ईसाइयों के प्रति हो रहे व्यवहार पर नजर रखने वाली संस्था क्रिश्चियन एलायंस लीग ने गत दिनों एक ट्वीट करके इन घटनाक्रमों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस संस्था की ओर से की गई पोस्ट में लिखा गया है, ”इन दिनों ईसाई नरसंहार हो रहा है। अज़रबैजान की नौ महीने की क्रूर नाकेबंदी की वजह से आर्टाख में फंसे 120,000 निर्दोष ईसाई अर्मेनियाई लोगों को उनकी पैतृक ईसाई भूमि से जातीय परिमार्जन के तौर पर बलपूर्वक निर्वासित कर दिया गया है।”
इसी पोस्ट में आगे लिखा है कि ”ईसाइयों वैसा ही नरसंहार अब उस पहले देश में हो रहा है जिसने ईसाई मत को राज्य के मत के रूप में स्वीकार किया था। ईसाइयों के नाते यह जरूरी है कि हम अजरबैजान और तुर्की को पैसा भेजा जाना बंद करने का दबाव बनाने के लिए विभिन्न देशों के राष्ट्रपतियों और सीनेटरों को टैग करके वहां वहां कार्रवाई करें, जहां जहां ईसाइयों पर अत्याचार किया जा रहा है। उन्हें चुपचाप कष्ट न सहने दें”!
पोस्ट में आगे लिखा है, ”वे ईसाई पंथ को मिटा देना चाहते हैं। हम आर्मेनिया के ईसाइयों सहित सभी ईसाइयों के लिए ईसाई पंथ की लड़ाई और उनकी रक्षा करना जारी रखे हुए हैं। विश्व के ईसाइयों को उनके साथ खड़े होना चाहिए। इस बारे में जागरूकता बढ़ाने और ईसाई नरसंहार को रोकने के लिए अपने सीनेटरों, कांग्रेसियों और सांसदों को टैग करें।” पोस्ट के जरिए विभिन्न देशों के ईसाई लोगों से अपील की गई है कि वे इस संदेश को अपने यहां के सांसदों, नेताओं आदि को टैग करके इसे अधिक से अधिक प्रचारित करें।
ऐसी ही एक अन्य सोाल मीडिया पोस्ट में क्रिश्चियन एलायंस लीग ने लिखा है, ”120,000 ईसाइयों को उनकी मातृभूमि से नस्लीय परिमार्जन के तौर पर निकाल बाहर किया गया है। ईसाई अब दुनिया के सबसे पुराने ईसाई देश से विस्थापित कर दिए गए हैं। तुर्की और अजरबैजान में चर्चों पर हमला करके, उन्हें नष्ट करके और उन स्थानों से उनके ईसाई प्रतीक मिटाकर ईसाइयों का नरसंहार जारी है।”
उक्त दोनों देशों पर ईसाइयत का मिटा देने की मंशा रखने का आरोप लगाते हुए इस पोस्ट में आगे लिखा है, ”वे ईसाई पंथ को मिटा देना चाहते हैं। हम आर्मेनिया के ईसाइयों सहित सभी ईसाइयों के लिए ईसाई पंथ की लड़ाई और उनकी रक्षा करना जारी रखे हुए हैं। विश्व के ईसाइयों को उनके साथ खड़े होना चाहिए। इस बारे में जागरूकता बढ़ाने और ईसाई नरसंहार को रोकने के लिए अपने सीनेटरों, कांग्रेसियों और सांसदों को टैग करें।” पोस्ट के जरिए विभिन्न देशों के ईसाई लोगों से अपील की गई है कि वे इस संदेश को अपने यहां के सांसदों, नेताओं आदि को टैग करके इसे अधिक से अधिक प्रचारित करें।
यहां सवाल खड़ा होता है कि तुर्की और अजरबैजान में ईसाइयत के बुरे हाल को लेकर चिंतित ये संस्था, क्रिश्चियन एलायंस लीग क्या इस बात की भी चिंता करती है कि ईसाई मिशनरी ईसाइयत फैलाने के लिए दूसरे गैर ईसाई या पंथनिरपेक्ष देशों में जाकर दूसरे मत को मानने वाले भोले—भाले और अधिकांशत: अनपढ़ लोगों को लालच, भय या जबरन ईसाइयत के बाड़े में लाने को लालायित क्यों रहते हैं? कुछ जानाकरों का कहना है कि क्या इस संस्था को पता है कि कितने ही अफ्रीकी, एशियाई देशों में इस वक्त कितने ही ईसाई मिशनरी ‘जीसस’ के नाम पर कन्वर्जन का खेल खेल रहे हैं और चर्च का शिकंजा कसते जा रहे हैं? इस पर भी कभी यह ‘एलायंस’ कोई सोशल मीडिया पोस्ट लिखे।
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