रावी नदी के पानी को लेकर पाकिस्तान भारत से बार—बार उलझता रहा है। लेकिन अब पहली बार जिन्ना के मजहबी उन्मादी देश पाकिस्तान की सरकार ने संसद में माना है कि इस नदी के पानी पर पूरा हक भारत का है।
यह सच सार्वजनिक तौर पर स्वीकारने को बाध्य होने के बाद पाकिस्तान के कानून मंत्री ने संसद में बयान दिया है कि रावी के पानी पर भारत का पूरा हक बनता है। कानून मंत्री आजम नजीर तरार का कहना है कि ऐसा वे सिंधु जल संधि की शर्तों के हिसाब से कह रहे हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि में अनेक महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं के अतिरिक्त नदीके पानी को लेकर भी स्पष्ट निर्देश हैं जिन्हें मानने में पड़ोसी इस्लामी देश आनाकानी ही करता रहा है। इससे उसके हाथ कुछ नहीं आया इसलिए आखिरकार उसे सच स्वीकारना पड़ा और सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि रावी के पानी पर पूरा हक भारत का है।
संधि का हवाला देते हुए तरार ने कहा कि इसके हिसाब से पाकिस्तान कानूनन अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत की ‘जल आक्रामकता’ के विरुद्ध अपील नहीं कर सकता। उन्होंने यह बयान संसद में तब दिया जब भारत को लेकर चल रही चर्चा में एक ध्यानाकर्षण नोटिस पर बहस चल रही थी। कानून मंत्री को बताना पड़ा कि पाकिस्तान तथा भारत के बीच जल संधि की व्यवस्था है। इसके तहत रावी नदी के पानी पर भारत का हक है। पाकिस्तान इसमें कोई दखल नहीं दे सकता। तरार का यह कहते हुए दर्द छलका कि वे इस विषय में भारत के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नहीं जा सकते।
तरार यह कहना नहीं भूले कि पाकिस्तान किशनगंगा हाइड्रो इलैक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट के मामले में सफल रहा है। पाकिस्तान के एक चैनल ने यह दावा किया है कि शाहपुर कंडी बराज के पूरा होने के साथ ही भारत ने पाकिस्तान की ओर जाता रावी का पानी रोका है। यह शाहपुर कंडी बराज पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर की सीमा पर बना है।
उल्लेखनीय है कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच यह सिंधु जल संधि हुई थी। इसके अंतर्गत रावी, सतलज तथा ब्यास नदियों के पानी पर भारत का दावा है। हालांकि पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में इस बारे में बहस का नोटिस देने वाले पीटीआई के जरताज गुल को तरार की बात सुनकर तैश भी आया। गुल ने तरार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आखिरकार आज कानून मंत्री ने उस नदी के पानी पर भारत का हक मान ही लिया; यह बहुत मलाल की बात है।
पीटीआई के नेता गुल की बात पर प्रतिक्रिया करते हुए कानून मंत्री तरार ने बस इतना कहा कि कानून से जुड़े विषयों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना ही बेहतर है। तरार ने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि पर हालांकि दोनों देशों ने 1960 में दस्तखत किए थे, लेकिन अब भारत चाहता है वह इससे बाहर हो जाए। लेकिन उसे ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने रोका है।
इसके साथ ही तरार यह कहना नहीं भूले कि पाकिस्तान किशनगंगा हाइड्रो इलैक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट के मामले में सफल रहा है। पाकिस्तान के एक चैनल ने यह दावा किया है कि शाहपुर कंडी बराज के पूरा होने के साथ ही भारत ने पाकिस्तान की ओर जाता रावी का पानी रोका है। यह शाहपुर कंडी बराज पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर की सीमा पर बना है।
इसी मीडिया की रिपोर्ट तो यह भी कहती है कि जम्मू—कश्मीर को अब रावी का 1,150 क्यूसेक पानी मिलने जा रहा है जो पहले पाकिस्तान के हिस्से में दिया गया था। इस पानी से भारत के कठुआ तथा सांबा जिलों में 32,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की सिंचाई की जाएगी।
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