रामनवमी पर विशेष : यत्र तत्र सर्वत्र हैं राम
May 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

रामनवमी पर विशेष : यत्र तत्र सर्वत्र हैं राम

राम केवल भारत के हृदय में ही नहीं बसते हैं, बल्कि राम दुनियाभर के हृदय में बसते हैं। इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णों ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि भले ही इस्लाम हमारा मजहब है, पर राम और रामायण हमारी संस्कृति हैं

by रवि कुमार
Apr 17, 2024, 04:08 pm IST
in भारत, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राम नाम ऐसा है जो एक बार राम नाम की शरण में आ गया तो वह प्राणी सब चिंताओं से मुक्त हो जाता है। भारत ही नहीं तो विश्वभर की दृष्टि आज अयोध्या में विराजित रामलला पर है। राम का नाम भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैला हुआ है।

विश्वभर में रामकथा का प्रभाव

विश्वभर के 60 से अधिक देशों में रामकथा का प्रभाव है। शरद हेबालकर की दो पुस्तकें हैं – ‘भारतीय संस्कृति का विश्व संचार’ और ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम’। इन दोनों पुस्तकों में ‘भारतीय संस्कृति दुनिया के कहां-कहां किस रूप में है’ का वर्णन है। भारत से लोग व्यापार करने विश्वभर में जाते रहे हैं। भारत के वैभव को सुनकर भारत दर्शन के लिए भी विश्व के अनेक देशों से लोग यहां आते रहे हैं। बौद्ध मत का विस्तार जब अनेक देशों में हुआ, तब यहां के अनेक बौद्ध भिक्षु वहां गए। यही सब माध्यम रहे होंगे, जिसके कारण रामकथा इतने देशों में पहुंची। जिन देशों में रामकथा का विस्तार हुआ, उनमें प्रमुख देश हैं – नेपाल, लाओस, कंपूचिया (कंबोडिया), मलेशिया, बाली, जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, बांग्लादेश, तिब्बत, भूटान, श्रीलंका, चीन, मंगोलिया, जापान, कोरिया, सूरीनाम, मॉरीशस, इराक, तुर्किस्तान, सीरिया, मध्य अमेरिका के होंडूरास, मिस्र, तुर्की। इन देशों में साहित्यिक ग्रंथ, शिलालेख, भित्ति चित्र, लोक संस्कृति श्रीराम नाम की विरासत को समेटे हुए हैं।

शिलालेखों व शैल चित्रों में मिलते हैं राम

श्रीलंका में वह स्थान मिल गया है जहां रावण की सोने की लंका होती थी। जंगलों के बीच रानागिल की विशालकाय पहाड़ी पर रावण की गुफा है। पुष्पक विमान के उतरने के स्थान को भी ढूंढ लिया गया है। श्रीलंका के अंतरराष्ट्रीय रामायण रिसर्च सेंटर व पर्यटन विभाग ने मिलकर रामायण से जुड़े पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व के 50 स्थान ढूंढे हैं।

जावा के प्रम्बनन का पुरावशेष चंडी सेवू (चंडी लाराजोंगरांग) है, इस परिसर में 235 मंदिरों के भग्नावशेष हैं। इन मंदिरों का निर्माण दक्ष नामक राजकुमार ने 9वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में करवाया गया था। शिव मंदिर में 42 और ब्रह्मा मंदिर में 30 शैल चित्र हैं। पूर्वी जावा में स्थित चंडी पनातरान में रामकथा के 106 शैलचित्र बने हुए हैं।

कंपूचिया (कम्बोडिया) के अंकोरवाट मंदिर का निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53 ई.) के काल में हुआ। इस मंदिर में समुद्र मंथन, देव-दानव युद्ध, महाभारत व रामायण से संबंध अनेक शैलचित्र हैं। अंकोरवाट के शैलचित्रों में भी रामकथा का वर्णन है। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक के राजभवन परिसर में जेतुवन विहार है। इसके दीक्षा कक्ष में संगमरमर के 152 शिलापटों पर रामकथा के चित्र बने हुए हैं।

लाओस के राजप्रसाद में थाई रामायण ‘रामकिएन’ और लाओ रामायण ‘फ्रलक-फ्रलाम’ की कथाएं अंकित हैं। लाओस का ‘उपमु’ बौद्ध विहार रामकथा-चित्रों के लिए विख्यात है। थाईलैंड के राजभवन परिसर में सरकत बुद्ध मंदिर की दीवारों पर सम्पूर्ण थाई रामायण ‘रामकिएन’ को चित्रित किया गया है।

वियतनाम के बोचान से एक क्षतिग्रस्त शिलालेख मिला है, जिस पर संस्कृत में ‘लोकस्य गतागतिम्’ उकेरा हुआ है। दूसरी या तीसरी शताब्दी में उकेरा गया यह उद्धरण वाल्मीकि रामायण के एक श्लोक की अंतिम पंक्ति है। ‘क्रुद्धमाज्ञाय रामं तु वसिष्ठ: प्रत्युवाचह। जाबालिरपि जानीते लोकस्यास्यगतागतिम।। ‘अयोध्या कांड 110.1 ।। वियतनाम’ के त्रा-किउ से मिले एक और शिलालेख जिसे चंपा के राजा प्रकाशधर्म ने खुदवाया था, में महर्षि वाल्मीकि का स्पष्ट उल्लेख है- ‘कवेराधस्य महर्षे वाल्मीकि पूजा स्थानं पुनस्तस्यकृत’।
ईरान-इराक की सीमा पर स्थित बेलुला में 4 हजार वर्ष पुराने गुफा चित्र मिलते हैं जिसमें श्रीराम का वर्णन है। मिस्र में 15 सौ वर्ष पूर्व राजाओं के नाम तथा कहानियां ‘राम’ जैसी ही मिलती हुई हैं।

इटली में 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व रामायण से मिलते-जुलते चित्र दीवारों पर मिले हैं। मध्य अमेरिका के देश होंडुरास के घने जंगलों में हनुमान जी की प्रतिमा है। चीन के उत्तर पश्चिम में स्थित मंगोलिया के लोगों को राम कथा की विस्तृत जानकारी है। मंगोलिया से रामकथा से संबंधित अनेक काष्ठचित्र प्राप्त हुए हैं। इराक में एक भित्ति चित्र में भगवान राम का चित्र मिला है। यह भित्ति चित्र दो हजार ईसा पूर्व का है।

विदेशी साहित्य में राम

इंडोनेशिया की रामायण ‘काकविन’ 26 अध्यायों का एक विशाल ग्रंथ है। इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णों ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि भले ही इस्लाम हमारा मजहब है, पर राम और रामायण हमारी संस्कृति हैं।
लाओस में रामकथा पर आधारित चार रचनाएं उपलब्ध हैं- फ्रलक फ्रलाम (रामजातक), ख्वाय थोरफी, ब्रह्मचक्र और लंका नोई। थाईलैंड का रामकथा साहित्य बहुत समृद्ध है। यहां छह प्रकार की रामायण उपलब्ध है- 1. तासकिन रामायण, 2. सम्राट राम प्रथम की रामायण, 3. सम्राट राम द्वितीय की रामायण, 4. सम्राट राम चतुर्थ की रामायण (पद्यात्मक), 5. सम्राट रामचतुर्थ की रामायण (संवादात्मक), 6. सम्राट राम षष्ठ की रामायण (गीति-संवादात्मक)। बर्मा में रामकथा साहित्य की 16 रचनाओं की जानकारी है जिनमें रामवत्थु कृति प्राचीनतम है।
मलयेशिया में रामकथा से सम्बंधित चार रचनाएं उपलब्ध हैं- (1) हिकायत सेरीराम, (2) सेरी राम, (3) पातानी रामकथा और (4) हिकायत महाराज रावण। हिकायत सेरीराम हिन्दू रामायण महाकाव्य का मलय साहित्यिक रूपांतरण है। फिलिपींस की रचना महालादिया लावन का स्वरुप रामकथा से बहुत मिलता-जुलता है।

चीन में रामकथा बौद्ध जातकों के माध्यम से पहुंची। वहां अनामक जातक और दशरथ कथानम का क्रमश: तीसरी और पांचवीं शताब्दी में अनुवाद किया गया था। तिब्बती रामायण की छह पांडुलिपियां तुन-हुआन नामक स्थल से प्राप्त हुई हैं।

तुर्किस्तान के भाग पूर्वी खोतान की भाषा खोतानी है। खोतानी रामायण की प्रति पेरिस पांडुलिपि संग्रहालय से प्राप्त हुई है।
मंगोलिया में राम कथा पर आधारित जीवक जातक नामक रचना है। इसके अतिरिक्त वहां तीन अन्य रचनाएं भी हैं। जापान के एक लोकप्रिय कथा संग्रह होबुत्सुशु में संक्षिप्त रामकथा संकलित है।

श्रीलंका में कुमार दास के द्वारा संस्कृत में जानकी हरण की रचना हुई थी। वहां सिंहली भाषा में भी एक रचना है, मलयराजकथाव। श्रीलंका के पर्वतीय क्षेत्र में कोहंवा देवता की पूजा होती है। इस अवसर पर यह कथा कहने का प्रचलन है। नेपाल में रामकथा पर आधारित अनेकानेक रचनाएं हैं जिनमें भानुभक्तकृत रामायण सर्वाधिक लोकप्रिय है।

इन देशों में होता है रामलीला मंचन

एशिया के विभिन्न देशों में रामलीला को प्रधानत: दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-मुखौटा रामलीला और छाया रामलीला। मुखोटा रामलीला में इंडोनेशिया और मलेशिया के ‘लाखोन’, कंपूचिया के ‘लाखोनखोल’ तथा बर्मा के ‘यामप्वे’ का प्रमुख स्थान है।

कंपूचिया में रामलीला का अभिनय ल्खोनखोल (‘ल्खोन’अर्थात नाटक) के माध्यम से होता है। इसके अभिनय में मुख्य रूप से ग्राम्य परिवेश के लोगो की भागीदारी होती है। कंपूचिया के राजभवन में रामायण के प्रमुख प्रसंगों का अभिनय होता था। मुखौटा रामलीला को थाईलैंड में ‘खौन’ कहा जाता है। इसमें संवाद के अतिरिक्त नृत्य, गीत एवं हाव-भाव प्रदर्शन की प्रधानता होती है।

स्याम से आई बर्मा की मुखौटा रामलीला को यामप्वे कहा जाता है। हास्यरस के प्रेमी बर्मा के लोगों के लिए रामलीला आरंभ होने के पूर्व एक-दो घंटे तक हास-परिहास और नृत्य-गीत का कार्यक्रम चलता रहता है।

जावा तथा मलेशिया के ‘वेयांग’ और थाईलैंड के ‘नंग’ नामक छाया रामलीला का विशिष्ट स्थान है। जापानी भाषा में ‘वेयांग’ का अर्थ छाया है। इसमें सफेद पर्दे को प्रकाशित किया जाता है और उसके सामने चमड़े की पुतलियों की छाया पर्दे पर पड़ती है। छाया नाटक के माध्यम से रामलीला का प्रदर्शन पहले तिब्बत और मंगोलिया में भी होता था। थाईलैंड में छाया-रामलीला को ‘नंग’ (दो रूप- ‘नंगयाई’ और ‘नंगतुलुंग’) कहा जाता है। थाईलैंड के ‘नंग तुलुंग’ और जावा तथा मलेशिया के ‘वेयांग कुलित’ में बहुत समानता है। वेयांग कुलित को वेयंग पूर्वा अथवा वेयांग जाव भी कहा जाता है।

कंबोडिया में रामलीला तुलसीदास रचित रामचरितमानस के आधार पर होती है। लाओस में वाल्मीकि रामायण का मंचन गीत-संगीत और नृत्य के साथ होता है। मॉरीशस में हर वर्ष रामलीला का आयोजन यहां का कला और सांस्कृतिक मंत्रालय कराता है।

तुलसीकृत रामचरितमानस का विदेशों में प्रभाव

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ विदेशों में काफी लोकप्रिय रही। भारत से बाहर जो लोग गए, वे इसे साथ ले गए। विदेशी विद्वान भी तुलसी साहित्य के प्रति आकर्षित हुए। तीन प्रमुख नाम ऐसे विदेशी विद्वानों के आते हैं।

1. अमेरिका के ‘अब्राहम जॉर्ज ग्रियर्सन’, 2. फ्रांस के ‘गार्सा द तासी’, 3. इंग्लैंड के ‘एफ.एस.ग्राउज’। ग्रियर्सन का लेख ‘द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर आफ हिंदुस्थान’ शीर्षक से एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल के ‘जर्नल’ में प्रकाशित हुआ जिसमें तुलसीदास के रचना संसार का विवेचनात्मक वर्णन है। 1893 में उनकी दूसरी पुस्तक ‘नोट्स आफ तुलसीदास’ प्रकाशित हुई। इसके अलावा तुलसी साहित्य पर उनके और भी दो लेख प्रकाशित हुए। फ्रांसीसी विद्वान तासी ने रामचरितमानस के सुंदर कांड का फ्रेंच में अनुवाद किया जो काफी लोकप्रिय हुआ। इंग्लैंड के विद्वान ग्राउज ने रामचरितमानस का अंग्रेजी में अनुवाद किया जो ‘द रामायण आफ तुलसीदास’ शीर्षक से 1871-78 के मध्य अलग अलग भागों में छपा।

1911 में इटली के फ्लोरेंस विश्वविद्यालय में पी.एल.तेस्सी तोरी ने रामकथा के लिए तुलसीदास जी पर पहली पीएचडी की। 1918 में लंदन के. जे.एन. कारपेंटर ने दूसरा शोध किया जिसे आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने प्रकाशित किया। रूसी साहित्यकार अलेक्सेई वरान्निकोव ने डॉ. श्यामसुंदर द्वारा संपादित रामचरितमानस का रूसी भाषा में अनुवाद किया। जिसे 1948 में सोवियत संघ की साहित्य अकादमी ने प्रकाशित करवाया। अमेरिकी विद्वान मीसो केवलैंड ने रामकथा को बाल साहित्य के रूप में रूपांतरित कर ‘एडवेंचर आफ रामा’ शीर्षक से प्रकाशित करवाया।

ईसाई मिशनरी से ‘मानस मनीषी’

श्रीराम को विश्व मंच पर लोकप्रिय बनाने में ‘फादर कामिल बुल्के’ का योगदान भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने शोध प्रबंध ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’ में विश्व में श्रीराम की ऐतिहासिकता के 300 से अधिक प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने सिद्ध किया कि रामकथा वियतनाम से कम्बोडिया तक फैली हुई है। इस संदर्भ में उन्होंने लिखा कि उनके एक इंडोनेशियाई मित्र डॉ. होयकास सायंकाल टहल रहे थे तो उन्होंने एक मौलाना को रामायण पढ़ते देखा। डॉ. होयकास ने उस मौलाना से पूछा कि आप मौलाना हैं फिर आप रामायण क्यों पढ़ रहे है। मौलाना से उत्तर मिला-‘और भी अच्छा मनुष्य बनने के लिए’। ‘रामकथा’ के इस विस्तार को बुल्के भारतीय संस्कृति की ‘दिग्विजय’ कहते हैं।
(लेखक विद्या भारती जोधपुर (राजस्थान) प्रान्त के संगठन मंत्री है और विद्या भारती प्रचार विभाग की केन्द्रीय टोली के सदस्य हैं)

Topics: ‘Indian Culture Worldभगवान रामInternational Ramayana Research CentreLord RamaLoksya GatagatimmanasKampuchea (Cambodia)राम नाम‘Kaveradhasya Maharshe Valmiki Puja Sthanam Punastasyakrit’Ram Naam‘भारतीय संस्कृति दुनियाअंतरराष्ट्रीय रामायण रिसर्च सेंटरलोकस्य गतागतिम्कंपूचिया (कम्बोडिया)‘कवेराधस्य महर्षे वाल्मीकि पूजा स्थानं पुनस्तस्यकृत’
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन करते आचार्य देवव्रत। साथ में हैं बाएं से हितेश शंकर, बृजबिहारी गुप्ता और मुकेश भाई  मलकान

जड़ से जुड़ने पर जोर

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा

30 मार्च से गांव-गांव शुरू होंगे रामोत्सव के कार्यक्रम, विश्व हिंदू परिषद ने की बड़ी तैयारी

भगवान राम का सूर्य तिलक

अयोध्या:  जन्मभूमि में 6 अप्रैल को मनाया जाएगा भगवान राम का जन्मोत्सव, ठीक 12 बजे रामलला का होगा ‘सूर्य तिलक’

भगवान राम के पुत्र लव की समाधि पर राजीव शुक्ला

भगवान राम के बेटे लव के नाम पर है पाकिस्तान के लाहौर का नाम, लव की समाधि पर पहुंचे कांग्रेस नेता, शेयर की तस्वीरें

फोटो सौजन्य - ग्रोक, एआई

सामाजिक समरसता और नवधा भक्ति की शिरोमणि माता शबरी

रामलला के दर्शन को आए श्रद्धालु

अयोध्या में नया कीर्तिमान, 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे राम मंदिर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन

तुर्किये को एक और झटका: स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक, उड़ान प्रतिबंध और पर्यटन बहिष्कार का किया आह्वान

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग   (फाइल चित्र)

भारत के खिलाफ चीन की नई चाल! : अरुणाचल प्रदेश में बदले 27 जगहों के नाम, जानिए ड्रैगन की शरारत?

मिर्जापुर के किसान मुन्ना लाल मिश्रा का बेटा राजकुमार लंदन में बना मेयर, गांव में खुशी की लहर

पेट में बच्चा था… पर रहम नहीं आया! : दहेज में कार ना मिलने पर बेरहम हुआ नसीम, बेगम मरियम को मार-पीटकर दिया 3 तलाक

अमृतसर में नहीं थम रहा जहरीली शराब का कहर : दिन-प्रतिदिन बढ़ रही मृतकों की संख्या, अब तक 24 की मौत

उत्तराखंड : जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में भी डेमोग्राफी चेंज, लोगों ने मुखर होकर जताया विरोध

‘ऑपरेशन केलर’ बना आतंकियों का काल : पुलवामा-शोपियां में 6 खूंखार आतंकी ढेर, जानिए इनकी आतंक कुंडली

सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद, भारत सरकार का बड़ा एक्शन, तुर्किये को एक और झटका

आतंकी आमिर नजीर वानी

आतंकी आमिर नजीर वानी की मां ने कहा था सरेंडर कर दो, लेकिन वह नहीं माना, Video Viral

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies