चंडीगढ़। कल तक जो व्यक्ति खुद को खालिस्तान का नागरिक होने का दावा करता था और भारतीय पासपोर्ट को केवल यात्रा का दस्तावेज बताता रहा है वह अब संविधान के तहत भारत में चुनाव लड़ने को तैयार हो रहा है। डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह खडूर साहिब से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत उस पर केस दर्ज है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह जानकारी उसके वकील राजदेव सिंह खालसा ने दी। खालसा पूर्व सांसद हैं।
फरवरी 2023 में अमृतपाल और उसके साथियों ने पंजाब के अजनाला में हथियारों से लैस होकर थाने पर हमला कर दिया था। अमृतपाल के समर्थकों ने अपहरण और दंगों के आरोपियों में से एक तूफान की रिहाई को लेकर पुलिस स्टेशन पर यह धावा बोला था। इस दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। अमृतपाल के खिलाफ उसके ही एक पूर्व सहयोगी ने शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि इन सभी ने कथित तौर पर बरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति को अजनाला से अगवा कर लिया और फिर मारपीट की।
अमृतपाल का जन्म जालन्धर के जल्लूपुर खेड़ा गांव में 1993 में हुआ था। महज 12वीं पास अमृतपाल अचानक दुबई चला गया। वहां ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय से जुड़ा था। दिल्ली किसान आंदोलन में हिंसा के आरोपी पंजाबी एक्टर और ऐक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने 30 सितंबर, 2021 में वारिस पंजाब दे संगठन की स्थापना की थी। दीप सिद्धू ने इसका मकसद युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना बताया था परन्तु वह युवाओं में कट्टरपंथ का जहर घोल रहा था। किसान आंदोलन और उसके बाद 26 जनवरी 2021 को लाल किला हिंसा मामले में दीप सिद्धू का नाम आया। 15 फरवरी 2022 को दिल्ली से पंजाब लौटते वक्त सोनीपत के पास एक सड़क हादसे में दीप सिद्धू की मौत हो गई थी। मार्च में दावा किया गया था कि अमृतपाल अब वारिस पंजाब दे संगठन का सर्वेसर्वा है। इसके बाद 29 सितंबर 2022 को अमृतपाल की मोगा के रोडे गांव में दस्तारबंदी हुई थी। अमृतपाल सीधे सरकार और सिस्टम को चैलेंज करने लगा था। उसे काफी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया गया था। अमृतपाल के भारतीय संविधान के तहत चुनाव लड़ने के फैसले को अलगाववादी खालिस्तानी विचारधारा की पराजय माना जा रहा है।
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