छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं कि सुरक्षाबलों ने ऐतिहासिक कार्य किया है। बस्तर का हालिया घटनाक्रम नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी सफलता है। हमारे जवानों ने अराजक तत्वों के कुचक्रों को कुचलकर रख दिया है। पाञ्चजन्य के विशेष संवाददाता अश्वनी मिश्र ने कांकेर की मुठभेड़ और नक्सली गतिविधियों के संदर्भ में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से बातचीत की। प्रस्तुत हैं वार्ता के मुख्य अंश-
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
देखिए, यह ऐतिहासिक सफलता है। मैं इस मुठभेड़ में शामिल सभी जवानों और सुरक्षा अधिकारियों को बधाई देता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ के नक्सल मामलों के इतिहास की यह सबसे बड़ी सफलता है। यह बिल्कुल सच है कि माओवादी लोकतंत्र में आस्था नहीं रखते और हर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हिंसात्मक गतिविधि से प्रभावित करते हैं। इस मामले में भी ऐसा लगता है कि माओवादी चुनाव को प्रभावित करने का कुचक्र रच रहे थे। लेकिन हमारे जवानों ने उनकी साजिश को नेस्तोनाबूद किया है।
चुनाव को प्रभावित करने से आपका तात्पर्य क्या है?
इसमें दो मुख्य बातें हैं। एक यह कि बस्तर में पड़ा हर वोट नक्सलियों द्वारा गढ़े गए लोकतंत्र के विरुद्ध झूठे नैरेटिव को, दुष्प्रचार को ध्वस्त करता है। स्याही लगी अंगुलियों को काट देने का फरमान जारी करते हैं माओवादी, और फिर भी हमारे आदिवासी भाई-बहन जम कर वोट करते हैं। मैदानी क्षेत्रों से अधिक मत प्रतिशत बस्तर में होता है। पिछले लोकसभा चुनाव में हमारे विधायक भीमा मंडावी जी की हत्या कर दी गई थी। उसके दो दिन बाद ही चुनाव थे। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि दिवंगत विधायक का परिवार फिर भी कतार में खड़ा था वोट डालने के लिए। यह समर्पण है लोकतंत्र के प्रति बस्तर के आदिवासियों का। दूसरा सवाल चुनावी संभावनाओं को प्रभावित करने को लेकर है। हम सभी जानते हैं कि आज देश भर में भाजपा के पक्ष में सबसे अधिक संभावना है। छत्तीसगढ़ में भी हम सभी 11 लोकसभा सीट जीतने के प्रति आश्वस्त हैं। ऐसे में नक्सली चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर किसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, यह कहने की आवश्यकता नहीं है। हाल ही में एक बड़े अखबार ने बाकायदा रिपोर्ट प्रकाशित थी की कि माओवादी लगातार भाजपा के खिलाफ दल विशेष के पक्ष में वोट करने का दबाव बनाते हैं। इससे अधिक क्या कहा जाए?
अभी राज्य व केंद्र में भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ़ जल्द से जल्द नक्सल मुक्त हो इसके लिए क्या कर रहे हैं?
भाजपा की सरकार विकास में विश्वास रखती है। इसलिए हम सदैव नक्सलियों से कहते हैं कि बंदूक छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो जाओ। हिंसा से किसी का भला नहीं होने वाला है। खून-खराबे का खेल बंद हो। हम सदैव बातचीत के लिए तैयार हैं, पर हिंसा और जुल्म करके बात नहीं होगी। बात होगी शांति की, विकास की, समाज के सरोकार की। हमारी सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कई विकासकारी योजनाएं चलाती है। हर जगह विकास सुनिश्चित हो, इसके लिए हम काम कर रहे हैं। हमने ‘नियद नेल्ला नार’ अर्थात आपका अच्छा गांव योजना प्रारंभ की है, जिसमें हमारे ‘विकास कैम्प’ के आसपास के गावों तक हम शासकीय सुविधाओं और योजनाओं को पहुचा रहे हैं। लेकिन हां, यह भी किसी को गलतफहमी न हो कि हम हिंसा को सहन कर लेंगे। हम हर तरह की हिंसा से कड़ाई से निपटेंगे। हम माननीय प्रधानमंत्री जी के इच्छा के अनुरूप इस समस्या के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध हैं। जैसा कि भारत के माननीय गृह मंत्री जी ने आह्वान किया था – हमारी प्राथमिकता बस्तर को नक्सल मुक्त करने की है। हम सब उसी दिशा में काम कर रहे हैं।
आज छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की क्या स्थिति है? कितने जिले इससे प्रभावित हैं और कितने मुक्त हुए?
लगभग सौ दिनों में 63 मुठभेड़ों में 54 नक्सलियों के शव 77 हथियार और 135 विस्फोटक बरामद किए गए हैं। 304 माओवादियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। 165 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। नक्सल संबंधी कुल 26 प्रकरणों को एनआईए को सौंपा गया है। विगत 4 माह में 24 अग्रिम सुरक्षा शिविरों की स्थापाना की गई है। निकट भविष्य में 29 नए आधार शिविरों की स्थापना प्रस्तावित है।
सुरक्षाबलों ने जान पर खेलकर इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया और खूंखार नक्सलियों को मार गिराया। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसे फर्जी करार दे रहे हैं!
कांग्रेस का चरित्र ही है कि वह हर सही काम पर सवाल उठाती है। वह सुरक्षाबलों के शौर्य पर सवाल दागती है। उनसे साक्ष्य मांगती है। जब पूरा देश अपने जवानों के साथ खड़ा होता है तो कांग्रेस के नेता सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांगते हैं। इस बार वे मुठभेड़ का सुबूत मांग रहे या इसे फर्जी करार दे रहे हैं तो कोई नई बात नहीं है। यह इनके चरित्र में है। मैं विपक्ष के लोगों से सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि कुछ जगह राजनीति नहीं करनी चाहिए।
नक्सल विचारधारा पूरे समाज के लिए घातक है। ऐसे में उसके साथ किसी भी रूप में खड़ा होकर कांग्रेस के नेता समाज को सही सन्देश नहीं दे रहे हैं। हम हर समूह से बातचीत के लिए तैयार हैं। अगर विपक्ष भी उस समूह से सहानुभूति रखता है, तो सीधे-सीधे सामने आए। हम उससे भी बातचीत करने को तैयार हैं, लेकिन मेरे आदिवासी भाई-बहनों की जान, उनके जंगल और जमीन की रक्षा हम हर कीमत पर करेंगे, उससे कोई भी समझौता नहीं करेंगे।
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