राष्ट्रीय गौरव 2047 का भारत , सुरक्षित भारत, विश्वस्तरीय राजमार्ग, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आदि का जवाब राहुल गांधी लेकर आए हैं कि कांग्रेस पार्टी किसी और की संपत्ति छीनकर आपको बाँट देगी। सवाल उठता है कि किसकी संपत्ति किसको बाँटी जाएगी? वास्तव में राहुल गांधी देश की जनता को वह माओ-स्टालिन-पोलपोट छाप वामपंथी सपना बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कहा जाता है कि जो कोई भी तुमसे ऊपर है तुम्हारा दुश्मन है। हम सत्ता में आएँगे तो उसकी संपत्ति तुम्हारी हो जाएगी। याने गरीबी रेखा के उस तरफ खड़ा व्यक्ति, निम्न मध्यम वर्ग की दुकान, मकान का हिसाब करे। निम्न मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग की तरफ देखे।
मध्यम वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग से और उच्च मध्यम वर्ग , धनाढ्य लोगों, कंपनियों और उद्योग जगत से ईर्ष्या करे। ये है राहुल गाँधी की मोहब्बत की दुकान। देश में अराजकता फैलाने के लिए आमादा, अपने कम्युनिस्ट उस्तादों की नक़ल करते-करते राहुल अब नक्सली भाषा बोल रहे हैं। इसलिए न न्याय की चिंता है, न संविधान की। आखिरकार राहुल, टैक्स आतंक और लाईसेंस माफिया की समाजवादी विरासत को संभालने वाले शहजादे हैं। उन्होंने देखा है कि तुष्टीकरण की शमशीर को कमर पर कसकर, “गरीबी हटाओ” की अफीम जनता को चटाते रहकर, खानदान की सत्ता को बनाए रखा जाता है।
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जब राहुल देश के नागरिकों की संपत्ति का हिसाब-किताब करने की बात की तो अमेरिका में बैठे उनके उस्ताद सैम पित्रोदा ने राहुल की बात में अमरीकी वजन डालने के लिए बयान दे डाला कि अमेरिका में पैतृक संपत्ति पर 55% टैक्स लगता है और अमेरिकी लोग अपनी संपत्ति का केवल 45% अपने बच्चों को दे सकते हैं। इससे बवाल मच गया। अब बात बिगड़ती देख कांग्रेस पार्टी श्याम सैम पित्रोदा के बयान से पल्ला झाड़ रही है और राहुल गांधी के बयान पर चुप है। राहुल तथ्यहीन, झूठे बयान देने के लिए प्रसिद्ध हैं। अपने बयानों पर देश की सर्वोच्च अदालत में जाकर माफी भी मांग चुके हैं। चीन की तानाशाह कम्युनिस्ट पार्टी से गुप्त समझौता (जिस समझौते की विषय वस्तु आज भी देश को पता नहीं है) करने वाले राहुल गाँधी बयान देते रहे कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है।
अब कहते घूम रहे हैं कि हमारे सैनिक अग्निवीर चीन की सेना के सामने टिक नहीं पाएँगे। पिछले चुनाव में उन्होंने राफेल लड़ाकू विमानों पर इतना रायता फैलाया कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। लेकिन, सैम पित्रोदा जो कांग्रेस के थिंक टैंक और राहुल के मार्गदर्शक कहलाते हैं, भी राहुल की तरह ही बयान दे रहे हैं। सैम पित्रोदा ने अमेरिका के जिस पैतृक संपत्ति कानून की बात की है, उसकी सचाई कुछ और है। अमेरिका में 50 राज्य हैं, उनमें से सिर्फ 6 में यह कानून है, और टैक्स की दर 20% है ना कि 55%, जैसा कि सैम पित्रोदा ने बयान दिया है। इन 6 अमेरिकी राज्यों में से एक, आयोवा, 2025 में इस कानून को समाप्त भी करने जा रहा है।
इतना ही नहीं, इन 6 राज्यों में भी, निकटतम सम्बन्धियों को इस कर से छूट भी दी जाती है। पति या पत्नी पर भी ये कर नहीं लगता। इस सबके अलावा भारत और अमेरिका की परिवार व्यवस्था, आर्थिक-सामाजिक ढाँचे, कृषि-उद्योग-व्यापार में भी बहुत भिन्नता है। लेकिन राहुल को इस सबसे क्या? वो हॉलीवुड की वाइल्ड वेस्ट फिल्मों के उस चरित्र की तरह हैं, जो ‘गन फाइट’ में झटके से अदा के साथ कमर पर बंधी पिस्तौल निकालते हैं , लेकिन ट्रिगर दबने पर गोली किसको लगेगी, या उनके खुद के ही पैर पर लगेगी, इसका कोई ठिकाना नहीं होता।
वो अपनी सीमाओं को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, और सब कुछ जानते बूझते, देश को मज़हबी उन्माद, तुष्टीकरण और नक्सली एजेंडे की आग में झोंकने को आमादा हैं। तुष्टीकरण की राजनीति जनक कांग्रेस अपने जैसी सोच वाले सियासतदानों के साथ नक्सली सोच और जिहादी मंसूबे लिए, खोया हुआ तख़्त पाने बेचैन हैं और शाही परिवार के दरबारी अपने शहजादे के बयानों की तुरपन सिलने और रफू करने में व्यस्त हैं।
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