चुनेंगे विकास, बढ़ेगा उजास
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

चुनेंगे विकास, बढ़ेगा उजास

उत्तर को दक्षिण से, भारत को विश्व से, वंचित को विकास से, आकांक्षाओं को धरातल से और वर्तमान को भविष्य से जोड़ने और जोड़े रखने का संकल्प। क्यों हटकर है यह घोषणापत्र

by प्रशांत बाजपेई
Apr 23, 2024, 07:31 am IST
in भारत, विश्लेषण
नई दिल्ली में भाजपा का संकल्पपत्र जारी करते हुए (बाएं से) अमित शाह, राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी, जे.पी. नड्डा और निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली में भाजपा का संकल्पपत्र जारी करते हुए (बाएं से) अमित शाह, राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी, जे.पी. नड्डा और निर्मला सीतारमण

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

घोषणापत्रों के मौसम में एक घोषणापत्र बिल्कुल हटकर आया है। दस साल के शासन के बाद, चुनावी राजनीति में बहुप्रचलित ‘एंटी इनकम्बेंसी’ को झुठलाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले 25 साल के लिए वोट मांग रहे हैं। इस संकल्पपत्र की कुछ विशेषताएं हैं- पहली, यह भारत के आने वाले दशकों की जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं पर मतदाता का समर्थन मांगने वाला है। दूसरी, यह संकल्पपत्र एक निरंतरता है। इसमें पिछले दो कार्यकाल के कार्यों-योजनाओं के आगामी चरणों की बात की गई है।

तीसरी, इस संकल्पपत्र में मुफ्त की योजनाएं नहीं हैं, लेकिन वंचित वर्ग के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण पर जोर देते हुए सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का कवच देने की बात की गई है। जैसे आयुष्मान योजना के दायरे में ट्रांसजेंडर्स को भी लाने की घोषणा, साथ ही दिव्यांग जन को प्रधानमंत्री आवास योजना में प्राथमिकता देने की बात।

चौथी, इसमें बदलती दुनिया और तकनीक के प्रति समझ जाहिर होती है, जैसे कि अंतरिक्ष कार्यक्रम और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस।
पांचवीं, इसमें प्राय: घोषणापत्रों के लिए अछूते विषयों, जैसे भारत की विदेश नीति, पर्यावरण और चुनाव प्रक्रिया सुधार पर भी योजना सामने रखी गई है।
छठी विशेषता, इसमें भारत की सांस्कृतिक एकता और राजनैतिक-संवैधानिक अखंडता को दृढ़ करने का संकल्प लिया गया है।

एक राष्ट्र, एक संस्कृति

भारत में अंग्रेज उत्तर और दक्षिण के विभाजन का बीज बो कर गए थे। भारत से लूटे गए धन से, मोटे-मोटे वजीफे और इनाम-इकराम देकर, उन्होंने मनगढ़ंत इतिहास और फर्जी शोध लिखवाए, और भारत में ‘आर्य व अनार्य’ का झूठ फैलाया। उसमें सनातन परंपरा के प्रति हीनता और नफरत का विष भरा। इसी में से निकली अलगाववाद की राजनीति। सनातन को मिटा देने की बात करने वाले स्टालिन और खडगे तथा दक्षिण भारत को अलग देश बनाने की बात कहने वाले कांग्रेस सांसद इसी मानसिकता की उपज हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को इस मानसिकता से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि वे इनके सहयोग से सत्ता की साध पूरी करने में लगे हैं।

ऐसे में भाजपा का अपने संकल्पपत्र में विश्व स्तर पर तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना करने का संकल्प करना स्वागतयोग्य है। घोषणापत्र में कहा गया है- ‘‘हम भारत की समृद्ध संस्कृति के प्रदर्शन और योग, आयुर्वेद, भारतीय भाषाओं, शास्त्रीय संगीत इत्यादि का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विश्व भर में तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना करेंगे। हम भारत की ऐतिहासिक लोकतांत्रिक परंपराओं, जिनके कारण हमें लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है, को और बढ़ावा देंगे।’’

संत तिरुवल्लुवर, भारत की आध्यात्मिक परंपरा और अखंड संस्कृति के प्रतीक हैं। उनके वचनों में आप गोस्वामी तुलसीदास अथवा अन्य अनेक महान संतों के वचनों से साम्य पाएंगे। तुलसीदास की तरह उन्हें भी उनके माता-पिता द्वारा बचपन में त्याग दिया गया था। नाम था वल्लुवर। तपस्वियों के साहचर्य में तप करने के बाद वे गृहस्थ हुए। लोककल्याण के लिए काम किया। इसलिए नाम में लोगों ने आदरसूचक शब्द ‘तिरु’ जोड़ दिया। तमिल में तिरु का अर्थ होता है श्री। कुरल छंद में उनके रचे गए काव्य को तिरुक्कुरल नाम से जाना गया।

तिरुक्कुरल का विषय धर्म, अर्थ और काम है। तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र दुनिया को बताएंगे कि उत्तर से दक्षिण तक भारत में योग-अध्यात्म-संस्कार-संस्कृति और राष्ट्रीयता एक ही है। भारतीय भाषाओं और शास्त्रीय संगीत के उत्थान के लिए काम करने की घोषणा करते हुए कहा गया है- ‘‘हम विश्व के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में शास्त्रीय भारतीय भाषाओं के अध्ययन की व्यवस्था करेंगे।’’

इसके पहले 18 दिसंबर, 2023 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी-तमिल संगमम का उद्घाटन किया था। तमिलनाडु और काशी देश के दो बड़े महत्वपूर्ण और प्राचीन शिक्षा केंद्र हैं। प्राचीनकाल से इन शिक्षा केंद्रों में परस्पर ज्ञान का आदान-प्रदान रहा है। इन्ही संबंधों की निरंतरता और अन्वेषण के लिए काशी-तमिल संगमम प्रारंभ हुआ है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था और तिरुक्कुरल, मणिमेकलाई और अन्य उत्कृष्ट तमिल साहित्य के बहुभाषा और ब्रेल अनुवाद को भी जारी किया था।

संगमम के लिए आए जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘तमिलनाडु से काशी पहुंचने का सीधा सा अर्थ है भगवान महादेव के एक निवास से दूसरे निवास स्थल अर्थात मदुरै मीनाक्षी से काशी विशालाक्षी तक की यात्रा करना।’’ इसी क्रम में एक राष्ट्र, एक संस्कृति के साथ एक कानून के प्रति प्रतिबद्धता बताते हुए संकल्पपत्र में सारे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रण दोहराया गया है।

गरिमा और गुणवत्ता

खास बात है कि यह घोषणापत्र एक निरंतरता है। 10 साल के शासन के बाद, किसी दल को जिस प्रकार का घोषणापत्र देश को देना चाहिए, यह संकल्पपत्र वैसा ही हे। इसमें आज तक जो किया है, उसका विवरण दिया है, और आगे का ‘रोड मैप’ सामने रखा है। ये युवाओं के सपनों का घोषणा पत्र है। इसमें भारत में ओलंपिक खेलों का आयोजन करवाने की आकांक्षा है, गरीबी दूर करने और नया विकसित भारत खड़ा करने की दृष्टि है।

अंतरिक्ष में भारत का झंडा गाड़ने, भारत का अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने, भारत को अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने, चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतारने, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत को बढ़ाने और उत्तर-दक्षिण व पूर्व में बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने का इरादा है। ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कवच नामक सुरक्षा तंत्र, सड़क सुरक्षा, सड़क निर्माण, देश के हर घर पाइप से गैस पहुंचाने का उल्लेख है। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई जारी रखने की भी बात कही गई है।

संकल्पपत्र के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प के चार स्तंभ हैं – युवा शक्ति, नारी शक्ति, गरीब और किसान। ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि विकसित भारत का अर्थ केवल स्मार्ट सिटी एवं बुलेट ट्रेन नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों का समानांतर विकास भी है। इसी में आगे जोड़ते हुए मोदी ने जीवन की गरिमा और गुणवत्ता की बात कही।

संकल्पपत्र में 80 करोड़ लोगों को, जो नि:शुल्क राशन मिल रहा है, उसे अगले 5 वर्ष तक जारी रखने, गरीब की थाली की पोषकता को बढ़ाने एवं 3 करोड़ नई लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य जोड़ा गया है। इसमें 11 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 6000 रु. प्रतिवर्ष, 2013 से 2024 के बीच कृषि बजट में 5 गुना से ज्यादा की वृद्धि फसलों की एमएसपी में लगातार बढ़ोतरी का भी जिक्र किया गया है। साथ ही कहा गया है कि सरकार का कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य प्रसंस्करण पर जोर होगा। युवाओं और रोजगार के संबंध में प्रधानमंत्री ने निवेश से नौकरी,अवसरों की बहुलता और अवसरों की गुणवत्ता का उल्लेख किया।

उद्यमिता और उत्पादकता की महाशक्ति

संकल्पपत्र में भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाने का संकल्प जताया गया है। भविष्य में, भारत और विश्व बाजार में, उत्पादन के क्षेत्र में, जहां-जहां बड़ी संभावनाएं हैं, उन सभी को संकल्पपत्र में स्थान दिया गया है। जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, आटो, ईवी, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, दवा उत्पादन, पर्यटन, होटल, हवाई यातायात और सुरक्षा उत्पादन। मेक इन इंडिया के अंतर्गत सुरक्षा उत्पादन तथा शस्त्र निर्यात को जोड़ा गया है। स्टार्टअप्स के साथ सुरक्षा उत्पादन को जोड़ने की भी योजना है।

उत्पादन के ये क्षेत्र दूसरे बहुत से क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए अमृत भारत, वंदे भारत, नमो भारत ट्रेन बढ़ाने से रेल निर्माण कंपनियों का उत्पादन बढ़ेगा। इससे इस्पात और वित्तीय कंपनियों का भी व्यापार बढ़ेगा। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 70 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिकों को लाया जाएगा, जिससे बीमा क्षेत्र का भी व्यापार बढ़ेगा और कमाने वाले गृहस्थों पर बुजुर्गों के इलाज का भार घटेगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ नए घर बनाने से, इससे गृह निर्माण, स्टील, सीमेंट आदि क्षेत्र में भी उछाल आएगा। पर्यटन बढ़ने से भारतीय कलाकृतियों का बाजार, परिवहन और होटल व्यवसाय उछाल मारेगा ही। संकल्पपत्र में टिकाऊ पर्यटन की बात कही गई है। ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य पूरा करने में सौर ऊर्जा की बड़ी भूमिका होगी। भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला तेल आयात और सब्सिडी का बोझ भी धीरे-धीरे समाप्त होगा।

याद करें वह दौर

यहां लगभग सात दशक तक देश की सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र पर भी चर्चा होनी चाहिए, और प्रमुख प्रतिद्वंदी से तुलना भी होनी चाहिए। सबसे पहले, राहुल ने एक झटके में देश की गरीबी को दूर करने का बयान दिया है। राहुल गांधी के अनुसार हर गरीब के खाते में एक लाख डाल देने से एक झटके में गरीबी दूर हो जाएगी। कमाल की बात यह है कि स्वयं इतने दशकों तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने ऐसा क्यों नहीं किया?

क्या राहुल गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह ने नहीं बताया कि यह कोई हल नहीं है, बल्कि इससे समस्याओं की नई श्रृंखला प्रारंभ होती है? वास्तव में गरीबी दूर करना, निरंतर चलने वाली विकास प्रक्रिया, उद्यमिता और योजना से ही संभव हो सकता है। एक झटके में गरीबी दूर करने का दावा करने वाले राहुल गांधी की पार्टी 70 साल में देश के गरीब आदमी का बैंक खाता तक नहीं खुलवा सकी थी। राहुल के समर्थक वामपंथी अर्थशास्त्री सफाई दे रहे हैं कि अगर उद्योग कर को और बढ़ाकर उद्योगों का दम घोंट दिया जाए, तो राहुल गांधी के चुनावी वादे पूरे किए जा सकते हैं।

इससे याद आते हैं वे दशक, जब कांग्रेस सरकारों के लाइसेंस राज में अर्थव्यवस्था पूरी तरह सरकार के दबाव में थी। कांग्रेस नेता और सरकारी बाबू लाइसेंस राज के मालिक थे। आप कपड़ा उत्पादन करना चाहते हैं या सीमेंट, कागज अथवा स्टील, बाबू और नेता को चढ़ावा चढ़ाए बिना आपको उत्पादन का लाइसेंस नहीं मिल सकता था. तब भी सर पर तलवार हमेशा लटकती ही रहती थी। 1970 के दौर में व्यक्तिगत आयकर 11 ब्रैकेट के अंदर लिया जाता था, जो बढ़ते-बढ़ते वहां तक आ गया था, जिसे आज की पीढ़ी सोच भी नहीं सकती। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो अपनी सरकार में वित्त मंत्री भी थीं, ने 28 फरवरी, 1970 के अपने केंद्रीय बजट भाषण में 97.75 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया था यानी पांच लाख रु. की कमाई पर 445000 रुपए कर। बजट प्रस्तुत होने के बाद प्रेस वार्ता में वित्त सचिव ने बयान दिया कि हमने अभी भी 2.25 प्रतिशत छोड़ा हुआ है।

इस तरह उत्पादन और धन पैदा करने की प्रेरणा को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया, और काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था के लिए अपार संभावनाएं पैदा कीं। एक तरह से हर व्यापारी हर उत्पादक हर दुकानदार को अपराधी बना दिया गया। मीडिया पर भी यही सोच हावी थी। याद करें उस दौर की फिल्मों के खलनायक अक्सर तस्कर हुआ करते थे। गरीबी दूर करने के नाम पर देश पर समाजवाद थोपा गया और समाजवाद ने गरीबी को और मजबूत किया। इसी विरासत को मन में संजोए राहुल गांधी एक झटके में गरीबी दूर करने के दावे कर रहे हैं।

इसी सोच का अंतर है कि जहां राहुल गांधी रोजगार के नाम पर सरकारी नौकरियों का आकाश कुसुम दिखा रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने आधारभूत ढांचे के विकास से बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर पैदा करने तथा दूसरी तरफ स्टार्टअप्स और वैश्विक केंद्रों को तैयार करके उच्च गुणवत्ता सेवा प्रदाता (सर्विस सेक्टर) के रूप में उभरने की भी बात कही है।

ऐसे संभली अर्थव्यवस्था

आज से तीन दशक पहले वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के दबाव में तत्कालीन भारत सरकार ने समाजवादी लाइसेंस राज को खत्म करने की दिशा में और अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए। अटल सरकार ने सुधारों को तेज किया, लेकिन उसके बाद, मनमोहन सिंह के दौर में, ठोस योजना के अभाव में यह तेजी ज्यादा दूर ना जा सकी और तब सरकार ने बैंकों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने के लिए प्रेरित किया. आखिरकार ये वही मनमोहन सिंह थे, जो भारत के वित्तमंत्री (1991 में) बनने के पहले लगभग दो दशकों तक उसी समाजवादी दौर के आर्थिक सामंत रहे थे।

यूपीए की नीतियों के चलते 2013-14 आते-आते बैंक वापस न आने वाले कर्जों के बोझ (एनपीए) से चरमराने लगे। 2014 के बाद बैंकों को संभालने की कवायद शुरू हुई, जिसके बाद में बहुत अच्छे परिणाम आए. फिर जीएसटी के माध्यम से सारे देश की अर्थव्यवस्था का एकीकरण किया गया। 2016 में ‘इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी’ कानून लाया गया। फिर बोझ बनी हुई सार्वजनिक कंपनियों का निजीकरण किया गया जैसे कि एयर इंडिया। निवेशकों का भरोसा लौटा। इससे अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में उछाल आया।

सामान्य बात नहीं है कि इसी बीच 2 साल का कोविड महामारी का दौर भी गुजरा। लॉकडाउन ने पूरी अर्थव्यवस्था पर ताला लगा दिया था. ऐसे में देश को चलाना और कोविड काल के गुजरने के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से गतिमान करना बहुत बड़ी चुनौती थी। विश्व की अनेक अर्थव्यवस्थाएं आज भी इससे उबर नहीं पाई हैं, जबकि भारत ने 6.5 से 7% की जीडीपी वृद्धि दर को बनाए रखा है। वर्तमान में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 648.56 अरब अमेरिकी डॉलर है।

हमारा भविष्य संभावनाओं से भरा हुआ है, लेकिन विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए हमें अर्थव्यवस्था के ऊपर लगातार काम करने की आवश्यकता होगी। इसके लिए हर क्षेत्र का चिंतन करना, उसके लिए विशेष योजनाओं को लाना और छोटे-छोटे, क्रमिक संस्थागत सुधार करते जाना आवश्यक होगा।

सेवा प्रदाता, उत्पादनकर्ता को अधिक से अधिक प्रोत्साहन देना होगा, साथ ही कृषि क्षेत्र में सुधार और किसान की आय बढ़ाने के रास्ते निकालने होंगे। आधारभूत ढांचे के विकास और संचार की इसमें बड़ी भूमिका होगी। बैंकिंग तंत्र और त्वरित न्याय तंत्र की आवश्यकता होगी।

दो सोच, दो दिशाएं

भारत बहुत बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ा है। गरीबी दूर करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम चलाया था। फिर 1982 और 1986 में (राजीव गांधी काल में) इसका पुनर्गठन हुआ। गरीबी जस की तस रही। दस साल तक यूपीए की सरकार को हांकने के बाद और दस साल सत्ता के लिए तरसने के बाद, राहुल गांधी तीन सूत्रीय कार्यक्रम लेकर आए हैं- जाति, मुस्लिम वोटबैंक और सब कुछ मुफ्त देने के आसमानी वादे। उधर मोदी और व्यापक सुधारों तथा और बड़े फैसलों के लिए मतदाताओं से अभूतपूर्व समर्थन मांग रहे हैं।

राहुल ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ की वकालत कर रहे हैं, मोदी देशव्यापी समान नागरिक संहिता का संकल्प कर रहे हैं। राहुल युवाओं से उनकी जाति पूछ रहे हैं, मोदी कौशल विकास के माध्यम से युवाओं के सशक्तिकरण और उनको वैश्विक प्रतिस्पर्धा में लाकर खड़ा करने की जरूरत बता रहे हैं। राहुल ‘खाने-पीने की आजादी’ की बात कर रहे हैं, जिसका आशय सभी लोग जानते हैं। मोदी कह रहे हैं कि योग और आयुर्वेद का दुनिया भर में विस्तार करेंगे।

राहुल गांधी के इंडी गठबंधन के दलों के घोषणापत्रों को देखें तो ध्यान में आता है कि इंडी दलों का वैचारिक गोत्र एक ही है। राहुल और तेजस्वी दोनों सेना की अग्निवीर योजना को समाप्त करने की कसम खा रहे हैं। अखिलेश, स्टालिन और राहुल, तीनों जातिगत जनगणना को चमत्कार बताने में जुटे हैं। डीएमके ने विवादित सच्चर कमेटी रिपोर्ट को लागू करने, नई शिक्षा नीति, समान नागरिक संहिता तथा सीएए कानून समाप्त करने का वादा किया है और यह कहने की जरूरत नहीं, कि ‘अल्पसंख्यक’ वोट बैंक की स्याही, इंडी गठजोड़ के तमाम घोषणापत्रों पर फैली हुई है।

इस चुनाव में एक तरफ विकास है, तो दूसरी तरफ देश के विनाश की सोच, एक तरफ वैश्विक शक्ति बनाने का जीवट है, तो दूसरी तरफ जातियों के नाम पर तार-तार करने की विध्वंसकारी नीति है। एक तरफ रक्षा और सीमाओं को चौकस करने का प्रण है, तो दूसरी तरफ देशघातियों को प्रश्रय देने की शैतानी मंशा। भारतवासी किस ओर जाएंगे, चुनाव सभाओं में इसका स्पष्ट संकेत भी मिल रहा है। आगामी 4 जून का दिन सब चीजों को आइने की तरह साफ दिखा देगा।

Topics: खाने-पीने की आजादीनई शिक्षा नीतिविकसित अर्थव्यवस्थाNew Education Policyसमाजवादी लाइसेंसUniform Civil CodeFreedom to eat and drinkसमान नागरिक संहिताDeveloped Economyमुस्लिम पर्सनल लॉSocialist LicenseMuslim Personal Lawएक संस्कृतिप्रधानमंत्री इंदिरा गांधीPrime Minister Indira Gandhiएक राष्ट्रपाञ्चजन्य विशेष
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

स्व का भाव जगाता सावरकर साहित्य

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

बौखलाए पाकिस्तान ने दागी रियाशी इलाकों में मिसाइलें, भारत ने की नाकाम : जम्मू-पंजाब-गुजरात और राजस्थान में ब्लैकआउट

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies