देहरादून । उत्तराखंड के जंगलों में एक बार फिर एक सोचे समझे षड्यंत्र के तहत मुस्लिम वन गुज्जरों को बसाने का अभियान तेज किया गया है। इस षड्यंत्र में कुछ एनजीओ, मुस्लिम संगठन के लोग शामिल बताए जा रहे है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में सत्तर फीसदी जंगल है जहां हजारों की संख्या में मुस्लिम वन गुज्जर अपनी घुसपैठ कर चुके है इनमे ज्यादातर अवैध कब्जे किए हुए है।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले के जंगलों में मुस्लिम गुज्जरों ने सैकड़ो हैक्टेयर सरकार की जंगल भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, कब्जाई गई जमीन पर मस्जिद मदरसे खोल दिए गए है,जिनकी अनुमति जिला प्रशासन से नही ली गई है।
इन मस्जिद मदरसों में जमीयत से जुड़े मौलवी आकर उर्दू अरबी की तालीम दे रहे है। खास बात ये है कि पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के बावजूद वन विभाग इस मामले में पिछले दिनों कार्यवाई भी की थी। सीएम धामी बार बार विभाग के उच्च अधिकारियो को निर्देशित कर चुके है कि जंगलों से अवैध कब्जे हटाए जाएं।
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के तराई सेंट्रल, तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी फॉरेस्ट डिविजन के घने जंगलों में मुस्लिम गुर्जरों ने अवैध रूप से कब्जे कर हजारों हैक्टेयर सरकारी वन भूमि पर खेती करनी शुरू कर दी है, खास बात ये कि वन विभाग के अधिकारियों ने इस जानकारी को क्यों छिपाए रखा? ये बड़ा सवाल है।
तराई ही नही हरिद्वार, देहरादून, राजा जी पार्क,कालसी, चकराता त्यूनी, वन प्रभागो में भी वन मुस्लिम गुज्जरों के अवैध कब्जे सामने आए है।
पैरवी के लिए पत्राचार
अभी हाल ही में मुस्लिम वन गुज्जरों के लिए पैरवी करने वाली एक संस्था ने उत्तराखंड सरकार को एक पत्र लिख कर खटीमा क्षेत्र में तराई केंद्रीय वन प्रभाग के किलापुर रेंज और टांडा क्षेत्र में सत्तर मुस्लिम वन गुज्जर परिवारों को बसाने के लिए दबाव बनाना शुरू किया है। जबकि वन विभाग इन्हे जंगल में घुसने नही देना चाहता।
मुस्लिम गुज्जर ट्राइबल वेलफेयर सोसाइटी नाम की संस्था जंगलों में वन गुज्जरों के अवैध कब्जो की पैरवी के लिए पत्राचार कर रही है।
सरकार के पास रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कुछ समय पहले पुलिस के खुफिया विभाग ने एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमे वन भूमि पर अवैध कब्जे किए जाने की जानकारी के साथ साथ अवैध रूप से बनी मस्जिद मजारों मदरसे और अन्य धार्मिक संस्थाओं का भी जिक्र किया गया था।
श्री धामी ने इस सूचना को वन विभाग के उच्च अधिकारियो के सामने रखा तो उसके बाद वन महकमे में कुछ दिन तो सरसराहट हुई फिर खामोश हो गया, ऐसा माना गया कि सीएम धामी के निर्देशों को एक खास आईएफएस लॉबी अनसुना करने में लगी है। इसी बीच लोकसभा चुनाव घोषित हो गए और ये अभियान अभी रोक देना पड़ा है।
वन मुस्लिम गुज्जरों के बीच सक्रिय है कट्टरपंथी
जानकारी के मुताबिक घने जंगलों से मुस्लिम गुज्जरों को ऐसे ही नही कुछ साल पहले बाहर किया गया था इसके पीछे कुछ वजहें थीं। तर्क ये दिया जाता रहा है कि टाइगर रिजर्व ,वाइल्ड लाइफ रिजर्व से मुस्लिम गुज्जरों इसलिए बाहर किया गया कि जंगल का स्वाभाविक स्वरूप बना रहे और वन्य जीव को कोई जीवन जीने में कोई बाधा न हो। कहा ये जाता था कि वन मुस्लिम गुज्जर मांस नहीं खाते और जंगल के रखवाले होते है।किंतु समय के बदलाव के साथ साथ वन मुस्लिम गुर्जरों का सामाजिक,आर्थिक जीवन भी बदल रहा है और यहां भी मुस्लिम कट्टरपंथ प्रवेश करने लगा और ईद पर कुर्बानी होने लगी और धीरे धीरे ये लोग रिजर्व फॉरेस्ट के जंगल में अपने झाले खत्ते के आसपास खेती के लिए वन कर्मियों से मिलीभगत कर सरकारी वन भूमि को कब्जाने लगे। यहां मस्जीदे बन गई और लाउडस्पीकर लगा कर पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाने लगी है, बच्चो के लिए जमीयत के उलेमाओं ने यहां आकर कट्टपंथ के मदरसे खोल दिए है जहां हिंदी नही, बल्कि उर्दू अरबी पढ़ाई जा रही है। इन मदरसों मस्जिदों को बनाए जाने के लिए , सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार जिला अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है। जोकि नही ली गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनाए गए फैसलों के बाद वन विभाग ने और खास तौर पर राजा जी नेशनल पार्क, कॉर्बेट पार्क, वेस्टर्न सर्कल के रिजर्व फॉरेस्ट, से इन्हे जंगल से बाहर निकाल कर भूमि आबंटित कर एक तरफ बसा दिया । बताया जाता है कि इस भूमि आबंटन की प्रक्रिया के दौरान भी बंदर बांट हुई और बड़ी संख्या में यूपी से आए मुस्लिम गुज्जर भी यहां आकर बस गए।
ऐसा बताया गया कि जब 1983 में सर्वे हुआ था तब राजा जी पार्क में कुल 512 मुस्लिम गुज्जर और जब 1998 में सर्वे हुआ तो 1393 परिवार थे।
जब कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में इन्हे जंगल से बाहर निकाल कर प्रत्येक परिवार को .87 हेक्टेयर भूमि का आबंटन किया गया तो इनके संख्या 2500 से अधिक थी बताया जाता है आबंटन से पूर्व मुस्लिम गुजारो में जमीयत ए उलेमा हिंद संगठन की घुसपैठ हो चुकी थी। एक मुस्लिम गुज्जर की तीन तीन बीवियां, विधवाओ के मुस्लिम निकाह, रिश्ते नातेदारी दिखा कर जमीनों पर अधिकार जता कर आबंटन करा लिए और सरकारी वन भूमि को एक जमीन जिहाद षडयंत्र के तहत हथिया लिया।
बताया जाता है कि अब बहुत बड़ी संख्या में मुस्लिम गुज्जरों ने अपनी जमीन के एक बड़े हिस्से को यूपी हरियाणा के मुस्लिम गुज्जरों को सौ सौ रू के स्टांप पेपर पर बेच डाला है और खुद अपने जानवर लेकर पहाड़ो की तरफ पहले की तरह आने जाने लगे है क्योंकि इन्हे “माईग्रेट”होने और जंगलों में जानवर लेजाने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इन्होंने पहाड़ो में भी अब अपने स्थाई डेरे बना लिए है इन डेरो में जमीयत के लोगो का आना जाना है वहां मस्जिद मदरसे खुल गए है और इस्लामिक तालीम और गतिविधियां चल रही है।
जौनसार बावर क्षेत्र में मतदाता सूची में दर्ज हुए नाम
जिनके विरोध में जौनसार बावर के चकराता त्यूनी आदि क्षेत्रों में मुस्लिम गुज्जर विरोधी आंदोलन उठ खड़े हुए है और स्थानीय लोगो ने इनके मदरसे तोड़ डाले है।
जानकारी के मुताबिक मुस्लिम गुज्जरों के नाम स्थानीय मतदाता सूची में कांग्रेस नेताओ ने दर्ज करवा दिए है जिनकी संख्या हजारों में है और अब वो जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र का लाभ उठा कर नौकरियों में आरक्षण की मांग करने लगे है।
तराई के जंगल में ऐसे कई मामले चिन्हित हुए है कि एक एक मुस्लिम गुज्जर परिवार पच्चास पच्चास हैक्टेयर जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहा है,ये जंगल की जमीन कैसे वनाधिकारियों ने कब्जा होने दी ये एक गंभीर जांच का विषय है।
सीएम धामी के निर्देश के बाद वन विभाग के अधिकारियों की कार गुजारियां भी सामने आ रही है कि कैसे उनकी मिलीभगत से हजारों हैक्टेयर जमीन पर मुस्लिम गुज्जर एक लैंड जिहाद षड्यंत्र के तहत जमीनों पर कब्जा कर रहे है।
सीएम धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ,चुनाव प्रचार संबोधन में बार बार ये बात दोहराते रहे है कि चुनाव के बाद पुनः अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया जाएगा। हम उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज के किसी भी षड्यंत्र को कामयाब नही होने देंगे। जंगल को इंसानी दखल से दूर करना होगा। किसी भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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