गत 13 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘पाञ्चजन्य’ के सहयोगी संपादक ज्ञानेंद्र बरतरिया की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। सबसे पहले गुंजन कुमार झा और उनके साथियों ने भजन प्रस्तुत किए। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने कहा कि ज्ञानेंद्र जी ने अपने ज्ञान को सदा समृद्ध करने में वक्त लगाया। उन्होंने भारत की उस परंपरा का निर्वहन किया, जिसमें समाज और देशहित से समझौता नहीं किया जाता। वे अपनी विचारधारा के प्रति निष्ठावान रहे। उन्होंने सदैव स्वाभिमान को ऊपर रखा और भौतिक प्रगति पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने मूल्यों के साथ चलने का व्रत लिया था।
भारत प्रकाशन (दिल्ली) लि. के निदेशक बृजबिहारी गुप्ता ने कहा कि भारत प्रकाशन परिवार सदैव ज्ञानेंद्र जी के परिवार के साथ खड़ा रहेगा। ‘पाञ्चजन्य’ के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि अभावों का विचारों पर प्रभाव नहीं पड़ता। इसे ज्ञानेंद्र जी ने अपने जीवन से सिद्ध किया। एनडीटीवी के डॉ. भरत अग्रवाल ने कहा कि वे दो दशक से ज्ञानेंद्र जी को जानते थे। वे एक बेहतरीन इंसान थे। वरिष्ठ पत्रकार नरेश सिरोही ने कहा कि ज्ञानेंद्र बरतरिया फकीरी वृत्ति वाले थे। पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी संदीप नायक ने कहा कि उन्होंने ज्ञानेंद्र जी से प्रेरणा लेकर विदेश और सुरक्षा नीति पर लिखना शुरू किया था।
प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार ने कहा कि वे विविध विषयों के ज्ञाता थे। वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी ने उन्हें अनेक पत्रकारों का प्रेरणा-स्रोत बताया। वरिष्ठ पत्रकार मनोज वर्मा ने कहा कि वे देशभक्त और अत्यंत ईमानदार व्यक्ति थे। पत्रकार अनिल पांडे ने कहा कि वे अपने मन की बात कहने से कभी चूकते नहीं थे। उर्दू अखबार ‘रोजनामा’ के संपादक अरशद फरीदी ने कहा कि वे अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। ज्ञानेंद्र बरतरिया के पुत्र अरुष बरतरिया ने कहा कि पिताजी हमेशा कुछ नया करने के लिए कहा करते थे। बता दें कि 28 जनवरी 2024 को ज्ञानेंद्र जी का आकस्मिक निधन हो गया था।
टिप्पणियाँ